जेईई मेंस की परीक्षा में सोनीपत स्थित परीक्षा केंद्र के अलावा कुछ अन्य केंद्रों पर भी गड़बड़ी होने के संकेत मिले हैं। सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार छापे में मिले दस्तावेजों और गिरफ्तार आरोपियों की पूछताछ से पता चला है कि इस गिरोह के शिकार कुछ अन्य छात्र सोनीपत के अलावा दूसरे परीक्षा केंद्रों पर भी परीक्षा दे रहे थे जिनका कंप्यूटर का रिमोट एक्सेस लेकर दूर बैठा साल्वर सवालों का जवाब दे रहा था।
सात गिरफ्तार, तीन को सीबीआइ रिमांंड
इस मामले में सीबीआइ ने सात लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें तीन को अदालत ने नौ सितंबर तक सीबीआइ की हिरासत में भेज दिया है, जबकि अन्य गिरफ्तार आरोपितों को ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाया जा रहा है।
अन्य केंद्रों पर भी धांधली की आशंका
सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जांच अभी शुरुआती दौर में है लेकिन जिस तरह से संकेत मिल रहे हैं, उससे इस गिरोह के अन्य परीक्षाओं और परीक्षा केंद्रों में भी धांधली में शामिल होने की आशंका बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि सभी आयामों की जांच की जा रही है।
किस किस परीक्षा में हुई धांधली
यह देखा जा रहा है कि जेईई मेंस की परीक्षा में सोनीपत के अलावा किन-किन परीक्षा केंद्रों पर कौन कौन से छात्र इस गिरोह से मदद से परीक्षा दे रहे थे। इसके साथ ही यह पता लगाया जा रहा है कि जेईई मेंस के अलावा अन्य किस-किस परीक्षा में इस गिरोह ने इसी तरह से छात्रों को पैसे लेकर मदद पहुंचाई थी।
तीसरा निदेशक फरार
गुरुवार को दिल्ली, एनसीआर, जमशेदपुर, पुणे, बेंगलुरू और इंदौर में 19 स्थानों पर छापेमारी के बाद सीबीआइ ने शुक्रवार को सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार लोगों में दो सिद्धार्थ कृष्णा और विशंभर मणि त्रिपाठी एफिनिटी एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं। वहीं तीसरा निदेशक अभी फरार चल रहा है।
इन पर हैं आरोप
इसके अलावा रितिक सिंह, अंजुम दाउदानी, अनिमेश कुमार सिंह, अजिंक्य नरहरि पाटिल एफिनिटी एजुकेशन में काम करते हैं। जबकि जमशेदपुर से गिरफ्तार रणजीत सिंह ठाकुर गिरोह के लिए साल्वर का इंतजाम करता था। दिल्ली से गिरफ्तार सिद्धार्थ कृष्णा, विशंभर मणि त्रिपाठी और रितिक सिंह को दिल्ली की विशेष सीबीआइ अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत ने तीनों को नौ सितंबर तक सीबीआइ की हिरासत में भेज दिया।
इनको लाया जा रहा दिल्ली
वहीं पुणे से गिरफ्तार अजिंक्य नरहरि पाटिल, अनिमेश कुमार सिंह और अंजुम दाउदानी को ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाया जा रहा है। इसके अलावा बेंगलुरु के एक आरोपी की बड़ी भूमिका के संकेत मिल रहे हैं और सीबीआइ उसकी तलाश कर रही है।
12 से 15 लाख रुपये में होता था सौदा
आरोप है कि गिरोह जेईई मेंस की रैंकिंग में पीछे रह जाने वाले छात्रों से संपर्क कर 12 से 15 लाख रुपये में से बेहतर रैंकिंग दिलाने का दावा करता था, ताकि छात्र का नामांकन शीर्ष एनआइटी संस्थानों में हो सके। गिरोह पहले ही छात्रों के 10वीं और 12वीं से मूल प्रमाण पत्रों के साथ-साथ 12 से 15 लाख रुपये का पोस्ट डेटेड चेक भी ले लेता था। छापे में 30 पोस्ट डेटेड चेक के साथ-साथ 10वीं और 12वीं के मूल प्रमाण पत्र भी मिले थे।