वीरवार को किसान आंदोलन में भीड़ जुटने की संभावना है। उत्तर प्रदेश और पंजाब के कई बड़े किसान नेता आ सकते हैं। नरेश टिकैत भी आज आएंगे। वहीं सुबह किसान नेता सुरेश कौथ आंदोलनकारियों को संबोधित कर रहे हैं। लघु सचिवालय के मेन गेट के पास टेंट में आंदोलन चल रहा है। वहीं दूसरी तरफ सड़क पर सुरक्षा बल मुस्तैद है। आइजी ममता सिंह और एसपी गंगा राम लगातार दिशा निर्देश दे रहे हैं। लघु सचिवालय का काम काम जारी है और दूसरे गेट से कर्मचारी अधिकारी आ जा रहे हैं।
किसान नेताओं और प्रशासन से वार्ता असफल रही। करनाल लघु सचिवालय के बाहर रात भर टिकैत और चढ़ूनी चर्चा करते रहे। वहीं अब इस आंदोलन को दिल्ली की तर्ज में चलाने का फैसला लिया। सुबह भी किसान नेताओं अलग-अलग आंदोलनकारियों से चर्चा की। वहीं, दो दिन बाद इंटरनेट सेवा भी बहाल कर दी गई। सुबह करीब साढ़े नौ बजे इंटरनेट सेवा बहाल हुई।
एक नजर में जानिए अब तक आंदोलन में क्या-क्या हुआ
- 28 अगस्त को भाजपा की बैठक के विरोध में करनाल बसताड़ा टोल पर किसान एकजुट हुए।
- बसताड़ा टोल प्लाजा पर रोड जाम करने पर पुलिस ने लाठीचार्ज की।
- लाठीचार्ज के विरोध में चढ़ूनी के वीडियो जारी करने के बाद हरियाणा में रोड जाम कर दिया गया।
- सात सिंतबर को करनाल महापंचायत और लघु सचिवायल घेराव की घोषणा की गई।
- सात सितंबर को सुबह 11 बजे महापंचायत शुरू हुई।
- चढ़ूनी, टिकैत और योगेंद्र यादव भी शामिल हुए।
- प्रशासन ने वार्ता के लिए संदेश भेजा।
- दिन में तीन बार वार्ता हुई। तीनों बार मांग नहीं मानी गई।
- किसान नेताओं की तरफ से एसडीएम आयुष सिन्हा को सस्पेंड करने की मांग की गई।
- किसान नेता अनाज मंडी महापंचायत के लिए वापस रवाना हुए।
- करीब पांच बजे लघु सचिवालय घेराव का एलान किया गया।
- प्रशासन ने पहले कुछ जगहों पर किसानों को हिरासत में लिया। हालांकि बाद में छोड़ दिया।
- किसानों ने लघु सचिवालय का घेराव कर लिया। लंगर और टेंट लगने शुरू हो गए।
- आठ सितंबर को दोपहर दो बजे फिर से प्रशासन और किसान नेताओं के बीच बातचीत शुरू हुई।
- तीन घंटे तक चली बातचीत असफल रही।
- टिकैत ने कहा, एसडीएम को सस्पेंड नहीं किया जा रहा है। आंदोलन दिल्ली की तर्ज पर चलेगा।
- डीसी ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि बिना जांच के किसी पर भ्ज्ञी कार्रवाई नहीं की जा सकती, चाहे वो अधिकारी, कर्मचारी या आम आदमी क्यों न हो। vप्रशासन से वार्ता बेनतीजा रहने के बाद संयुक्त किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने रोष भरे स्वर में कहा कि सरकार चाहती है कि दिल्ली की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों के विरोध में जो धरने चल रहे हैं, वे करनाल शिफ्ट हो जाए। अब कोई संदेह नहीं है कि आंदोलन दिल्ली और करनाल में एक साथ लंबा चलेगा। इसी स्थान पर चलेगा और शांतिपूर्वक चलेगा।बुधवार को दोपहर से शाम तक प्रशासनिक अधिकारियों से चली वार्ता बेनतीजा रहने के बाद किसान नेताओं के स्वर में आक्रामकता साफ झलकने लगी। उन्होंने लघु सचिवालय के गेट के सामने स्थित धरनास्थल पर जुटे किसानों से आह्वान किया कि गांव-गांव से बड़ी तादाद में किसानों को यहां बुलाएं। दो दिन में जबरदस्त भीड़ जुटनी चाहिए। 11 सितंबर को यहीं राजस्तरीय नेताओं और संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति पर मंथन होगा। वहीं रात करीब साढ़े नौ बजे धरनास्थल पर किसानों को संबोधित करने पहुंचे किसान नेता गुरनाम ङ्क्षसह चढ़ूनी ने दो टूक कहा कि लघु सचिवालय का मुख्य गेट किसी कीमत पर नहीं खुलने देंगे। हम गेट के आगे की सड़क से दस फुट पीछे बेशक हट जाएंगे लेकिन किसी अधिकारी को इस गेट से अंदर आने-जाने की अनुमति बिलकुल नहीं देंगे। आम आदमी को कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी। हर हालत में गेट बंद रखा जाएगा।टिकैत ने कहा, ताला तो प्रशासन ने लगाया
राकेश टिकैत ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि जनता को किसी भी तरह से परेशानी नहीं होनी चाहिए। सरकार की मंशा है कि जनता को परेशानी हो ओर आंदोलन बदनाम हो। आंदोलन में संयुक्त मोर्चा के नेता आते रहेंगे। गांव गांव से लोगों को लेकर आएं ताकि एकजुटता कायम रहे। वीरवार को जोगिंद्र उंगराहा जत्थेबंदियों के साथ करनाल आएंगे। आंदोलन के कारण किसी को कोई परेशानी नहीं होगी। जिला सचिवालय में जनता अपने काम करवाने आएं, उन्हें क्या दिक्कत हैं। मेन गेट का ताला भी प्रशासनिक अधिकारियों ने लगाया है।
- सरकार सत्ता के नशे में, किसान उतार देंगे: योगेंद्र
किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार किसानों की एक और न्यूनतम मांग भी मानने को तैयार नहीं है। किसानों की प्रमुख मांग थी कि अधिकारी के खिलाफ पर्चा दर्ज हो, लेकिन सरकार की ऐसा नहीं करना चाहती। सरकार को सत्ता का नशा चढ़ा है। इसे उतार देंगे। आंदोलन यहीं चलेगा। प्रशासन ने दूसरी जगह प्रदर्शन का प्रस्ताव दिया था, जो स्वीकार नहीं है
- इन्होंने की प्रशासन से बातचीत
बुधवार की वार्ता में किसान प्रतिनिधियों में राकेश टिकैत, योगेंद्र राणा, गुरनाम सिंह चढूनी, बलदेव सिरसा, सुरेश कौथ, रामपाल चहल, अजय राणा, जगदीप औलख, इंद्र सिंह, जोगिंद्र घासी नैन, विकास सिसल, सरदार गुरमुख सिंह सहित अन्य शामिल रहे।
दिन-रात चल रही लंगर सेवा
दिन रात के घेराव और बेमियादी धरने को देखते हुए किसानों के लिए दिन-रात लंगर सेवा चल रही है। पुलिस के घेरे और बैरीकैटस के बीचोंबीच ब्रेड-समोसे तले जा रहे है। मालपुए, सब्जी रोटी, पूरी, कचौडी़, पकौड़े से लेकर शीतल पेय और कुल्फी तक का इंतजाम है। दूसरी ओर बैरीकेटस को दीवारों के रूप में प्रयोग कर लंगर चलाया जा रहा हैं। कई शहरवासी और सामाजिक संस्थाओं के लोग भी प्रदर्शनकारी किसानों की सेवा करते हुए देखे जा सकते हैं।