कैथल के किसान ने नई तकनीक अपनाकर न सिर्फ अपनी जिंदगी बदली, बल्कि आसपास के गांव के लोगों की तकदीर बदल दी। हर साल प्रति एकड़ तीन लाख रुपये कमा रहे हैं। खास बात है ज्वार अब फायदे की फसल बन चुकी है।
कैथल के शेरगढ़ गांव के किसान महीपाल से मिलिए। महीपाल बताते है कि पिछले चार साल से सुपर नेपियर किस्म की कलम लगाकर ज्वार उगा रहे हैं। इससे वह हर साल सभी खर्चे निकाल कर तीन लाख रुपये की आय ले रहे है। महीपाल द्वारा उगाए चारे को दूर- दूर से किसान देखने आते हैं साथ ही कलम खरीदकर ले जाते हैं। किसान ने बताया कि ये ज्वार पशुओं के खाने में सबसे अच्छी है। इस चारे की खासियत ये है कि बार- बार बिजाई नहीं करनी पड़ती है। एक बार बिजाई करने के बाद सात साल तक फसल फुटाव करती रहेगी।
मार्च से अक्तूबर तक कर सकते हैं बिजाई
किसान महीपाल ने बताया कि सुपर नेपियर हरे चारे की बिजाई मार्च माह से लेकर अक्तूबर तक कभी भी की जा सकती है। कलम के द्वारा बिजाई करते है। इसके लिए खेत में पूरी नमी होना जरूरी है। एक एकड़ में करीब 11 हजार कलम लगाई जाती है। 60 से 70 दिन में हरे चारे की फसल सात फीट तक लंबी हो जाती है। पूरी फसल तैयार होने के बाद 18 फुट तक की उंचाई ली जाती है।
ज्वार में है गन्ने जैसा मिठास
किसान ने बताया कि इसका तना नरम होता है। तरांती से आसानी से काट सकते है। बिजाई के बाद यूरिया डालते है। फसल की एक बार कटाई के बाद 35 दिन बाद फिर दोबारा से तैयार हो जाती है। इस तरह से किसान सात साल तक फसल की कटाई कर उत्पादन ले सकता है। सुपर नेपियर ज्वार में मिठास होती है। मिठास ज्यादा होने के कारण पशु ज्यादा खाते है। इस ज्वार के खिलाने से पशु को बीमार कम होने की संभावना रहती है। दूध पशु ज्यादा देता है।
चार साल पहले महाराष्ट्र से लाए कलम
महीपाल बताते है कि चार साल पहले महाराष्ट्र से सुपर नेपियर हरे चारे की किस्म की दो हजार कलम मंगवाई थी। हालांकि बीज काफी महंगा था। इसके बाद खेत में उन्होंने रोपाई की। जब फसल तैयार हुई और पशुओं को डाली तो दूध अधिक मात्रा में देने लग गए। उसके बाद से इसी ज्वार की बिजाई करते है।