केरल में ज़ीका वायरस का पहला मामला सामने आया है। केरल के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया, 24 वर्षीय गर्भवती महिला इस मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी का शिकार पाई गई। तिरुवनंतपुरम में वायरस के 13 अन्य संदिग्ध मामले भी है, सरकार को पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) से पुष्टि का इंतज़ार है।
मंत्री ने कहा कि तिरुवनंतपुरम से भेजे गए 19 नमूनों में से डॉक्टरों सहित 13 स्वास्थ्य कर्मियों के ज़ीका से संक्रमित होने का संदेह है। वहीं, संक्रमित महिला की हालत इस वक्त ठीक है। हालांकि, उनका राज्य से बाहर का कोई यात्रा का इतिहास नहीं है, लेकिन उनका घर तमिलनाडु की सीमा पर है। एक हफ्ते पहले महिला की मां को भी इसी तरह के लक्षणों का अनुभव हुआ था। ज़ीका के लक्षण डेंगू जैसे ही होते हैं, जिसमें बुख़ार, त्वचा पर चकत्ते और जोड़ों में दर्द की शिकायत होती है।
ज़ीका का नवजात बच्चे के लिए ख़तरा?
विश्व स्वास्थ्य संगठन विशेषज्ञ डॉक्टर डेविड नेबारो का कहना है कि ज़ीका वायरस इतनी गंभीर बीमारी है कि ये गर्भवती महिला से उसके बच्चे को हो सकती है। ज़ीका वायरस से नवजात बच्चों को माइक्रोसेफली का ख़तरा भी बढ़ जाता है। ये वो स्थिति है, जो असामान्य रूप से छोटे सिर से चिन्हित होती है, इससे बच्चे के विकास में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
क्या है ज़ीका वायरस?
ज़ीका वायरस भी डेंगू, मलेरिया, पीला बुख़ार और चिकनगुनिया की ही तरह मच्छरों से फैलता है। यह एक प्रकार का एडीज़ मच्छर ही है, जो दिन में एक्टिव होता है। अगर यह मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काट लेता है, जिसके खून में वायरस मौजूद है, तो यह किसी अन्य व्यक्ति को काटकर वायरस फैला सकता है। मच्छरों के अलावा असुरक्षित शारीरिक संबंध और संक्रमित खून से भी ज़ीका बुखार या वायरस फैल सकता है।
क्या ज़ीका वायरस के लक्षण?
ज़ीका वायरस के लक्षणों में:
– बुख़ार
– चकत्ते
– कन्जंगक्टिवाइटिस
– मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द
– बेचैनी या फिर सिर दर्द
ज़ीका वायरस रोग की ऊष्मायन अवधि का अनुमान है 3-14 दिन और लक्षण आमतौर पर 2-7 दिनों तक रह सकते हैं। WHO के मुताबिक, ज़ीका वायरस से संक्रमित ज़्यादातर लोगों में लक्षण नज़र नहीं आते हैं।
ज़ीका वायरस का इलाज क्या है?
अमेरिका के CDC के मुताबिक, ज़ीका वायरस की अभी तक न तो कोई दवा है और न ही वैक्सीन। इसमें सिर्फ लक्षणों का इलाज किया जाता है।
– बीमारी के दौरान तरल पदार्थ का सेवन बढ़ा दें ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
– ज़्यादा से ज़्यादा आराम करें।
– रक्तस्राव के जोखिम को कम करने के लिए, जब तक डेंगू से इंकार न हो जाए, तब तक एस्पिरिन और अन्य गैर-स्टेरायडल विरोधी भड़काऊ दवाएं (NSAIDS) न लें।
– अगर आप पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें।