कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की किल्लत के कारण जयपुर गोल्डन अस्पताल, बत्रा अस्पताल समेत कई अस्पतालों में मरीजों की जान गई। लेकिन, अब सरकार कह रही है कि ऑक्सीजन की कमी से किसी की जान नहीं गई। ऐसे में उन लोगों का दर्द और बढ़ गया जिन लोगों ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण अपनों को खोया था।
मेरे माता-पिता की आक्सीजन की कमी से मौत हुई थी। मेरे पिता चरणजीत गेरा को 12 अप्रैल को कोरोना संक्रमित होने के बाद जयपुर गोल्डन अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। 14 अप्रैल को मां सोनू रानी भी संक्रमित हो गई थीं, जिन्हें अंबेडकर अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। 23 अप्रैल को आक्सीजन की कमी से रात करीब 12 बजे मां को डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। वहीं, एक घंटे बाद जयपुर गोल्डन अस्पताल में आक्सीजन न मिलने से पापा भी हमें छोड़कर चले गए।
कोरोना संक्रमित होने के बाद छह अप्रैल को मेरे पिता इंद्र मोहन सिंह को जयपुर गोल्डन अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इससे पहले वह करनाल के कल्पना चावला अस्पताल में भर्ती थे। वहां इलाज सही न होने की वजह से उन्हें दिल्ली भर्ती करवाया गया था। यहां वह 80 फीसद ठीक हो चुके थे। डाक्टरों ने एक्स रे भी दिखाया था। लेकिन, 24 अप्रैल की सुबह अस्पताल से फोन पर बताया गया कि उनकी मौत हो गई है, जबकि तीन घंटे पहले मेरी पिताजी से बात हुई थी। ऑक्सीजन की कमी से ही उनकी मौत हुई है। अस्पताल का कहना है कि 21 मरीजों की मौत हुई है, लेकिन ऑक्सीजन से जान गंवाने वालों का आंकड़ा 50 से ज्यादा था।
कोरोना संक्रमित होने पर मैने अपनी मां डेल्फिन मेसी को 15 अप्रैल को जयपुर गोल्डन अस्पताल में भर्ती कराया था। 23 अप्रैल की देर रात उनका निधन हो गया। अगली सुबह अस्पताल प्रशासन की ओर से बताया गया कि आक्सीजन खत्म हो जाने के कारण 21 कोरोना मरीजों की मौत हो गई है। मेरी मां भी उनमें से एक थीं। अब सरकार कह रही है कि आक्सीजन की कमी से एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है। दरअसल, केंद्र व राज्य सरकारें कोरोना से हुई मौतों पर राजनीति कर रही हैं।
मैंने अपने पति एडवोकेट अतुल बंसल को आठ अप्रैल को जयपुर गोल्डन अस्पताल में भर्ती कराया था। वह ठीक हो रहे थे। 23 अप्रैल को मैने उनसे वीडियो काल पर बात भी की थी, लेकिन 24 को उनके निधन की सूचना मिली। अब केंद्र व राज्य सरकारें इस मामले पर राजनीति व बयानबाजी कर रही हैं, लेकिन कोई भी यह बताने को तैयार नहीं है कि आखिर इस मामले में सरकारों ने क्या कार्रवाई की। अस्पतालों व सरकारों की लापरवाही से लोगों की जान गई हैं। पीड़ित परिवारों को इंसाफ मिलना चाहिए।
हमारे अस्पताल में 12 मरीजों की ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत हुई थी। इनमें अस्पताल के ही सीनियर डाक्टर हिमतानी भी शामिल हैं। दरअसल, प्रोटोकाल के अनुसार कोविड और नान कोविड डेथ लिखने की ही व्यवस्था थी। ‘ विभिन्न राज्यों ने केंद्र सरकार को जो आंकड़े दिए हैं, उनमें मौत का कारण कोविड लिखा है, लेकिन यह तो पूरी दुनिया को पता है कि आक्सीजन की कमी थी।