व्यापारी राजेंद्र शर्मा ने कहा- कोरोना संक्रमण रोकने की जिम्मेदारी सिर्फ व्यापारियों की ही नहीं

अनलॉक के दौर में दिल्ली की कारोबारी गतिविधियां सामान्य होने की ओर हैं। लोग खरीदारी करने बाजारों में पहुंच रहे हैं। हालांकि, बाजारों की चहल-पहल प्रशासन और पुलिस की चिंता बढ़ा रहा है। इसलिए बाजारों और दुकानों पर बंदी का चाबुक चलाया जाने लगा है। इससे दुकानदारों की चिंता बढ़ गई है। कैसे हो बाजारों में कोरोना नियमों का पालन और कैसे सुचारु रहे दिल्ली की अर्थव्यवस्था, इस पर नेमिष हेमंत ने भारतीय उद्योग व्यापार मंडल, दिल्ली के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री राजेंद्र शर्मा से बातचीत की। प्रस्तुत हैं अंश…।

बाजारों में भीड़ प्रशासन के साथ देशवासियों की चिंता बढ़ा रही है। इसकी कैसे हो रोकथाम?

-दिल्ली पूरे देश का प्रमुख कारोबारी हब है। यहां दूसरे राज्यों से भी बड़ी संख्या में खरीदारी करने आते हैं। 300 से अधिक थोक व खुदरा बाजार हैं। निश्चित ही अन्य राज्यों से इतर यहां के कुछ थोक बाजारों में भीड़भाड़ दिखाई पड़ेगी, लेकिन इस भीड़ को व्यवस्थित करके बाजार की अर्थव्यवस्था को सुचारु रखा जा सकता है। इसके लिए सभी निकाय, प्रशासन और पुलिस को भी साथ आना होगा, तभी बात बनेगी। कोरोना संक्रमण से कोई एक वर्ग अकेले लड़ाई नहीं लड़ सकता है।

प्रशासन बाजारों और दुकानदारों पर दंडात्मक कार्रवाई कर रहा है, इसकी नौबत क्यों आई?

-जहां तक किसी दुकानदार की लापरवाही की बात है तो हम प्रशासन के साथ हैं। कोई दुकानदार कोरोना को लेकर तय मानकों का ख्याल नहीं रखता है और अपने कारोबारी प्रतिष्ठान में अधिक लोगों को प्रवेश देता है या अनिवार्य मास्क के नियम का उल्लंघन करता है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन किसी बाजार को लेकर यह बातें नहीं कह सकते हैं, क्योंकि वहां शारीरिक दूरी के नियम का पालन न होने की कई वजह हो सकती है। उसमें सड़क व फुटपाथ पर अतिक्रमण, वाहनों की अवैध पार्किंग, कूड़े का ढेर, बेसहारा पशुओं की मौजूदगी के साथ सड़कों का कटान भी शामिल है। ये ऐसे विषय हैं जिस पर सिविक एजेंसियों, प्रशासन और पुलिस को भी तत्पर रहना होगा। कारणों की पहचान कर पहले उस पर कार्रवाई करनी होगी। बाजार बंद करना समस्या का हल नहीं है, क्योंकि इसे हम अधिक दिन तक बंद नहीं रख सकते हैं। उल्टे, इसके चलते दुकानदारों में भय का माहौल बनने के साथ कारोबार में गिरावट आएगी। इसका प्रभाव दिल्ली की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

इस समस्या का समाधान कैसे निकलेगा?

-इस पर सबको साथ मिलकर काम करना होगा। बाजारों में अतिक्रमण बड़ी समस्या है। पुरानी दिल्ली के थोक-खुदरा बाजारों से लेकर दिल्ली के अन्य भागों मे स्थित बाजारों की समस्या समान है। दिक्कत यह है कि ये सड़क और फुटपाथ का काफी हिस्सा कब्जे में ले ले रहे हैं। इसके चलते सड़क पर आने-जाने वालों के लिए जगह कम बच रही है। सड़क पर वाहनों की पार्किंग से यह समस्या और बढ़ रही है। सदर बाजार जैसे बाजारों में झोले में सामान रखकर घूमकर बेचते भी सैकड़ों लोग मिल जाएंगे। चिंता की बात यह कि इन लोगों में दिशानिर्देशों के पालन में गंभीरता की भी कमी है। इन पर लगाम लगाने का काम नगर निगम और दिल्ली पुलिस का है। वे कार्रवाई करते भी हैं, लेकिन इसमें सुधार की काफी अधिक गुंजाइश है।

डीडीएमए ने कोरोना के दिशानिर्देशों के पालन की जिम्मेदारी मुख्य रूप से बाजार संगठनों की बताई है। इसमें वह नाकाम साबित हो रहे हैं?

-कारोबारी संगठनों के पदाधिकारियों या दुकानदारों के पास कोई कानूनी अधिकार नहीं है और न ही उनके पास कोई अलग से फोर्स है। ऐसे में इस पर व्यावहारिक तरीके से विचार करना होगा। हम अगर सड़क पर किसी को मास्क लगाने से टोकते हैं तो झगड़े की स्थिति बन जाती है। यहीं स्थिति रेहड़ी-पटरी वालों को रोकने के दौरान भी बन जाती है। यह समझना होगा कि दुकानदार अपने कारोबारी प्रतिष्ठान में ही दिशानिर्देशों का पालन करा सकता है, बाहर नहीं। बाजार संगठन को भी यह अधिकार नहीं है और न ही उसके पास इतने लोग हैं कि किसी को दिशानिर्देशों का पालन न करने पर बाजार से बाहर कर दें।

तो आगे क्या होना चाहिए?

-इसमें प्रशासन, पुलिस व नगर निकाय की जिम्मेदारी तय करनी होगी। उन्हें भी समान रूप से जिम्मेदार बनाना होगा। अगर कहीं नियम टूट रहे हैं तो उसके लिए वह भी जिम्मेदार हैं। इससे भी बड़ी बात यह है कि बाजार या दुकान बंदी समस्या का हल नहीं है। मिलजुल कर व्यवस्था ऐसी बने, जिससे कोरोना नियमों का पालन करते हुए कारोबारी गतिविधियां चलती रहे। इसके लिए बाजारों में अधिक प्रशासन और पुलिस के लोगों की तैनाती करनी होगी। चालान की संख्या बढ़ानी होगी और जागरूकता अभियान पर जोर देना होगा।

कारोबारी संगठन क्या करेंगे?

-हम सभी कारोबारी संगठनों को जागरूक कर रहे हैं। नियमित तौर पर इससे संबंधित सकरुलर निकाले जा रहे हैं। नियमित तौर पर बाजार भ्रमण कर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। पुलिस व प्रशासन से संवाद बनाए हुए हैं। इन सबको और बढ़ाया जाएगा।