कांग्रेसियों की चिंता बढ़ा रहा सोनिया का पुत्र मोह, मटका फोड़ प्रदर्शन में बिस्लेरी जार! पढ़िये- कांग्रेस से जुड़ी अन्य खबरें

दिल्ली ही नहीं, देश भर में कमोबेश सभी जगह कांग्रेस की लुटिया डूबती जा रही है, लेकिन पार्टी अलाकमान सोनिया गांधी का पुत्र मोह इस स्थिति में सुधार होने ही नहीं दे रहा। दबी जबान में अब तो हर कांग्रेसी कहने लगा है कि जब तक राहुल गांधी को साइडलाइन नहीं किया जाएगा, कांग्रेस का मजबूत होना नामुमकिन है मगर यह बात अब आलाकमान को कौन समझाए! हाल ही में एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के यहां कुछ पुराने कांग्रेसी गपशप करने को एकत्र हुए तो यहां भी यही चर्चा चल गई। सभी ने स्वीकार किया कि कांग्रेस को आज इसके कर्णधार ही कमजोर कर रहे हैं। उनके निर्णय पार्टी को हर स्तर पर नुकसान पहुंचा रहे हैं। पानी गले से ऊपर आने लगता है तो कहीं जाकर हाथ पैर मारे जाते हैं। अभी पंजाब की हालत खस्ता है, वह दिन दूर नहीं जब दिल्ली की हालत भी ऐसी ही होगी।

चिड़िया उड़ाकर बचा रहे अपना सियासी वजूद

दिल्ली नगर निगम का चुनाव अब बहुत दूर नहीं रह गया है। अप्रैल 2020 में होने वाले इन चुनावों में आठ- नौ माह ही बचे हैं। लिहाजा, वरिष्ठ कांग्रेसियों का पार्टी की स्थिति को लेकर परेशान होना स्वाभाविक है। जिस तरह प्रदेश इकाई में चलाचली की बेला चल रही है, उसे देखते हुए पार्टी को मजबूत करना तो दूर की बात, अधिकांश नेताओं को अपना सियासी वजूद बनाए रखना भी किसी चुनौती से कम नहीं लगता। दिल्ली वासी कांग्रेस की बात न सुनना चाहते हैं, न करना चाहते हैं। किसी गतिविधि में उनका जुड़ाव नजर नहीं आता। ऐसे में सियासी वजूद बनाए रखने के लिए नेताओं को इंटरनेट मीडिया ही एकमात्र सहारा नजर आता है। बहुत से पुराने कांग्रेसी आए दिन कोई न कोई टवीट करते रहते हैं तो कुछ समर्थकों के मार्फत फेसबुक पर अपनी उपस्थिति बनाए रखते हैं। कुछ मीडिया के जरिये भी स्वयं को जिंदा रखते हैं।
कांग्रेस में हास्यास्पद प्रसंग नई बात नहीं है। पूर्व पार्षद अशोक जैन, महमूद जिया और चांदनी चौक जिलाध्यक्षा मोहम्मद उस्मान की अगुवाई में पेयजल संकट को लेकर आसफ अली रोड पर ‘मटका फोड़’ प्रदर्शन रखा गया। लेकिन प्रदर्शन के दौरान मटका तो केवल एक ही था, अलबत्ता बिस्लेरी के जार अनेक थे। ऐसे में प्रदर्शनकारियों में इसी पर चर्चा छिड़ गई कि प्रदर्शन के लिए कम से कम कुछ मटके तो मंगा ही लेने चाहिए थे। हालांकि कुछ का यह भी कहना था कि मटका वाकई अब पेयजल संकट का प्रतीक ही रह गया है। लोग घर हो या दफ्तर, सभी जगह बिस्लेरी जार प्रयोग करने लगे हैं। इस पर चर्चा का पटाक्षेप करते हुए जैन बोले, भाई मटका लाओ चाहे जार लाओ, संकट तो पानी का ही सामने आएगा। जब समय के साथ सभी चीजें बदल गईं तो मटके और जार की बहस भी अब कोई मायने नहीं रखती।

पुलिस को दिया चकमा

दो दिन पूर्व दिल्ली कांग्रेस ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों के खिलाफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास पर प्रदर्शन किया। लंबे अरसे बाद इस प्रदर्शन में कांग्रेसियों की ठीकठाक संख्या देखने को मिली। लेकिन इसकी वजह वह चकमा रही, जो कांग्रेसियों ने पुलिस को दिया। दरअसल होता यह रहा है कि कांग्रेसी जब भी किसी धरने प्रदर्शन का कार्यक्रम बनाते हैं, पुलिस वाले वहां पहले ही पहुंचकर उन्हें उठा देते हैं। इसीलिए अबकी बार पुलिस को सही लोकेशन बताई ही नहीं गई। पुलिस दूसरी लोकेशनों पर प्रदर्शनकारियों का इंतजार करती रही जबकि कांग्रेसी मुख्यमंत्री आवास के काफी करीब पहुंचकर प्रदर्शन करने लगे। जब पुलिस को इसकी जानकारी मिली तो उसने भी इस चकमे का जवाब लाठीचार्ज से दिया। ऐसे डंडे बरसाए कि प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी और उपाध्यक्ष जयकिशन सहित कईयों के चोटें आ गईं। इसे कहते हैं नहले पे दहला।