युवा देश का भविष्य है। अगर युवाओं का हाथ थामने की बजाय उनको सुविधाओं से वंचित कर दिया जाएगा तो कहीं न कहीं यह देश का ही नुकसान है। ऐसे ही एक दिल्ली देहात के एक खिलाड़ी हैं जिनकी प्रतिभा सरकारी मदद के अभाव में दम तोड़ने की कगार पर है। हालांकि पावर लिफ्टर बलजीत का सपना है कि वह अपने बल से एक न एक दिन सोने का पदक जीतकर देश की झोली में जरूर डालेंगे। सरकार की ओर से मदद न मिल पाने की वजह से इन दिनों वह काफी मायूस हैं।
मूलत: कुतुबगढ़ निवासी बलजीत के अनुसार, ‘स्कालरशिप की राशि न मिलने की वजह से डाइट के लिए भी पैसे नहीं है, अभ्यास कैसे करें। माता-पिता को चार, पांच महीने बाद एक महीने का वेतन मिलता है। उन पैसों से स्वजन घर के खर्चे पूरे करें या मेरे। इस वजह से अभ्यास छोड़कर मजबूरी में घर बैठना पड़ रहा है। लेकिन मैं हारने वालों में से नहीं हूं, आज नहीं तो कल स्वर्ण पदक जीतकर भारत की झोली में डालूंगा।’ पावर लिफ्टिंग के जुनियर खिलाड़ी बलजीत के खाते में वैसे तो सोने के कई तमगे हैं। उन्होंने वर्ष 2018 में युक्रेन में आयोजित पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में दो सिल्वर मेडल जीते थे। साथ ही उसी वर्ष व 2019 में नेशनल चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक अपने नाम किए थे। लेकिन अब ये पदक व दिल्ली सरकार का वादा उनके लिए बेमतलब है। क्योंकि न ही स्वर्ण पदकों से पेट भरता है और न ही वादों के सहारे अभ्यास होता है।
छत्रसाल स्टेडियम से लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने के बाद भी जब कहीं से कोई मदद नहीं मिली तो 22 वर्षीय बलजीत अब डाइट के पैसों का जुगाड़ करने के लिए सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी तलाशने निकल पड़े हैं। बता दें कि 64 किलोग्राम वजनी बलजीत 210 किलोग्राम की पावर लिफ्टिंग करते हैं।
इस बारे में दिल्ली के शिक्षा निदेशक उदित प्रकाश राय का कहना है, मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।अगर कोई ऐसा खिलाड़ी है तो उन्हें हमारे पास भेजिए। उनसे बात करके मामले की पूरी जानकारी ली जाएगी।
सिर्फ डाइट के लिए 15 हजार रुपये की जरूरत
बलजीत ने बताया कि उनके माता-पिता स्वास्थ्य कर्मचारी हैं। पहले उन्होंने खुब सपोर्ट किया। अब उनको चार से पांच महीने के बाद वेतन मिलता है। वह चाहकर भी सपोर्ट नहीं कर पाते। उन्होंने बताया कि सिर्फ डाइट के लिए ही हर महीने कम से कम 15 हजार रुपये की जरूरत होती है। इससे अलग भी काफी खर्चे हैं। ऐसे में वह पैसे कहां से लेकर आएं। दिल्ली सरकार की ओर से वादा किया गया था कि नेशनल में स्वर्ण जीतने वाले खिलाड़ियों को 16 लाख रुपये की स्कालरशिप मिलेगी। लेकिन अब तक सरकार की ओर से उन्हें स्कालरशिप नहीं दी गई है। बलजीत ने बताया कि दूसरे खिलाड़ी एशियन गेम्स की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन स्कालरशिप की राशि न मिलने की वजह से वह एक वर्ष से घर बैठे हैं।