सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई कार्रवाई फरीदाबाद नगर निगम के मुताबिक यहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर साढ़े छह हजार घरों को तोड़ा गया है। ये घर अरावली की पहाडि़यों पर अवैध तरीके से बनाए गए थे। फरीदाबाद नगर निगम की तोड़फोड़ की कार्रवाई 32 दिनों तक चली है। इस कार्रवाई में सुरक्षा के लिए 3500 पुलिसकर्मियों को लगाया गया था। नगर निगम के मुताबिक अब तक 150 एकड़ ज़मीन खाली कराई जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस वर्ष अप्रैल में खोरी गांव से अवैध निर्माणों को हटाने की कार्रवाई शुरू हुई थी। सात जून को सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई पूरी करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया था, जिसके बाद 23 जुलाई को एक महीने का अतिरिक्त समय दिया था। फरीदाबाद नगर निगम ने 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत शपथपत्र में कहा है कि खोरी गांव से अवैध निर्माण पूरी तरह हटा दिया गया है और बिना किसी पक्षपात के कार्रवाई की गई है। हरियाणा सरकार खोरी गांव से हटाए गए लोगों के पुनर्वास पर काम कर रही है। इस मामले में अगली सुनवाई अब छह सितंबर को होगी।

साइबर ठग अब अपने शिकार के सेलफोन पर एनीडेस्क एप डाउनलोड कराकर ठगी कर रहे हैैं। एनीडेस्क डाउनलोड करा ठग सेलफोन का कंट्रोल अपने हाथ में ले लेते हैैं और कुछ पलों में बैंक खाता खाली कर देते हैैं। इस रकम को ठग अपने खाते में नहीं रखते बल्कि बेंगलुरु से आपरेट हो रहे आनलाइन रमी के खेल में लगाते हैं।

यह गिरोह बंगाल, असम और बिहार से अपना नेटवर्क चला रहा है। अंबाला छावनी के कपड़ा कारोबारी सुंदर मोहन इस गिरोह का शिकार बन गए। उनके साथ दस लाख की ठगी कर ली गई। पुलिस के साइबर सेल ने जब पड़ताल की तो पता चला कि ठगों ने फर्जी आइडी और छह बैंक खातों का उपयोग किया है। आनलाइन रमी खेल के दौरान कुछ ही देर में रकम बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी गई।

हुआ यह कि तीन अगस्त को कारोबारी सुंदरमोहन के मोबाइल पर दोपहर 1:50 बजे उसके खाते से एक लाख, 90 हजार और इसी तरह 9 लाख 99 हजार 978 रुपये कट गए। 2:10 बजे तक ठगों ने इन रुपयों को निकाल भी लिया। दोपहर तक कारोबारी को पता भी नहीं चल पाया कि उसके खाते से रकम कटती जा रही है। शाम करीब 7:28 बजे उसके सेलफोन पर एक के बाद एक कई मैसेज आए तो उसे ठगी का पता चला।

इस प्रकरण की जब साइबर सेल ने जांच की तो सामने आया कि यह गिरोह बंगाल, असम और बिहार से चलाया जा रहा है। रमेश प्रभु नाम की आइडी पर कर्नाटक का पता देकर सेलफोन नंबर लिया गया। कारोबारी से बातचीत कर उसके सेलफोन पर एनीडेस्क एप डाउनलोड करा दिया। उसके बाद इस एप के माध्यम से कारोबारी के फोन का कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया। इसके बाद पहले रमी पर रकम लगाई। फिर कुछ देर बाद ही बंगाल के एक निजी बैंक खाते में वह रकम ट्रांसफर हो गई। बिश्वजीत मंडल बंगाल के खाते में दो लाख रुपये, उज्ज्वल मोंडल के बैंक खाते में एक लाख, रतीबुल के दो खातों में दो-दो लाख, कुमार के चेन्नई स्थित बैंक खाते में 99 हजार 995 रुपये, सौफीकुल के खाते में दो लाख रुपये ट्रांसफर हुए। पुलिस की प्रारंभिक जांच में पाया गया कि बैंक खाते और सेलफोन की आइडी अलग-अलग लोगों की है।

पुलिस ने भुगतान रुकवाया

साइबर पुलिस ने कारोबारी का पैसा रमी खेल में लगने की जानकारी मिलते ही नोडल अधिकारी से बातचीत कर चार अगस्त को भुगतान रुकवा दिया। इस दौरान 20 लोगों के बीच आनलाइन रमी गेम में रुपयों का लेनदेन हुआ था। लेकिन पता चला कि कारोबारी की रकम रमी में लगने के कुछ ही समय बाद ठगों ने बैैंक खातों में ट्रांसफर कर निकाल ली थी।