दैनिक यात्रा के लिए सार्वजनिक परिवहन सेवा का इस्तेमाल करने वालों के लिए खुशखबरी है। सोमवार से दिल्ली मेट्रो के साथ ही दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की बसों को सभी सीटों पर यात्रियों को बैठाकर यात्रा की अनुमति मिल गई है। लोगों ने इसका लाभ भी उठाना शुरू कर दिया है। इससे मेट्रो व बसों में दोगुने क्षमता में यात्री सफर कर सकेंगे। लिहाजा मेट्रो व बस के लिए लंबी लाइनों के साथ लंबे इंतजार से बच सकेंगे। राष्ट्रीय राजधानी में सभी बाजार और कार्यालय खुल गए हैं। करीब-करीब सभी गतिविधियां सामान्य होने की ओर हैं। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के इस फैसले से बाजारों में कारोबार बढ़ने और कार्यालयों के भीतर गतिविधियां बढ़ने का अनुमान है।
हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। इससे बाजार आने जाने वाले लोगों को राहत मिलेगी। लेकिन जब सभी सीटों पर यात्रा की अनुमति मिल गई है तो दिल्ली मेट्रो को अपने सभी स्टेशनों के सभी गेटों को खोल देना चाहिए। अभी हर स्टेशन के एक या दो गेट ही खुले हैं। इसके चलते लोगों को गेट तक पहुंचने के लिए लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है। बृजेश गोयल (चेयरमैन, चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री) का कहना है कि
छात्रा गीतांजलि का कहना है कि यह राहत भरी खबर है। क्योंकि इससे मेट्रो ट्रेन में अधिक संख्या में लोग यात्रा कर सकेंगे। यही स्थिति बसों को लेकर भी रहेगी, लेकिन चिंता की बात यह कि मेट्रो ट्रेन में जितने लोग बैठकर यात्रा नहीं कर रहे हैं। उससे अधिक लोग खड़े होकर यात्रा कर रहे हैं, जबकि यह प्रतिबंधित है। उन्हें रोकने का कोई तंत्र नहीं है। हमें देखना होगा कि आरामदेह के साथ यात्रा सुरक्षित भी हो।
कर्मचारी बालकृष्ण (अमरसरिया) कहना है कि बाजार और कार्यालय खुलने के साथ हम इसकी मांग कर रहे थे कि मेट्रो व बसें पूरी क्षमता के साथ चलाई जाएं। क्योंकि जितने यात्री हैं, उसकी तुलना में लोगों को सीटें नहीं मिल रही थीं। वहीं आटो व कैब वाले मनमाना किराया मांग रहे थे। इसके चलते यात्रियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। अब जबकि इसकी अनुमति मिल चुकी है तो कर्मचारी अब कम परेशानी में कार्यालय पर दुकानों पर जा सकेंगे।
बता दें कि दिल्ली मेट्रो की ट्रेनों में सिर्फ बैठकर ही यात्रा कर सकेंगे। कुल मिलाकर एक कोच में 50 मेट्रो यात्री ही सफर कर पाएंगे। वहीं, मास्क नहीं लगाने और शारीरिक दूरी का पालन नहीं करने पर लोगों को 200 रुपये का फाइन भरना होगा।