Farmers Protest: चढ़ूनी रिहा, आंदोलनकारियों ने करनाल में सीएम आवास और अंबाला में रोड जाम खोला

उत्‍तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जा रहे हरियाणा के भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्‍यक्ष को पुलिस ने गिरफ्तार लिया था। पुलिस ने उन्‍हें मेरठ से गिरफ्तार किया था। इसकी सूचना मिलते ही करनाल में आंदोलनकारी सीएम आवास का घेराव करने पहुंच गए थे। वहीं, अंबाला में शंभू टोल प्‍लाजा के पास सड़क जाम कर दिया। रात करीब 12 बजे चढ़ूनी के रिहा करने की सूचना मिली। इसके बाद आंदोलनकारी वापस लौटे।

देर रात करीब आठ बजे आंदोलनकारियों को सूचना मिली थी कि उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार को हुए घटनाक्रम के बाद वहां जा रहे गुरनाम सिंह चढूनी को मेरठ में ही गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके करीब एक घंटे बाद ही आंदोलनकारी एकत्रित होकर प्रेम नगर स्थित सीएम मनोहर लाल के आवास पर पहुंच गए थे, जहां जमकर नारेबाजी करते हुए धरना भी शुरू कर दिया था। एक ओर की सड़क को जाम कर नारेबाजी शुरू कर दी थी। आंदोलनकारियों ने एलान किया था कि चढूनी को रिहा नहीं किया तो सुबह सभी स्टेट व नेशनल हाईवे भी जाम कर दिए जाएंगे। आंदोलनकारियों के सीएम आवास का घेराव कर धरना देने की सूचना मिलते ही भारी पुलिस बल मौके पर पहुंच गया था तो वहीं अर्धसैनिक बल के जवान भी तैनात कर दिए गए थे। यहां तक कि देर रात करीब साढ़े 11 बजे एसपी गंगा राम पूनिया भी मौके पर पहुंचे थे और आंदोलनकारियों को समझाने का प्रयास किया था। हालांकि आंदोलनकारी अपनी मांग पर अड़े रहे तो उन्होंने धरना शांतिपूर्ण चलाने का भी भरोसा दिया था।

वहीं, हरियाणा पंजाब सीमा पर शंभू टोल प्लाजा के पास सोमवार रात को आंदोलनकारियों ने सड़क पर बैठ गए। इसके चलते सड़क पर वाहनों की लंबी लंबी कतार लग गई। सीमा से न तो कोई वाहन पंजाब जा रहा था और न ही हरियाणा में आ रहा था। इसके चलते भारी पुलिस बल मौके पर पहुंच गया, जहां आंदोलनकारियों को समझाने का प्रयास किया गया। उधर, अंबाला पुलिस ने पंजाब पुलिस से संपर्क कर पंजाब से आने वाले वाहनों का रूट बदलवाना शुरू कर दिया।

इस दौरान हरियाणा से पंजाब और पंजाब से हरियाणा आने वाले किसानों खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि टोल पहले से ही बंद किया हुआ है। लेकिन किसान सड़क किनारे बैठे हुए थे। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर की घटना के बाद भाकियू के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी की गिरफ्तारी को लेकर आंदोलनकारियों में रोष था।

आंदोलनकारियों की मांग है कि जब तक चढूनी को नहीं छोड़ा जाएगा वे सड़क पर ही बैठे रहेंगे। इस दौरान इंटरनेट सेवा बंद पड़ी थी, लेकिन बताते हैं कि गांव के गुरुद्वारों में घोषणा करके लोगों को टोल पर आने के लिए कहा गया। लेकिन टोल पर आंदोलनकारियों ने एंबुलेंस और महिलाओं को नहीं रोका।