शराब के अवैध कारोबार पर शिकंजा, मिलावटी शराब बेचने वालों को कड़ा दंड देने से पूर्ण नियंत्रण संभव

मध्य प्रदेश में मिलावटी (जहरीली) शराब बेचने वालों का अंजाम तय कर दिया गया है। विधानसभा ने इस अपराध के विभिन्न प्रकारों को परिभाषित करते हुए सजा का स्तर फांसी तक तय कर दिया है। यह किसी से छुपा नहीं है कि राज्य में लंबे समय से चल रहा मिलावटी शराब का धंधा समय-समय पर जानलेवा साबित हुआ। पिछले डेढ़ साल में ही मिलावटी शराब से हुई 39 लोगों की मौत ने उनके स्वजनों को दुख तो दिया ही, सरकारी तंत्र पर भी सवाल खड़े किए। उज्जैन में 14 अक्टूबर 2020 को 12 लोगों की मौत हुई थी। विपक्षी दलों ने सरकार को जमकर घेरा। मुरैना जिले में 11 जनवरी 2021 को हुई घटना ने सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। हालांकि सरकार ने सख्ती दिखाते हुए मुरैना कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को हटा दिया था।

आखिरकार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने मजबूत कानून के जरिये इस धंधे पर चोट करने की रणनीति बनाई, जिस पर मंगलवार को विधानसभा ने ध्वनिमत से अपनी मुहर लगा दी। एक तरह से सरकार ने शराब में मिलावट करने वालों से निपटने की तैयारी कर उन लोगों की जिंदगी की कीमत पहचानी है, जो इसका शिकार होते हैं। मध्य प्रदेश में शराब का अवैध परिवहन खूब होता है। महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश की सीमाओं से घिरा होने के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में यह अवैध धंधा काफी फल-फूल रहा है। इन राज्यों के धंधेबाज सस्ती शराब की आपूर्ति के नाम पर मिलावट का खेल खेलते हैं। खतरनाक रसायनों से मिलाकर बनाई जाने वाली शराब तब अधिक घातक हो जाती है जब मिलावट एक सीमा से अधिक हो जाती है। प्रदेश के कई हिस्सों में भी बड़े पैमाने पर अवैध शराब का निर्माण किया जाता है।

जनजातीय समुदाय को जरूरत भर के लिए शराब बनाने की छूट का भी धंधेबाज अपने लिए अवसर की तरह उपयोग करते हैं। यही कारण है कच्ची भट्टियों में उबलते मौत के सामान पर नकेल कसने की मांग समय-समय पर उठती रही है। सियासत का रंग भी कई बार चढ़ा। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कुछ माह पूर्व ही प्रदेश में शराबबंदी का मुद्दा उठाकर अपनी ही पार्टी को असमंजस में डाल दिया था। हालांकि चरणबद्ध आंदोलन करने की उनकी घोषणा किसी अंजाम तक नहीं पहुंची, लेकिन सरकार को इस समस्या की गंभीरता का अंदाजा हो गया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कहा था कि हम नशाबंदी के पक्ष में हैं। किसी भी प्रकार का नशा घातक होता है। उनकी स्वीकारोक्ति के बावजूद शराब से राज्य सरकार को मिलने वाले राजस्व का मोह छोड़ना आसान नहीं था। फिर भी सरकार ने इस समस्या से निपटने की नए ढंग से तैयारी की है। कड़े प्रविधानों के साथ सरकार द्वारा बनाया गया मध्य प्रदेश आबकारी संशोधन विधेयक 2021 विधानसभा से पारित हो गया है। राज्यपाल का हस्ताक्षर होने के बाद यह कानून का रूप ले लेगा।

मध्य प्रदेश ने विधेयक प्रस्तुत करने से पूर्व उत्तर प्रदेश में लागू कानून का भी अध्ययन किया और अलग-अलग प्रकार के अपराधों में सजा तय की। उत्तर प्रदेश में किसी की मौत होने या हालत गंभीर होने पर आरोपितों के लिए मौत या उम्र कैद की सजा का प्रविधान है। ऐसी ही व्यवस्था पंजाब में भी है, लेकिन मध्य प्रदेश ने अपने कानून में किसी भी प्रकार की शारीरिक क्षति को बेहतर तरीके से परिभाषित किया है। इसके तहत मिलावटी शराब के सेवन से मृत्यु के मामले में आरोपित के विरुद्ध बार-बार दोषसिद्ध होता है तो उसे मृत्युदंड की सजा और कम से कम बीस लाख रुपये के जुर्माने से दंडित किया जा सकेगा।

मादक द्रव्य में हानिकारक या अन्य मिलावट करने पर जुर्माना न्यूनतम तीन सौ रुपये के स्थान पर तीस हजार और अधिकतम दो हजार की जगह दो लाख रुपये होगा। आबकारी विभाग या पुलिस की जांच में बाधा पहुंचाने या उन पर हमला करने पर दो की जगह अब तीन साल का कारावास होगा। इस प्रविधान से यह अपराध गैर जमानती हो जाएगा। पहली बार मिलावटी शराब मिलने के अपराध से जुड़े मामलों में कारावास दो माह की जगह न्यूनतम छह माह और जुर्माना एक लाख रुपये से कम नहीं होगा। मिलावटी शराब से शारीरिक क्षति (जैसे आंखों की रोशनी जाना आदि) होने पर न्यूनतम चार माह की जगह दो वर्ष और अधिकतम आठ वर्ष के कारावास के साथ न्यूनतम दो लाख रुपये का जुर्माना होगा। मिलावटी शराब के सेवन से मृत्यु होने पर न्यूनतम दो वर्ष की जगह दस वर्ष और अधिकतम आजीवन कारावास व न्यूनतम पांच लाख रुपये का जुर्माना लगेगा।