करनाल के जिला सचिवालय के बाहर आंदोलनकारी डटे हैं। किसानों के तेवर जस के तस हैं। उन्होंने रात यहीं खुले में बिताने के बाद सुबह ही टेंट लगाने शुरू कर दिए। दिन में धूप से बचाव के लिए टैंट की व्यवस्था की जा रही है। सुबह के नाश्ते और लंगर की व्यवस्था भी की गई है। वहीं किसान नेता राकेश टिकैत मीडिया के सामने आए।
राकेश टिकैत ने दो टूक कहा कि दिल्ली बार्डर से अलग यहां कितने भी समय के लिए अलग मोर्चा लगाने से कोई गुरेज नहीं है। यह साफ हो चुका है कि प्रशासन न तो वायरल वीडियो में लाठीचार्ज कराने के आदेश देने वाले अधिकारी पर किसी प्रकार की कार्रवाई के मूड में है और न ही किसानों से ठोस वार्ता करना चाहता है। इसलिए हम भी लंबे संघर्ष के लिए तैयार हैं। फिर चाहे दो दिन, दो महीने और दो साल ही यहां क्यों न बैठना पड़े।
टिकैत ने कहा, यहां जो भी नेता रहेगा, उसी की अगुवाई में आंदोलन आगे बढ़ेगा। मैं और अन्य नेता भी आते-जाते रहेंगे। टिकैत ने स्पष्ट किया कि जहां तक जिला सचिवालय में अधिकारियों या कर्मचारियों के प्रवेश की बात है तो किसान इससे नहीं रोकेंगे। अलबत्ता, प्रशासन इसका ठीकरा हमारे सिर फोड़ना चाहता है तो अलग बात है।
बता दें कि महापंचायत में तीन कृषि सुधार कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों से जुड़े आंदोलनकारी नेता सरकार के खिलाफ जमकर बरसे। कई घंटे तक चले हाई वोल्टेज घटनाक्रम में केंद्र और प्रदेश सरकार पर तीखे शब्दों में प्रहार किया गया। इसी बीच चरम पर पहुंचे तनाव व बेहद संवेदनशील हालात के बीच जब प्रशासनिक अधिकारियों से तीन दौर की वार्ता बेनतीजा रही तो महापंचायत के मंच से जिला सचिवालय कूच का एलान कर दिया गया।
टिकैत और गुरनाम सिंह चढ़ूनी की अगुवाई में पहुंचे आंदोलनकारी
शाम करीब सात बजे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत और भाकियू (चढ़ूनी) के अध्यक्ष गुरनाम चढ़ूनी की अगुवाई में आंदोलनकारी जिला सचिवालय के गेट के आगे ही बैठ गए। बीते दिनों हुए बसताड़ा प्रकरण में लाठीचार्ज को लेकर लगातार आंदोलनकारियों के निशाने पर रहे करनाल के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा पर सख्त कार्रवाई सहित अपनी अन्य मांगों को लेकर मंगलवार को नई अनाज मंडी परिसर में किसान सुबह से ही जुटना शुरू हो गए थे।