अनुराग कश्यप की फिल्म निशानची में एक्टर जसकरण सिंह गांधी नजर आए हैं। इस फिल्म में उन्होंने सुनील पहलवान का किरदार निभाया है। हाल ही में उन्होंने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें यह रोल कैसे मिला और इसके लिए उन्होंने कैसी तैयारी की।
निशानची फिल्म का ऑफर कैसे मिला?
ये ऑफर वैसे ही आया जैसे सेम बहादुर का आया था। मैं एक शाम घर पर बैठा था, तभी एक मैसेज आया जिसमें किरदार, प्रोडक्शन हाउस और डायरेक्टर की जानकारी थी। जब डायरेक्टर का नाम पढ़ा अनुराग कश्यप तो यकीन ही नहीं हुआ। पहले लगा किसी एड का ऑडिशन है, लेकिन फिर पूरा मैसेज पढ़ा तो समझ आया कि ये फिल्म का रोल है। उस वक्त मैंने अपनी वाइफ से कहा, ये रोल मेरा ही है, क्योंकि मैंने अनुराग सर के साथ काम करने के लिए तेरह साल मेहनत और इंतजार किया है।
फिर मैंने कास्टिंग डायरेक्टर गौतम किशन चंदानी और उनकी टीम से बात की, किरदार को समझा और ऑडिशन दिया। अंदर से एक विश्वास था कि ये रोल मेरे लिए ही लिखा गया है। मुझे स्क्रिप्ट मिली और अगले दिन ही मैंने पढ़ ली। उन्होंने मुझसे पूछा कि तैयारी में कितना समय लगेगा। मैंने कहा मैं एक बार स्क्रिप्ट पढ़ लेता हूं तो समझ जाता हूं, क्योंकि मैंने अनुराग सर को और उनके काम को बहुत गहराई से पढ़ा और समझा है, इसलिए मुझे साफ पता था कि मुझे इस किरदार में क्या करना है।
फिल्म में आपका किरदार कैसा रहा? उसके बारे में कुछ बताइए।
मेरा किरदार सुनील पहलवान का है, जो फिल्म के फ्लैशबैक में नजर आता है। कहानी में बबलू और डबलू दो बच्चे हैं, जिनके पिता जबरदस्त पहलवान थे। उनका कत्ल क्यों और कैसे हुआ, यही इस फ्लैशबैक में दिखाया गया है।
इस घटना की जड़ें सुनील पहलवान से जुड़ी हैं। जबरदस्त काम की तलाश में निकलता है और एक गलत इंसान से मिल जाता है, जो उसे ये यकीन दिलाता है कि सुनील पहलवान चरित्रहीन हैं।
इसके बाद एक कुश्ती का सीन आता है, जहां मेरा किरदार मारा जाता है। यही सीन फिल्म की कहानी को एक अहम मोड़ देता है और आगे जबरदस्त के साथ जो कुछ होता है, वो इसी घटना से जुड़ा होता है। मेरा रोल छोटा जरूर है, लेकिन कहानी में उसकी गहरी भूमिका है।
इस किरदार को निभाने के लिए क्या मेहनत की?
मैं सुबह पांच बजे उठता था। कार्डियो, दौड़ना और साइकिलिंग सब करता था ताकि फैट कम हो। लेकिन लुक टेस्ट से दो-तीन महीने पहले मैं और मेरी पत्नी छुट्टियों पर थे, जहां मेरी डाइट ठीक नहीं रही। लेकिन जब लुक टेस्ट की बात हुई, तो मुझे लगा कि ये मामला गड़बड़ हो गया है। तब मैंने नए सिरे से मेहनत शुरू की। सबसे पहले मैंने मेकर्स से पूछा कि शूट कब शुरू होगा। उन्होंने बताया कि अभी छह-सात महीने बाकी हैं, तो मुझे राहत मिली। उसके बाद मैंने घर आकर अपनी डाइट और फिटनेस पर पूरा ध्यान देना शुरू किया।
13 साल से अनुराग सर के साथ काम करने का सपना था। जब ये पूरा हुआ, तो पहली बार उनसे मिलने का अनुभव कैसा था?
जब मैं अनुराग सर से मिला, वे रील्स देख रहे थे। मैं उन्हें देखता रहा, कुछ सेकंड बाद उन्होंने मुझसे नजरें मिलाईं और हालचाल पूछा। उन्होंने पूछा तू कैसे है? मैंने कहा ठीक हूं। फिर उन्होंने कहा अभी तो हम और बहुत मिलेंगे। उनका साथ काम करना बहुत अच्छा अनुभव रहा। वे बहुत विनम्र और सहज इंसान हैं।