मकान मालिक और किरायेदारों के बीच विवाद कम करने के लिए उत्तर प्रदेश नगरीय किरायेदारी विनियमन अध्यादेश 2021 के तहत राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश नगरीय परिसर किरायेदारी विनियमन नियमावली 2021 तैयार की है। प्रस्तावित नियमावली पर 27 जुलाई तक विभिन्न माध्यमों से सुझाव मांगे गए हैं। उचित सुझावों को शामिल करते हुए जल्द ही कैबिनेट के माध्यम से नियमावली को अंतिम रूप देकर लागू कर दिया जाएगा।
दरअसल, राज्य सरकार ने मकान मालिक और किरायेदारों के बीच होने वाले विवाद को निपटाने के लिए पुराने कानून के स्थान पर नया कानून तो पहले ही बना लिया था, लेकिन अब तक नियमावली नहीं बनी थी। अब आवास एवं शहरी नियोजन विभाग ने नियमावली तैयार कर उस पर 27 जुलाई की शाम पांच बजे तक सुझाव मांगे हैं। सुझाव विभागीय वेबसाइट या एनेक्सी स्थित आवास विभाग के कार्यालय के माध्यम से उपलब्ध कराए जा सकते हैं।
प्रस्तावित नियमावली के अनुसार अनुबंध के बगैर किराये पर मकान नहीं मिलेगा। सरकार किराया प्राधिकरण गठित करेगी। अनुबंध की एक कापी किराया प्राधिकारी के यहां जमा होगी। प्राधिकारी द्वारा किरायेदारी संबंधी पूरा ब्योरा डिजिटल प्लेटफार्म पर अपलोड किया जाएगा। इसके साथ ही पक्षकारों को विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईडी) प्रदान की जाएगी।
विवाद संबंधी मामले निस्तारित करने के लिए किरायेदारी अपीलीय अधिकरण का गठन किया जाएगा। किराया प्राधिकारी के किसी भी आदेश के खिलाफ इसमें अपील की व्यवस्था होगी। मकान मालिक या किरायेदार की मृत्यु की सूचना विधिक वारिस को 90 दिनों में किराया प्राधिकारी को देनी होगी। बेदखली के लिए मकान मालिक को किराया प्राधिकरण में आवेदन करना होगा।
किरायेदार से बकाया आदि की जानकारी देनी होगी। किराया न देने की दशा में मकान मालिक के आवेदन के खिलाफ किरायेदार द्वारा दिए गए पत्र पर कोई विचार नहीं किया जाएगा। आवेदन के साथ मकान मालिक या उसके वकील का ईमेल आईडी और वाट्सएप या मोबाइल नंबर देना अनिवार्य होगा। सालाना पांच से सात फीसद किराया बढ़ाने की व्यवस्था रहेगी।