Mahalaxmi Stotra: धन-वैभव के लिए करें महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ, इंद्र ने की थी इसकी रचना

माता लक्ष्मी समस्त संसार को धन, वैभव, ऐश्चर्य, संपदा, समृद्धि, सुख, यश, बुद्धि, ओज आदि गुणों से परिपूर्ण करती हैं। एक बार इंद्र देव दुर्वासा मुनि के श्राप के कारण श्रीहीन हो गए थे। तीनों लोक माता लक्ष्मी से रहित हो गए थे। इंद्र की राज्यलक्ष्मी समुद्र में चली गई थीं। बाद में देवताओं ने प्रार्थना की, तब वे समुद्र से प्रकट हुईं और सभी देवी-देवता, ऋषि, मुनि ने उनका जयगान किया। उसी समय देवराज इंद्र ने माता लक्ष्मी की प्रार्थना के लिए महालक्ष्मी स्तोत्र की रचना की, जिससे माता महालक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न हुईं। फलस्वरूप तीनों ही लोक फिर से माता लक्ष्मी की कृपा से धन संपदा से संपन्न हो गए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति दिन में एक बार महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करता है, उसके सभी पाप नष्ट होते हैं। जो दिन में दो बार महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करता है, उसे धन और धान्य की प्राप्ति होती है। जो दिन में तीन बार महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करता है, उस पर माता महालक्ष्मी हमेशा प्रसन्न रहती हैं। आज शुक्रवार के दिन आप भी महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें, जिससे आपको फल प्राप्त हो।

महालक्ष्मी स्तोत्र

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।

शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।

सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।

सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।

मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।

योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।

महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।

परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।

जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।

सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।

द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।

त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।

महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।