अफगानिस्तान में दिनोंदिन खराब होते हालातों के बीच अमेरिका ने पाकिस्तान को कहा है कि वो अफगान शरणार्थियों के लिए अपनी सीमा को खोलकर रखे। अफगानिस्तान में बढ़ते तनाव के बीच काफी संख्या में लोग पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हो रहे हैं। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तान जैसे देश के लिए ये काफी महत्वपूर्ण होगा कि वो ऐसे में अपनी सीमा को अफगान नागरिकों के लिए खोलकर रखे। विदेश मंत्रालय की तरफ से ये भी कहा गया है कि यदि तनाव के चलते अफगानी उत्तर की तरफ जाते हैं तो जाहिर सी बात है कि वो ईरान और तुकी का रुख करेंगे। उनके लिए इन देशों की सीमाओ में दाखिल होकर वहां पर खुद को रजिस्टर्ड कराने का भी मौका होगा।
अमेरिका ने सीमाओं को खोलने की अपील सिर्फ पाकिस्तान से ही नहीं की है बल्कि ऐसी ही अपील तुर्की के लिए भी की गई है। अमेरिका ने कहा है कि उनके यहां पर अफगान शरणार्थियों के आने से पहले तुर्की को उन्हें करीब 14 माह के लिए अपने यहां पर रहने की इजाजत देनी चाहिए। अमेरिका की इस अपील पर पाकिस्तान की भी प्रतिक्रिया सामने आ गई है। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने अमेरिका के इस बयान पर कहा है कि अफगानी को दरबदर भटकते हैं, उनके रहने का इंतजाम उनके ही देश में किया जाना चाहिए। उन्होंने अमेरिका की अपील को सीधेतौर पर खारिज करते हुए कहा है कि पाकिस्तान इनका बोझ उठाने के लिए तैयार नहीं है। पाकिस्तान में इतनी क्षमता नहीं है।
तुर्की ने भी अमेरिका की अपील को खारिज कर दिया है। इतना ही नहीं तुर्की ने अमेरिका की अपील की आलोचना भी की है। तुर्की का कहना है कि इससे शरणार्थी संकट तेजी से बढ़ जाएगा। तुर्की ने अमेरिका की अपील को ये कहते हुए खारिज कर दिया है कि ये गैरजिम्मेदाराना है, जिसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यदि अमेरिका अफगान शरणार्थियों को अपने यहां पर शरण देना चाहता है तो वो सीधेतौर पर ही इस काम को कर सका है। वो उन्हें विमान सेवा के जरिए वहां पर ले जा सकता है। इसके लिए तुकी को बीच में डालने की कोई जरूरत नहीं है।
तुर्की ने शरणार्थियों को राहत की गेंद पाकिस्तान और ईरान के पाले में फेंक दी है। तुर्की के विदेश मंत्रालय का कहना है कि अफगान लोगों के लिए दो ही देश सबसे प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। इनमें से एक पाकिस्तान है तो दूसरा ईरान है। आपको बता दें कि जब से ईरान के साथ अमेरिका ने अपने कूटनीतिक रिश्तों को खत्म किया है तब से ही वो अपनी नीतियों को लागू करने के लिए पाकिस्तान की तरफ देखता है।