नवरात्र के पावन अवसर पर करनाल के महाभारतकालीन गांव सालवन स्थित मां मनसा देवी मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है। यह प्राचीन मंदिर सालवन बस स्टैंड से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर है। मान्यता है कि महाभारत के समय पांडवों में ज्येष्ठ भ्राता राजा युधिष्ठिर द्वारा यहां शक्ति पूजा करने के उपरांत देवी के स्वरूप की पूर्ण विधि-विधान से स्थापना की गई थी। मंदिर के इसी महत्व के कारण यहां न केवल गांव बल्कि, अन्य स्थानों से भी बड़ी संख्या में माता के भक्त पहुंचते हैं।
मंदिर का पौराणिक महत्व
इस प्राचीन मंदिर को महाभारतकालीन माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार राजा युधिष्ठिर द्वारा युद्ध भूमि में उतरने से पूर्व यहां पूजा अर्चना किए जाने के कारण मंदिर का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि सालवन गांव स्थित माता मनसा देवी का मंदिर महाभारत की युद्ध भूमि की पूर्वी सीमा को दर्शाता है। यह प्राचीन मंदिर है, जिसके प्रति जन-जन में आस्था है। कहते हैं कि यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है। इसीलिए यहां मनसा देवी की पूजा अर्चना होती है।
सप्तमी-अष्टमी को लगता मेला
गांव सालवन के मनसा देवी मंदिर में भक्तों की अपार श्रद्धा है। यहां वैसे तो पूरे वर्ष भर भक्त पहुंचते हैं लेकिन हर छमाही आने वाले नवरात्र में दुर्गा सप्तमी व अष्टमी को भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला अपने आप में आकर्षण का केंद्र रहता है, जिसमें दूर-दूर से माता के भक्त मंदिर में आकर अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए माता के दर्शन करते हैं। साथ ही मेले का आनंद लेते हैं। मंदिर समिति की तरफ से मेले में कुश्ती के खुले दंगल का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दराज से आए पहलवान जोर-अजमाइश करते हैं।
दूरदराज से आते श्रद्धालु: पुजारी
मंदिर के पुजारी सुखदेव पुरी ने बताया कि प्राचीन मंदिर में नवरात्र के पावन अवसर पर दूर-दराज से श्रद्धालु मां के दर्शन करने आते हैं और मनोकामना करते हैं। सुबह व शाम के समय मंदिर में विशेष पूजन का आयोजन किया जाता है। वहीं पूर्व सरपंच मित्रपाल शर्मा ने बताया कि ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर की देखरेख का पूरा कार्य जिम्मेदारी के साथ किया जाता है। हर बार नवरात्र पर धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन भी किया जाता है।