अब दिल्ली कांग्रेस की कलह खुलकर आयी सामने, राहुल गांधी से कई सीनियर नेताओं की शिकायत

दिल्ली में वजूद की जंग लड़ रही कांग्रेस के नेताओं की आपसी लड़ाई भी थमने में नहीं आ रही है। स्थिति यह हो गई है कि अब तो यह लड़ाई प्रदेश कार्यालय से निकलकर शीर्ष नेतृत्व के दरबार तक जा पहुंची है। प्रदेश नेतृत्व के पास भविष्य का रोडमैप भले ही ना हो, लेकिन शिकायतोें और खामियों का पिटारा भरा पूरा है।

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के बाद लगातार हाशिये पर जा रही प्रदेश कांग्रेस आगामी नगर निगम चुनाव के लिए भी कतई तैयार नहीं है। एक एक करके 40 से अधिक नेता पार्टी को अलविदा कह चुके हैं जबकि काफी जाने की फिराक में हैं। शायद इसीलिए मंगलवार को पार्टी के के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी सहित पांचों उपाध्यक्षों को बैठक के लिए बुलाया।

इस दौरान राहुल ने खुद नहीं के बराबर बोलकर प्रदेश नेतृत्व के इन छहों नेताओं काे सुनने और उनका आकलन करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने इनसे पूछा कि नगर निगम चुनाव को लेकर आपका रोडमैप क्या है और विधानसभा चुनाव में चार फीसद मतों पर सिमटी कांग्रेस को आगे किस तरह बढ़ाया जाएगा। लेकिन शीर्ष नेतृत्व के सवालों का सटीक जवाब देने के बजाए प्रदेश नेतृत्व ने अपना ही राग अलापना शुरू कर दिया।

अनिल चौधरी का कहना था कि उन्हें दिल्ली में केवल तीन वरिष्ठ नेताओं का ही सहयोग मिल रहा है। ये तीन नेता पूर्व मंत्री हारून यूसुफ, डा नरेंद्र नाथ और पूर्व विधायक हरिशंकर गुप्ता बताए जा रहे हैं। चौधरी की इस शिकायत के बाद उन नेताओं के माथे पर भी बल पड़ गए हैं जो अक्सर प्रदेश कार्यालय आ रहे हैं और सक्रिय भी हैं। प्रदेश नेतृत्व ने यह कहने से भी गुरेज नहीं किया कि दिल्ली में भाजपा के पास जहां मजबूत संगठन है वहीं आम आदमी पार्टी के पास चेहरा है। जबकि कांग्रेस के पास कुछ भी नहीं है।

प्रदेश उपाध्यक्ष जयकिशन का कहना था कि दिल्ली से एआइसीसी महासचिव और सचिव बनाए गए नेता प्रदेश कांग्रेस के लिए कुछ भी काम नहीं कर रहे। उन्हें भी घर से निकालना बहुत जरूरी है। जयकिशन की यह शिकायत भी अब गले की फांस बन रही है। कारण, महासचिव जहां केवल एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन हैं वहीं सचिव भी मनीष चतरथ, देवेंद्र यादव, तरुण कुमार, सीपी मित्तल और रोहित चौधरी इत्यादि गिनती के ही हैं।

एक प्रदेश उपाध्यक्ष ने ताे पार्टी की विचारधारा को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया। इनका कहना था कि आम आदमी पार्टी सुपीमो अरविंद केजरीवाल की छवि किसी एक वर्ग विशेेष से जुड़ी नहीं है। इसीलिए उन्हें हिन्दू भी वोट देता है और मुस्लिम भी। जबकि कांग्रेस से हिन्दू वोटर दूर हो गया है। इसलिए हमें अपनी सोच और विचारधारा बदलनी चाहिए।

पार्टी सूत्र बताते हैं कि राहुल गांधी ने प्रदेश नेतृत्व की बातें सुनी जरूर, लेकिन न तो अपना कोई निर्णय सुनाया और न ही वे दिल्ली को लेकर निश्चिंत हुए। इसीलिए बैठक के अगले चरण में वह दिल्ली कांग्रेस के चारों पूर्व प्रदेश अध्यक्षों अजय माकन, अरविंद सिंह लवली, जयप्रकाश अग्रवाल और सुभाष चोपड़ा सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी अपनी बात रखने और सुझाव देने के लिए बुला सकते हैं।