सेटेलाइट को आर्बिट तक पहुंचाने से पहले इन चरणों से गुजरना है पड़ता, जानें- ISRO का EOS-03 किस स्‍टेज पर हुआ फेल

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा छोड़ा गया GSLV-F10/EOS-03 आज सफल होने से चूक गया। इसकी वजह से अर्थ आब्‍जरवेशन सेटेलाइट-3 (EOS-3) मिशन भी पूरा नहीं हो सका। जीएसएलवी ने गुरुवार की सुबह करीब 5:43 पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्‍पेस सेंटर से सफल उड़ान भरी थी। इस उड़ान के दो चरण भी सफलतापूर्वक पूरे हो गए थे, लेकिन इसके बाद आई तकनीकी खराबी की वजह से इसरो को नाकामी हाथ लगी। इसकी वजह से सेटेलाइट भी नष्‍ट हो गया। गौरतलब है कि ये स्‍वदेशी क्रायोजनिक इंजन की मदद से लान्‍च होने वाला 8वां मिशन था। इसके अलावा जीएसएलवी का ये 14वां और सतीश धवन स्‍पेस सेंटर से छोड़ा गया ये 79वां मिशन था।

जीएसएलवी

आपको बता दें कि धरती से लान्‍च होने के बाद जीएसएलवी समेत दूसरे यान को सेटेलाइट लान्‍च करने से पहले कई चरणों से गुजरना होता है। जरा सी चूक की वजह से वैज्ञानिकों की वर्षों की मेहनत पर पानी फिर जाता है, इसलिए हर चरण की बेहद बारीकी से जांच की जाती है। लान्चिंग से पहले सामने आने वाली छोटी सी खराबी को सुधारने के लिए लान्चिंग को टाल भी दिया जाता है।

पांच होते हैं चरण

जहां तक जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लान्‍च व्‍हीकल या जीएसएलवी-एफ10 के सेटेलाइट लान्चिंग के सफर की बात करें तो इसके पांच चरण थे। ये पूरा मिशन ही करीब 18 मिनट 39 सेकेंड का था। इसका अर्थ है कि उड़ान के 18 मिनट 39 सेकेंड के बाद ईओएस-03 को सफलतापूर्वक लान्‍च किया जाना था। लान्‍च होने के करीब दो मिनट 31 सेकेंड के बाद यान का पहला सेपरेशन होना था, जो इसका पहला चरण था। इसको सफलतापूर्वक कर लिया गया था। इसके साथ ही यान का दूसरा चरण भी शुरू हो गया। जीएसएलवी के लान्‍च के करीब 3 मिनट 55 सेकेंड में पेलोड फेयरिंग सेपरेशन हुआ। 4 मिनट 51 सेकेंड पर यान का दूसरे चरण बंद हुआ और तीन सेंकेड के बाद इसका सेपरेशन सफलतापूर्वक हो गया था। यहां से इसका तीसरा चरण शुरू होना था। 4 मिनट 56 सेकेंड पर क्रायो अपर स्‍टेज इग्‍नीशन होना था, जिसमें ये असफल रहा। इसके साथ यान को आगे के करीब 14 मिनट 39 सेकेंड की यात्रा पूरी करनी थी। लेकिन इस चरण में आई खराबी की वजह से ये मिशन असफल हो गया। यदि सब कुछ ठीक रहता तो 18 मिनट 29 सेकेंड पर ये चरण पूरा हो जाता और इंजन बंद हो जाता। इसके दस सेंकेड के बाद अर्थ आब्‍जरवेशन सेटेलाइट-03 को लान्‍च कर दिया जाता।

एक नजर इधर भी

आपको बता दें कि ये पूरा यान अलग अलग भागों में बंटा हुआ होता है। इसमें सबसे ऊपर सेटेलाइट होती है, जिसको पेलोड कहा जाता है। ये करीब साढ़े आठ मीटर की ऊंचाई और चार मीटर की चौड़ाई होती है। इसके बाद क्रायो अपर स्‍टेज का नंबर आता है, जो यान की थर्ड स्‍टेज होती है। इसकी ऊंचाई करीब 9.9 मीटर और इसका डायामीटर करीब 2.8 मीटर था। इसके नीचे सेकेंड स्‍टेज जीएस2 (जीएल 40) होता है जो करीब 11.9 मीटर ऊंचा और 2.8 मीटर चौड़ा होता है। इसके नीचे फस्‍र्ट स्‍टेज का भाग होता है, जो तीन दो में होता है। इसकी ऊंचाई 19.7 मीटर और 20.2 मीटर होती है।

सेटेलाइट को कहां करना था स्‍थापित

जीएसएलवी के जरिए EOS-03 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर आर्बिट (GTO) में लान्‍च करना था, जिसके बाद इसको जियोस्‍टेशनरी आर्बिट (GO) में स्‍थापित किया जाना था। इस कक्षा में स्‍थापित की जाने वाली सभी सेटेलाइट को GTO में ही लान्‍च किया जाता है। GTO से GO तक का सफर सेटेलाइट को इनबिल्‍ट इंजन के थ्रस्‍ट से पूरा करना होता है। GTO धरती से करीब 42164 किमी दूर है।