राष्ट्रीय राजधानी में तेज होते किसान आंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार इसके समाधान पर चर्चा के लिए हर स्तर पर तैयारियों में जुटी हुई है। रविवार शाम भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक में इस मसले पर विमर्श किया गया। इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP president JP Nadda) के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) मौजूद रहे।
किसानों का आंदोलन गैर राजनीतिक : शाह
वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कृषि सुधारों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को गैर राजनीतिक बताया है। शाह ने हैदराबाद में कहा कि नए कृषि कानून किसानों के कल्याण को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। जो भी राजनीतिक कारणों से नए कृषि कानूनों का विरोध करना चाहता है, करता रहे लेकिन मैंने कभी नहीं कहा कि किसानों का आंदोलन राजनीतिक है और न ही कभी ऐसा कहूंगा।
सरकार बातचीत के लिए तैयार : तोमर
गृह मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में एक ही बात पर सबको अलग नजरिया रखने का अधिकार है। तीनों कृषि कानून किसानों के लिए लाभकारी हैं। इस बीच, समाचार एजेंसी एएनआइ से साक्षात्कार में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है। किसान यूनियनों को भी आंदोलन का रास्ता छोड़कर बातचीत का माहौल बनाना चाहिए। उन्होंने फिर इस बात पर जोर दिया कि तीनों कृषि सुधार किसानों के हित में हैं।
सरकार ने फिर बुराड़ी में प्रदर्शन करने का प्रस्ताव दिया
उधर केंद्र सरकार ने एक बार फिर किसानों को बुराड़ी आकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने का प्रस्ताव दिया है। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की ओर किसान यूनियनों को पत्र लिखकर विज्ञान भवन में मंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति के साथ बातचीत का प्रस्ताव भेजा गया है। इसके पहले गृह मंत्री अमित शाह किसानों से बुराड़ी के संत निरंकारी मैदान में प्रदर्शन करने और केंद्र सरकार से बातचीत की अपील कर चुके हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर भी कह चुके हैं कि सरकार किसानों से बातचीत के लिए हर समय तैयार है।
जनता को होने वाली दिक्कतों का हवाला दिया
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि किसान यूनियनों को अजय भल्ला का पत्र अमित शाह की ओर से भेजे गए प्रस्ताव के सिलसिले में ही है। शनिवार को क्रांतिकारी किसान यूनियन, पंजाब के राज्य अध्यक्ष दर्शन पाल के साथ ही 31 अन्य आंदोलनरत किसान यूनियन को भेजे गए पत्र में अजय भल्ला ने दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन से आम जनता को होने वाली दिक्कतों का हवाला दिया है। इसके साथ ही उन्होंने ठंड के कारण किसानों को हो रही परेशानी पर भी चिंता जताई है। भल्ला के अनुसार कोरोना के समय बिना किसी व्यवस्था के इतने किसानों के एकत्रित होने से संक्रमण फैलने का खतरा भी है।
बुराड़ी में सुविधाओं का बंदोबस्त
अजय भल्ला ने किसान यूनियनों को बताया है कि किसानों के लिए बुराड़ी में एक बड़ा ग्राउंड तैयार किया गया है, जहां व्यवस्थित तरीके से सुविधाओं का बंदोबस्त है। उन्होंने किसान यूनियनों से अपील की कि दिल्ली की सीमा पर एकत्रित सभी किसानों को आप बुराड़ी ग्राउंड पर लेकर आएं। यहां पुलिस उन्हें लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने की अनुमति देगी।
किसान बोले, केंद्र की शर्त मंजूर नहीं
वहीं किसानों ने केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए राजधानी दिल्ली को चारों तरफ से घेरने की कोशिश की है। हरियाणा से सटे सिंधु और टीकरी बॉर्डर पर हरियाणा और पंजाब के किसान जबकि यूपी गेट पर उत्तर प्रदेश के किसान बड़ी संख्या में डेरा डाले हुए हैं। यही नहीं हरियाणा से दिल्ली में दाखिल होने वाले दोनों रास्तों को किसानों ने पूरी तरह से घेर लिया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, किसानों की कोशिश यूपी और राजस्थान के रास्तों को भी घेरने की है। किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार की शर्त उन्हें मंजूर नहीं है।
शाह की पेशकश को दोहराया
कुछ किसान यूनियनों की ओर से तीन दिसंबर की जगह जल्द वार्ता की मांग देखते हुए अजय भल्ला ने अमित शाह की पेशकश को फिर दोहराया। उन्होंने कहा कि बुराड़ी ग्राउंड में शिफ्ट होने के अगले दिन ही सभी किसान यूनियनों से बातचीत शुरू हो जाएगी। पहले की तरह यह बातचीत सिर्फ कृषि मंत्री के साथ नहीं होगी। यह वार्ता मंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति के साथ होगी। मंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति से बातचीत की पेशकश कर सरकार ने साफ संकेत दिया है कि वह किसानों की मांगों पर विचार करने और उसके समाधान के लिए संजीदा है।