फुर्सत के पलों में भी बढ़ता है डिप्रेशन, मनोरंजक गतिविधियों को बेकार मानने से बढ़ती है समस्या

भागदौड़ की जिंदगी में लोग फुर्सत के पल पाने को लालायित रहते हैं। यही सोचते रहते हैं कि कब समय मिले कि थोड़ा चैन ले सकूं। लेकिन यही फुर्सत आपको परेशान भी कर सकती है। ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया है कि जब आपके जेहन में यह बात आ जाती है कि फुर्सत में बेकार बैठे हैं और कोई काम नहीं हो पा रहा तो इससे फुर्सत में होने की आपकी खुशी फुर्र हो जाती है और तनाव तथा अवसाद बढ़ता है।

यह शोध जर्नल आफ एक्सपरिमेंटल सोशल साइकोलाजी में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने आधुनिक समाज की इस आम धारणा पर कई अध्ययन किए हैं कि अंतिम लक्ष्य तो उत्पादकता ही है और मौज-मस्ती समय की बर्बादी है। ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के फिशर कालेज आफ बिजनेस में मार्केटिंग के प्रोफेसर तथा इस अध्ययन के सह-लेखक सेलिन माल्कोक ने बताया है कि अधिकांश लोगों ने माना है कि फुर्सत के पलों में वे मानसिक तौर पर कमजोर भी हुए।उन्होंने कहा कि कई शोध ऐसे हुए हैं, जिनमें कहा गया है कि फुर्सत होने से लोगों को मानसिक तौर पर फायदा हुआ है और इससे उत्पादकता बढ़ी है। लेकिन हमने पाया है कि यदि लोगों ने यह सोचना शुरू कर दिया कि फुर्सत बेकार है, तो उससे वे ज्यादा अवसाद और तनाव में आ गए। एक अन्य शोधकर्ता तथा सह-लेखिका रेबेका रेकजेक ने बताया कि यदि किसी उत्पादक कार्य के लिए फुर्सत के पलों का इस्तेमाल किया जाए तो ऊबने वाले लोगों से ज्यादा फायदा होता है।

फुर्सत के समय में आप क्या करते हैं या सोचते हैं, उससे खुशी, तनाव या अवसाद की स्थिति तय होती है। यदि आप खाली समय में व्यायाम करते हैं तो खुशी मिल सकती है और टीवी देखने में समय गंवाते हैं तो अवसाद के शिकार हो सकते हैं।

मनोरंजक गतिविधियों को बेकार मानने से बढ़ती है समस्या

फुर्सत के पलों में नकारात्मकता का भाव किसी एक देश या क्षेत्र तक सीमित नहीं है। अमेरिका, भारत और फ्रांस को लेकर किए गए तुलनात्मक अध्ययन में पाया गया कि फ्रांस के लोगों में अमेरिकियों से कम नकारात्मकता रही, जबकि भारत में सांस्कृतिक रूढ़ियों के कारण फुर्सत के पल ज्यादातर लोग बेकार ही मानते हैं। लेकिन फ्रांस के भी जिन लोगों ने फुर्सत के समय को तिरस्कार के भाव से देखा, उनमें भी उसके दुष्प्रभाव एक जैसे ही थे। रेबेका रेकजेक का कहना है कि हम एक ऐसे वैश्विक समाज में रहते हैं, जहां सब दूर यह संदेश जाता है कि व्यस्त और उत्पादक कार्यो से जुड़ा रहना बहुत ही अहम है। ऐसे में यदि आपने एकबार यह मान लिया कि फुर्सत या मनोरंजन बेकार है तो हमारे शोध का निष्कर्ष है कि आप ज्यादा अवसादग्रस्त होंगे और खुश नहीं रह पाएंगे।