दिल्ली-एनसीआर समेत समूचे देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में हल्का इजाफा हुआ है, ऐसे में यह चिंता बढ़ाने वाला है। देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां पर कोरोना वायरस की संक्रमण दर 0.07 फीसद से बढ़कर 0.08 फीसद हो गई है। इस वजह से रविवार को दिल्ली में कोरोना के 53 नए मामले आए। वहीं 18 मरीज ठीक हुए। ठीक होने वाले मरीजों की तुलना में नए मामले अधिक होने के कारण सक्रिय मरीजों की संख्या बढ़कर 500 से अधिक हो गई है।
वहीं, राहत की बात यह है कि पिछले 24 घंटे में कोरोना से एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है। इस तरह पिछले पांच दिन में यह चौथा मौका है, जब कोरोना से एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है।
वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अनुसार दिल्ली में कोरोना के अब तक कुल 14 लाख 37 हजार 91 मामले आए हैं। जिसमें से 14 लाख 11 हजार 509 मरीज ठीक हो चुके हैं। वहीं, मृतकों की कुल संख्या 25,069 है। मौजूदा समय में दिल्ली में 513 सक्रिय मरीज हैं। जिसमें से 287 मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं। एक दिन पहले तक 478 सक्रिय मरीज थे। दिल्ली में अभी 243 कंटेनमेंट जोन हैं।
वहीं, विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह दी है कि कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर के लिए लोगों को लापरवाही जिम्मेदारी होगी। ऐसे में सभी को चाहिए कि भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। शारीरिक दूरी का पालन करने के साथ मास्क अनिवार्य रूप से लगाएं।
कोरोना संक्रमित बच्चों के इलाज के लिए 300 कर्मचारी किए गए प्रशिक्षित
जागरण संवाददाता से मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान प्रशासन तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर ट्रामा सेंटर में सुविधाएं बढ़ाने में लगा हुआ है। एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि ट्रामा सेंटर में तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर दो नए आइसीयू वार्ड तैयार किए जा रहे हैं। इसके अलावा कोरोना संक्रमित बच्चों के इलाज के लिए 300 नर्सिंग व पैरामेडिकल कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है। इसका कारण यह है कि यदि बच्चे कोरोना से बीमारी होकर अधिक इलाज के लिए पहुंचेंगे तो उनकी देखभाल के लिए दक्ष कर्मचारियों की जरूरत भी पड़ेगी।
एम्स से एनसीआइ झज्जर के बीच एंबुलेंस ने लगाए 20 हजार फेरे
एम्स ने हरियाणा के झज्जर स्थित राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआइ) में कोरोना के इलाज की व्यवस्था की थी। एम्स की इमरजेंसी में पहुंचने वाले कोरोना के मरीजों को संस्थान की एंबुलेंस से एनसीआइ ले जाकर भर्ती किया जाता था। एम्स प्रशासन का कहना है कि एनसीआइ में कोरोना के 8300 मरीजों का इलाज हुआ है। इस वजह से एंबुलेंस ने एम्स से एनसीआइ के बीच 20 हजार फेरे लगाए।