कांग्रेस हाईकमान के दरबार में विंसेंट जॉर्ज की हुई वापसी, दिल्ली जाने के दबाव से कमल नाथ को मिली राहत

कांग्रेस हाईकमान के दरबार में विंसेंट जॉर्ज की वापसी से मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमल नाथ को दिल्ली जाने के दबाव से राहत मिली है। वे मध्य प्रदेश में ही रहकर पार्टी के राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय के मसलों पर काम कर सकेंगे। मुश्किलों का हल कमल नाथ निकालेंगे, दिल्ली में इसके क्रियान्वयन का जिम्मा विंसेंट जॉर्ज पर होगा। जॉर्ज पहले राजीव गांधी और फिर सोनिया गांधी के लिए काम किया करते थे, अब वे एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं।

हाल ही में पंजाब कांग्रेस पर आए संकट में उन्होंने ही समन्वय बनाकर मध्यस्थता की कोशिश की। इससे कमल नाथ मध्य प्रदेश में ही रहकर यहां कांग्रेस की सत्ता वापसी के प्रयासों को मजबूत कर सकेंगे। ऐसे में उनकी दिल्ली दरबार में मौजूदगी मजबूत होगी, वहीं प्रदेश से उनकी रवानगी की अटकलें भी खारिज हो गई हैं। दरअसल, मार्च 2020 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद से ही पार्टी में एक खेमा उनकी दिल्ली वापसी के कयासों को हवा दे रहा था।

इस बीच विधानसभा की 28 सीटों पर उपचुनाव में कमल नाथ ने मोर्चा संभाला, लेकिन महज नौ सीटें हाथ में आने से कांग्रेस की सत्ता वापसी की संभावनाएं भी खत्म हो गई। इसके चलते नवंबर में एक बार फिर कहा जाने लगा कि कमल नाथ की दिल्ली वापसी हो सकती है। इसी बीच, 25 नवंबर,2020 को सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल का निधन हो गया। वे पार्टी में राष्ट्रीय सियासत के साथ समन्वय के मामले भी देखते थे। इसके बाद से ही तय माना जाने लगा कि कमल नाथ को दिल्ली दरबार में ही बैठना होगा।

अचानक बदले समीकरण

पार्टी में केंद्र और राज्य के समीकरणों में उलझे कमल नाथ को अचानक विंसेंट जॉर्ज के आने से काफी राहत मिली है। जॉर्ज नेहरू-गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे हैं। पनडुब्बी घोटाले में नाम आने के चलते उन्होंने सार्वजनिक रूप से गांधी परिवार और कांग्रेस से दूरी बना ली थी। अहमद पटेल के निधन के करीब छह माह बाद उन्होंने कांग्रेस हाईकमान के दरबार में वापसी की है। हाल ही में उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू के विरोधी तेवर थामने में भूमिका निभाई। सूत्रों का कहना है कि अब जॉर्ज को राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच रिश्ते ठीक करने का जिम्मा सौंपा गया है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के महासचिव केके मिश्रा ने बताया कि विंसेंट जॉर्ज नेहरू-गांधी परिवार के न केवल अत्यंत वफादारी साथियों में शुमार रहे हैं, बल्कि समय-समय पर अपनी निष्ठा का अहसास भी कराया है। इसमें दो राय नहीं कि अब जब कांग्रेस पार्टी में वरिष्ठ नेता अहमद पटेल हमारे बीच नहीं रह गए हैं, तो राष्ट्रीय राजनीतिक क्षितिज पर कमल नाथ जी की जिम्मेदारी बढ़ गई है। प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए कमल नाथ का मध्य प्रदेश में रहना जरूरी है, तो वे यहीं रहकर राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते रहेंगे।