दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई इलाकों में इस साल मानसून देरी से आया, लेकिन जिस सितंबर में मानसून चलाचली की बेला में होता है, उसी माह की बारिश इस साल 121 सालों का रिकार्ड तोड़ने की ओर अग्रसर है। महज 13.2 मिमी बारिश की कमी है, जबकि 12 दिन शेष है। मौसम विज्ञानियों का भी कहना है कि यह रिकार्ड कभी भी टूट सकता है। बताया जा रहा है कि बुधवार को दिल्ली में सितंबर माह की बारिश 121 सालों का रिकार्ड तोड़ सकती है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में बारिश का आल टाइम रिकार्ड 1944 में 417.3 मिमी का है, जबकि इस साल मंगलवार शाम साढ़े पांच बजे तक दिल्ली में इस माह 408.3 मिमी बारिश दर्ज की जा चुकी है। अब केवल नौ मिमी की कमी है और जिस तरह बुधवार को झमाझम बारिश का पूर्वानुमान जताया गया है, इस रिकार्ड का टूटना लगभग तय ही है।
मौसम विभाग के मुताबिक सितंबर महीने में बरसात का आल टाइम रिकार्ड 1944 में 417.3 मिमी का है, जबकि इस साल अब तक दिल्ली में 404.1 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की जा चुकी है, जो पिछले तकरीबन 8 दशकों में सबसे अधिक है।
उधर, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के वरिष्ठ विज्ञानी डा आर के जेनामणि बताते हैं कि 1944 का आल टाइम रिकार्ड एक से 30 सितंबर तक का है जबकि इस साल अभी 16 सितंबर ही बीता है। 25 सितंबर तक लगातार बारिश होने का पूर्वानुमान है। कभी हल्की तो कभी तेज। इसके बाद भी छिटपुट बारिश की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में सितंबर की आल टाइम बारिश का रिकार्ड टूटना करीब करीब तय है और यह अब किसी भी दिन टूट सकता है।
वहीं, स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत ने बताया कि इस साल मानसून की अत्यधिक सक्रियता के लिए जलवायु परिवर्तन ही नहीं, हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में हो रही तमाम हलचल भी अहम भूमिका निभा रही हैं। अभी कम से कम अगले दो सप्ताह तक और इन सभी परस्थितियों का असर देखने को मिलता रहेगा।
दिल्ली में कहां कितनी हुई बारिश (साढ़े आठ से शाम साढ़े पांच बजे तक)
सफदरजंग – 3.6 मिमी
लोधी रोड – 1.0 मिमी
रिज – 17.6 मिमी
पीतमपुरा – 7.0 मिमी