नरेन्द्र मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगभग एक महीने में दूसरी बार लखनऊ के दौरे पर हैं। निर्मला सीतारमण लखनऊ में आज से शुरू हो रही दो दिवसीय जीएसटी काउंसिल की बैठक का उद्घाटन करने के साथ ही बैठक को संबोधित करेंगी। बैठक में केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्रियों के साथ ही 16 राज्यों के वित्त मंत्री भाग ले रहे हैं। बैठक के संयोजक उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना हैं, जबकि इसका आयोजन उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर विभाग कर रहा है।
केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर लखनऊ के चौधरी चरण सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने स्वागत किया। जीएसटी काउंसिल की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल होंगे। जीएसटी काउंसिल में सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल हैं। वित्त मंत्रालय ने ट्वीट किया, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार को लखनऊ में जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगी। बैठक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों और केंद्र सरकार तथा राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी शामिल होंगे।
जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक देश में कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद काउंसिल की पहली फिजिकल बैठक है। इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर विचार किया जा सकता है। इससे पिछली बैठक 12 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई थी। इसमें कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग में अहम कई आइटम्स पर जीएसटी रेट्स में कटौती करने का फैसला किया गया था। शुक्रवार की बैठक में इस छूट को और 3 महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है। यह बैठक आम जनता के लिए भी कई मामले में महत्वपूर्ण है। काउंसिल की इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है, जिसका असर कारोबारियों से लेकर आम आदमी पर पड़ेगा।
लखनऊ के होटल ताज में इस दो दिवसीय बैठक में पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार हो सकता है। काउंसिल में इस बारे में सहमति बनती है तो इससे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी कमी देखने को मिल सकती है। यह मुद्दा सार्वजनिक बैठक के एजेंडे में शामिल नहीं है। इस पर कोर्ट ने सरकार को विचार करने को कहा था। जीएसटी सिस्टम में किसी भी बदलाव के लिए तीन-चौथाई सदस्यों की सहमति जरूरी है। कई राज्यों ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल करने का विरोध किया है। उनका कहना है कि अगर इसको जीएसटी के दायरे में लाया गया तो राज्य के राजस्व जुटाने का एक अहम जरिया केंद्र सरकार के पास चला जाएगा। अभी अलग-अलग राज्यों में पेट्रोल-डीजल पर टैक्स की दर अलग-अलग है। अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो पूरे देश में इस पर समान टैक्स लगेगा। इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आएगी।
बैठक में जोमैटो तथा स्विगी जैसे खाद्य डिलीवरी ऐप को रेस्टोरेंट के रूप में मानने और उनकी डिलीवरी पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर भी विचार होगा। कमेटी के फिटमेंट पैनल ने काउंसिल से फूड डिलिवरी ऐप्स को कम से कम 5 परसेंट जीएसटी के दायरे में लाने की सिफारिश की है। काउंसिल के फिटमेंट पैनल ने सिफारिश की है कि फूड एग्रीगेटर को ई-कॉमर्स ऑपरेटर माना जाए। इसके साथ ही फार्मा सेक्टर से जुड़े कुछ ऐलान भी संभव हैं।
देश में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) व्यवस्था एक जुलाई, 2017 से लागू हुई थी। जीएसटी में केन्द्रीय कर के रूप में उत्पाद शुल्क और राज्यों के शुल्क में वैट को शामिल किया गया था। पेट्रोल, डीजल, एटीएफ, प्राकृतिक गैस तथा कच्चे तेल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया। इन सभी उत्पादों से केन्द्र और राज्य सरकारों को कर के रूप में बड़ा राजस्व मिलता है।
जीएसटी की दिक्कतें दूर करे काउंसिल
जीएसटी लागू हुए करीब चार वर्ष बीत चुके हैं फिर भी अभी तक जीएसटी पोर्टल ठीक से काम नहीं कर पा रहा है। तमाम दिक्कतें व्यापारियों के लिए आज भी चुनौतियां बनी हुई हैं। व्यापारियों ने जीएसटी काउंसिल को भेजे गए पत्र में उठाए गए बिंदुओं के निस्तारण की मांग की। लखनऊ व्यापार मंडल के वरिष्ठ महामंत्री अमरनाथ मिश्र ने कहा कि ट्रांसपोर्ट भाड़े पर क्रेता व्यापारी द्वारा स्वत: कर भुगतान कर आइटीसी क्लेम किया जाता है। यदि यही टैक्स ट्रांसपोर्टर के ऊपर छोड़ दिया जाए तो क्रेता व्यापारी को दोहरी इंट्री नहीं करनी पड़ेगी और करापवंचन से राहत मिलेगी। इनकम टैक्स की भांति ऑटो रिफंड होना चाहिए इससे व्यापारी की पूंजी नहीं फंसेगी। पूंजी से व्यापारी अपना कारोबार करेगा इससे सरकार के टैक्स में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि कम जानकारी के अभाव में वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 में व्यापारियों से तमाम गलतियां हुई हैं। तब जीएसटीआर-2 ऑटो जेनरेट नहीं होता था। इसके कारण तमाम व्यापारियों से आइटीसी का दावा गलत हो गया। विभाग तीन वर्ष बाद अब नोटिस जारी कर 24 फीसद ब्याज के साथ अर्थ दंड लगा रहा है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि व्यापारी द्वारा जो अधिक आईटीसी क्लेम कर लिया गया है उसे जमा करा लिया जाए उस पर लगे ब्याज एवं अर्थदंड को माफ किया जाए।
इन पर भी गौर करें जिम्मेदार
भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के वरिष्ठ प्रदेश महामंत्री ज्ञानेश मिश्र ने कहा कि कोरोना काल की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण से जुड़ी दवाओं, आक्सीजन व उपकरण, वैक्सीन को आयात शुल्क से मुक्त रखा जाय। तिलहन व तेल की बढ़ रही कीमतों को ध्यान में रखते हुए इससे जीएसटी में पांच प्रतिशत की श्रेणी से हटाकर गल्ला व दलहन की तरह शून्य श्रेणी में रखा जाय। तेल का आयात बढ़ाने के लिए आयात शुल्क पूर्णतया समाप्त किया जाय।