आज भाद्रपद माह की गणेश चतुर्थी है। आज के दिन भगवान विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा की जाती है। उनकी कृपा से जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है, कार्य बिना विघ्न के सफलतापूर्वक संपन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पूजा के समय गणेश जी को मोदक और दूर्वा अर्पित किया जाता है। ये दोनों ही उनको बहुत प्रिय हैं। आज बुधवार है और गणेश चतुर्थी भी। आज के दिन हम आपको संकटनाशन गणपति स्तोत्र के बारे में बता रहे हैं। संकटनाशन गणपति स्तोत्र का वर्णन नारद पुराण में मिलता है। यदि पूजा के समय आप संकटनाशन गणपति स्तोत्र का पाठ करते हैं, तो आपके जीवन के सभी संकटों को श्री गणेश जी दूर कर देते हैं। वे अपने भक्त को बुद्धि, विवेक, यश, वैभव आदि सभी चीजें प्रदान करते हैं।
पूजा के समय आप जब भी संकटनाशन गणपति स्तोत्र का पाठ करें, तो शुद्ध उच्चारण का ध्यान रखें। संकटनाशन गणपति स्तोत्र पाठ करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं।
संकटनाशन गणपति स्तोत्र
प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम्।
भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये।।
प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम्।
तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम्।।
लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम्।।
नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम्।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन्।।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो।।
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम्।।
जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते।
संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः।।
अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते।।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः।।