Health Alerts : कोरोना की चपेट में आए गंभीर संक्रमण से पीड़ित लोगों में देखी जा रही दिल की बीमारी

गलत जीवनशैली, तनाव व शारीरिक सक्रियता कम होने से दिल की बीमारी पहले से ही गंभीर समस्या बनी हुई है। अब कोरोना के संक्रमण के कारण भी दिल की बीमारी बढ़ी है। डाक्टर कहते हैं कि दूसरी लहर में कोरोना के मध्यम व गंभीर संक्रमण से पीड़ित हुए कई लोग अब भी दिल की बीमारी से पीड़ित होकर इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं। इसलिए कोरोना से ठीक हुए लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।

एम्स के कार्डियोलाजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. सत्यवीर यादव ने कहा कि कोरोना के संक्रमण के कारण दिल में भी सूजन (इंफ्लेमेशन) होती है। इस वजह से कई लोगों की धड़कन कम, ज्यादा या अनियंत्रित हो जाती है। सूजन कम होने के साथ-साथ यह समस्या भी धीरे-धीरे कम हो जाती है लेकिन गंभीर संक्रमण से पीडि़त रहे लोगों के लिए यह हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। ऐसे मामले भी देखे भी जा रहे हैं, इसलिए मध्यम व गंभीर संक्रमण से पीडि़त होने के बाद ठीक हो चुके लोगों को नियमित अपने दिल की जांच भी जरूर करानी चाहिए। ताकि समय पर उसका इलाज हो सके।

आरएमएल अस्पताल के कार्डियोलाजी विभाग के विशेषज्ञ डा. बीएन पंडित ने कहा कि दूसरी लहर में अप्रैल व मई में कोरोना से संक्रमित हुए कई मरीज अब भी चेस्ट में दर्द, अनियंत्रित धड़कन व हार्ट अटैक के साथ इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। ओपीडी में हर दिन ऐसे पांच से छह मरीज पहुंचते हैं। जिसमें युवा भी शामिल होते हैं। युवाओं में दिल की बीमारी बढ़ रही है।

45 मिनट तेज पैदल चलना जरूरी

डा. सत्यवीर यादव ने कहा कि दिल की बीमारियों के कारण सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कालेस्ट्रोल, धूमपान, मोटापा, गलत खानपान, जले हुए तेल का दोबारा इस्तेमाल व प्रदूषण दिल की बीमारी के बड़े कारण हैं। दिल को सेहतमंद रखने के लिए हर दिन 45 मिनट तेज पैदल चलना जरूरी है। यदि प्रतिदिन संभव नहीं हो तो सप्ताह में कम से कम पांच दिन पैदल चलना जरूरी है। इसके अलावा खानपान में पौष्टिक आहार का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे दिल की बीमारियों से बचा जा सकता है। इसके अलावा पहले से दिल की बीमारी से पीड़ित जो लोग खून पतला करने की दवा लेते हैं उन्हें कोरोना से बचाव के लिए टीका भी जरूर लेना चाहिए।

समाप्त 28 सितंबर 2021रणविजय ¨सह पौष्टिक आहार व बेहतर जीवनशैली से दिल की बीमारी से असमय होने वाली 80 फीसद मौतों को किया जा सकता है कम।