Rafale on Ambala Airbase: अंबाला एयरबेस से दुश्‍मनों पर नजर, राफेल से बढ़ी भारत की सैन्‍य ताकत, लोगों में जोश भरती है इसकी गर्जना,

Rafale on Ambala Airbase: अब अंबााला एयरबेस से ही पाकिस्‍तान और चीन बार्डर पर पूरी नजर रहती है व दुश्‍मनों की कोई हरकत छिपन नहीं रहती है। यह हुआ है लड़ाकू विमान राफेल की तैनाती से। फ्रांस से मिले लड़ाकू विमान राफेल को भारतीय वायुसेना में शामिल हुए एक साल हो चुका है। इस एक साल में राफेल ने श्रीनगर और लेह-लद्दाख के लिए उड़ानें भरीं वहीं पाकिस्तान और चीन को संदेश भी दिया है। राफेल जब भी अंबाला एयरबेस से उड़ान भरता है तो इसकी गर्जना से सैन्य जवानों के साथ-साथ स्थानीय लोगों में एक अलग तरह का जोश भर जाता है।

भारतीय वायुसेना में राफेल के इंडक्शन सेरेमनी को हुआ एक साल

अत्याधुनिक हथियारों से लैस यह लड़ाकू विमान भारत के लिए गेम चेंजर हैं। वायुसेना में राफेल को शामिल करने के लिए अंबाला एयरबेस पर 10 सितंबर 2020 को इंडक्शन सेरेमनी हुई थी। समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित फ्रांस की मिनिस्टर आफ आ‌र्म्ड फोर्सेज फ्लोरेंस पार्ले भी शामिल हुईं थीं।

10 सितंबर 2020 को राफेल हुआ था वायुसेना में शामिल, अंबाला में हुआ था कार्यक्रम

इस राफेल की निगरानी का जिम्मा स्कवाड्रन गोल्डन एरो के पास है। राफेल आने के बाद हैंगर बनाए गए हैं, जबकि अभी भी इसके लिए और व्यवस्थाएं की जा रही हैं। अंबाला में 18 राफेल तैनात होने हैं। पश्चिम बंगाल के हाशिमआरा बेस पर भी राफेल की तैनाती होनी है।

ये हैं राफेल की विशेषताएं

राफेल की कई विशेषताएं हैं। यह बहुपयोगी लड़ाकू विमान 4.5 जेनरेशन के डबल इंजन से लैस है। परमाणु हथियार ढोने समेत कई मिशन को अंजाम देने में सक्षम है। यह जहाज 300 किलोमीटर की रेंज से हवा से जमीन पर हमला करने में सक्षम है। इसके अलावा 9.3 टन वजन के साथ 1650 किलोमीटर तक उड़ान भरने में सक्षम है। राफेल में 14 हार्ड प्वाइंट के जरिए भारी हथियार भी गिराने की क्षमता है।

यह है अंबाला एयरबेस का इतिहास

अंबाला एयरबेस की शुरुआत साल 1919 में एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से हुई थी। इस दौरान डीएच-9 व ब्रिस्टर फाइटर एयरक्राफ्ट को आपरेट किया गया था। एक अप्रैल 1938 को स्टेशन हेडक्वार्टर की स्थाना हुई, जिसके कमांडिंग आफिसर ¨वग कमांडर सीएफ हार्सले थे। साल 2019 में अंबाला में पूर्व वायुसेना अध्यक्ष बीएस धनोआ ने 19 स्क्वाड्रन गोल्डन एरो की स्थापना की थी।

वायुसेना में ये लड़ाकू विमान रहे शामिल

वायुसेना का इतिहास काफी गौरवमयी रहा है। ब्रिटिश शासनकाल से शुरू हुआ यह सफर आज भी जारी है। वर्ष 1930 में वापिती, 1941 में हाकर आडैक्स व हाकर हार्ट, 1942 में हार्वर्ड, 1945 में टाइगर माथ व आक्सफोर्ड, 1946 में स्पिटफायर, 1947 मे टैंपेस्ट, 1952 में वैंपायर, 1953 तूफानी, 1957 में हाकर हंटर्स, 1960 में नैट, 1969 में सुखोई एसयू 7, 1979 में जगुआर, 2002 में बायसन शामिल रहे हैं। साल 2020 में राफेल वायुसेना का हिस्सा बना था।

बालाकोट एयर स्ट्राइक में रहा रोल

भारतीय वायुसेना द्वारा पीओके के बालाकोट में एयर स्ट्राइक के दौरान अंबाला का रोल काफी महत्वपूर्ण रहा है। यहां पर तैनात मिंटी अग्रवाल ने पाक लड़ाकू जहाज को भारतीय सीमा में प्रवेश करते देखा तो श्रीनगर एयरबेस को अलर्ट कर लड़ाकू विमानों को उड़ाया। इसी में विंग कमांडर अभिनंदन भी शामिल थे। उनको वापस मुड़ने का आदेश भी दिया गया था, लेकिन तब तक वह पाक वायु सीमा में प्रवेश कर चुके थे और आदेश नहीं सुन पाए।

डोमेस्टिक एयरपोर्ट की चल रही कागजी कार्रवाई

अंबाला कैंट में डोमेस्टिक एयरपोर्ट के लिए भी पेपर वर्क किया जा रहा है। बीते दिनों वेस्टर्न कमांड के अधिकारी प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज से उनके कार्यालय में मिले थे, जहां इस एयरपोर्ट को लेकर चर्चा हुई थी। अब इसकी फाइल रक्षा मंत्रालय तक पहुंची है। इसके लिए जमीन की भी तलाश की गई है।