भारत में हर व्यक्ति की चाहत अपने लिए एक मकान खरीदने या बनवाने की होती है। इसीलिए भारत में अपने घरों को ‘सपनों का घर’ कहा जाता है। देश में वेतनभोगी लोगों में पिछले कुछ वर्षों में होम लोन (Home Loan) लेकर घर लेने की प्रवृत्ति बढ़ी है। मल्टी स्टोरी अपार्टमेंट्स में मकान लेने वालों को आसानी से होम लोन मिल जाता है। लेकिन लोग हमेशा इस बात को लेकर थोड़े से आशंकित रहते हैं कि अपने पहले से पड़े आवासीय भूखंड पर मकान बनाने या फिर प्लॉट खरीदकर घर का निर्माण करने के लिए उन्हें Home Loan मिलेगा या नहीं।
टैक्स एंड इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन इस बारे में बताते हैं, ”खुद का प्लॉट लेकर घर बनाने का प्रोसेस थोड़ा अलग है लेकिन आपकी एलिजिबिलिटी वगैरह वैसी ही रहती है, जैसा किसी अपार्टमेंट में फ्लैट लेने पर रहता है। दरअसल, एलिजिबिलिटी का निर्धारण आपकी आय के आधार पर होती है।”
हालांकि, बहुत कम लेंडर्स ऐसे हैं, जो खुद से कंस्ट्रक्शन कराने पर लोन देते हैं। HDFC, ICICI Bank जैसे लीडिंग लेंडर्स इस तरह के निर्माण के लिए लोन देते हैं लेकिन हरेक बैंक नहीं देते हैं।
जानिए क्या है प्रोसेस
अगर आप प्लॉट लेकर या पहले से मौजूद प्लॉट पर घर बना रहे हैं तो आपको बैंक द्वारा पैसा डालने से पहले आपको अपना मार्जिन (20 फीसद या 25 फीसद) डालना पड़ता है। आपके द्वारा पैसा डालने के बाद बैंक पैसा डालते हैं। बैंक शेष राशि एक साथ नहीं देती है बल्कि कंस्ट्रक्शन जैसे-जैसे आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे पैसा डालती है। इसके लिए आपको इंजीनियर या आर्किटेक्ट का सर्टिफिकेट चाहिए होता है। साथ-ही-साथ आगे की किस्तों के लिए बैंक में आपको कंस्ट्रक्शन की स्थिति का फोटो भेजना पड़ता है।
बैंक अपने वैल्यूएर को इस चीज को वेरिफाई करने के लिए भेज सकता है। वैल्यूएर इस बात को देखते हैं कि इंजीनियर या आर्किटेक्ट द्वारा दिया गया सर्टिफिकेट सही है या नहीं।
जमीन के लिए भी मिल सकता है लोन
जैन ने बताया कि कई मामलों में जमीन की लागत कंस्ट्रक्शन पर आने वाली लागत से ज्यादा होती है। ऐसी स्थिति में लेंडर जमीन के लिए भी लोन दे सकता है बशर्ते कि आप एक रीजनेबल टाइम में कंस्ट्रक्शन शुरू करने के लिए तैयार हों।
वहीं, अगर आपने जमीन पहले से खरीदकर रखी है तो उसके लिए दी गई रकम को भी बैंक मार्जिन मनी मानता है। लेकिन बैंक किसी भी परिस्थिति में कंस्ट्रक्शन कॉस्ट से ज्यादा फंडिंग नहीं करेगा।
ब्याज की दर
बकौल जैन आम तौर पर इसके लिए भी होम लोन की दर समान रहनी चाहिए। लेकिन इसमें Over Invoicing का जोखिम अधिक होने की वजह से बैंक कई बार ज्यादा ब्याज ले सकते हैं। हालांकि,ऐसा जरूरी नहीं है।
इन डॉक्यूमेंट्स की होती है जरूरत
प्लॉट पर घर बनवाने के लिए अगर आपको लोन की दरकार होती है तो आपको आय से जुड़े दस्तावेजों के साथ-साथ जमीन के कागज और इंजीनियर या आर्किटेक्ट द्वारा तैयार मैप और खर्च के Estimate की जरूरत होती है।
Tax में छूट
जब तक आपका निर्माण पूरा नहीं होता है और जब तक आपको स्थानीय प्राधिकरण की ओर से Completion Certificate या Occupancy Certificate नहीं मिलता है, तब तक आपको टैक्स में छूट नहीं मिलती है। सर्टिफिकेट मिलने के साल से आपको टैक्स में छूट का लाभ मिलता है। अगर आप उस घर में खुद रहते हैं तो आपको Completion Certificate मिलने के साल एवं उससे पहले अगर आपने कोई ब्याज दिया है तो उसके 1/5वें हिस्से पर टैक्स में छूट का लाभ मिलता है लेकिन यह कुल-मिलाकर दो लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए।
मूलधन के भुगतान पर भी आपको पजेशन के समय से 80C में छूट का लाभ मिलता है। अगर आप लोन मिलने के तीन साल के भीतर मकान को बेच देते हैं तो मूलधन पर 80C के तहत प्राप्त टैक्स छूट रिवर्स हो जाती है।