Nutrition Week 2021: हर साल सितंबर महीने के पहले सप्ताह को राष्ट्रीय न्यूट्रीशन वीक यानी राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है। यह हर साल 1 सितंबर से लेकर 7 सितंबर तक मनाया जाता है। इसे पहली बार साल 1975 में मार्च महीने में मनाया गया था। इसकी शुरुआत अमेरिकन डायटेटिक एसोसिएशन के द्वारा की गई थी। भारत में इसे पहले बार साल 1980 में मनाया गया था। वहीं, साल 1982 से यह हर साल मनाया जाता है। इस साल की थीम “शुरू से ही स्मार्ट तरीके से खाएं” (feeding smart right from start) है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को संतुलित और पोषण से भरपूर आहार के प्रति जागरुक करना है। भारत सरकार के द्वारा लोगों को पोषण के प्रति जागरुकता के लिए साल 2018 में पोषण अभियान की शुरुआत की गई है। आइए, एक्सपर्ट्स से जानते हैं कि संतुलित आहार क्या है और यह सेहत के लिए क्यों जरूरी है-
जिंदल नेचरक्योर इंस्टीटयूट के डेप्युटी चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ जी प्रकाश ने कहा कि हर साल 1 से 7 सितम्बर तक मनाये जाने वाले ‘नेशनल न्यूट्रीशन वीक’ का लक्ष्य स्वास्थ्य और बेहतर पोषण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना होता है। भारत की होने वाली कुल बीमारी का 15% बीमारी बच्चे और मां में कुपोषण होने से होती है। इसलिए बच्चों को अच्छी तरह से पोषण से युक्त रखने के लिए माँ को उचित पोषण प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। जीवन भर एक स्वस्थ, अच्छी तरह से संतुलित डाईट खाने से गर्भावस्था का परिणाम अच्छा होता है। बेहतर पोषण शरीर के स्वस्थ वजन को बनाए रखने में मदद करता है, सामान्य वृद्धि, विकास और सामान्य तरीके से उम्र बढ़ने में सहयोग करता है, और क्रोनिक बीमारी के खतरे को कम करता है, जिससे सम्पूर्ण स्वास्थ्य अच्छा रहता है। स्वस्थ रहने के लिए संतुलित डाइट का सेवन हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसके लिए पोषण के बारे में सही जानकारी होना जरूरी है। नेशनल न्यूट्रीशन वीक विभिन्न समुदायों में विभिन्न डाईट और पोषण से संबंधित समस्याओं को समझने, डाईट और पोषण से संबंधित देश की स्थिति की निगरानी करने, राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रमों की योजना और कार्यान्वयन के लिए ऑपरेशनल रिसर्च करने और उपयुक्त तकनीकों को अपनाने पर केंद्रित होता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बेहतरीन रिसर्च के माध्यम से पोषण संबंधी समस्याओं को नियंत्रित करना और उन्हें कम करना शामिल होता है।
उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स के डायरेक्टर तथा फाउंडर डॉ शुचिन बजाज ने कहा कि भारत में अंडरन्यूट्रिशन (अल्पपोषण), ओवरन्यूट्रिशन (अतिपोषण) या माइक्रो-न्यूट्रिएंट (सूक्ष्म पोषक तत्वों) की कमी के रूप में नॉन- न्यूट्रिशियस (गैर-पौष्टिक), नॉन-बैलेंस्ड (गैर-संतुलित) खानपान की समस्या है। बाजारों में पौष्टिक भोजन की उपलब्धता समाज के सभी तबके को सही चुनने के लिए प्रेरित करने में समान रूप से महत्वपूर्ण होती है। कोरोनावायरस महामारी के दौरान हम सभी के लिए विशेष रूप से महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए संतुलित और पौष्टिक भोजन को प्रोत्साहित करना और प्रदान करना समय की जरुरत बन गयी है क्योंकि ये दो ऐसे वर्ग हैं, जो हमारे समाज की नींव रखते हैं। पोषण अभियान के तहत आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों से उपलब्ध कराए गए पोषण को पूरे देश में एक जन आंदोलन में बदला जा रहा है। 2017 में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 190.7 मिलियन कुपोषित लोग है और भारत में पांच साल से कम उम्र के 38.4% बच्चे स्टंटेड हैं और इन गंभीर समस्याओं से निपटने के लिए हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि विभिन्न पोषण वाली योजनाओं या हस्तक्षेपों का लाभ समाज के हर तबके को मिले ताकि कमजोर आबादी पोषण से सम्बंधित समस्याओं से निजात पा सके और देश के समग्र विकास में योगदान दे सके। सामुदायिक संस्थाओं और सर्विस प्रोवाइडर को पर्याप्त रूप से पोषण की कमी के प्रति जवाबदेह होना चाहिए ताकि समाज में कुपोषण की शीघ्र पहचान और समाधान किया जा सके।
वहीं, हेल्थकार्ट, नई दिल्ली के सीईओ श्री समीर माहेश्वरी ने कहा कि इस साल की थीम भारतीय संदर्भ में पोषण की असामनता पर फिट बैठती है। पोषण किसी भी व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पोषण की कमी से होने वाला कुपोषण अक्सर व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। महामारी के दौरान हमने देश में एक सिस्टेमेटिक बदलाव देखा है। क्योंकि प्रीवेन्टिव केयर (निवारक देखभाल) ज्यादा से ज्यादा महत्वपूर्ण होती जा रही है। इसका कारण यह है कि लोग अपने स्वास्थ्य के बारे में अधिक जागरूक हो रहे हैं। अपना ख्याल रखने और संतुलित जीवन जीने के बारे में जागरूकता फैलने से पोषण की असामनता को हल करने के लिए और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। 2017 के एक सर्वे के अनुसार 73% भारतीयों में प्रोटीन की कमी है और 90% से ज्यादा लोग अपनी डेली प्रोटीन की जरुरत के बारे में नही जानते हैं। विश्व में जहां प्रोटीन की खपत (प्रति व्यक्ति प्रति दिन औसतन प्रोटीन की खपत 68 ग्राम) बढ़ रही है, तो वहीं भारत में औसत प्रोटीन खपत सबसे कम 47 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिन है। यह भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा रिकमेंडेड 48 ग्राम / दिन की जरुरत से भी कम है। एक स्वस्थ राष्ट्र के लिए विकास के पथ पर अग्रसर होने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि लोग स्वस्थ हों। स्वस्थ बच्चों को पैदा करने वाली माताओं को बच्चों के लिए बेहतर पोषण सुनिश्चित करने की जरुरत है।