लखीमपुर खीरी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को भी गरमा दिया है और विपक्षी रणनीति को भी धार दे दी है। लेकिन कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लखीमपुर खीरी कांड के सहारे कांग्रेस की सियासी वापसी की राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की कोशिशों पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। वहीं यह संकेत साफ होने लगे हैं कि पीके की कांग्रेस में शामिल होने की महत्वाकांक्षी योजना अब स्पीड ब्रेकर में अटक गई है। पीके ने जिस तरह प्रियंका और राहुल को लक्ष्य करते हुए कांग्रेस की ढांचागत कमजोरियों का कोई तात्कालिक समाधान नहीं होने की बात कही, उससे स्पष्ट है कि कांग्रेस के प्लेटफार्म से विपक्षी सियासत को नया स्वरूप देने की उनकी रणनीति जमीन पर उतरने से पहले ही सियासी भंवर में उलझ गई है। कांग्रेस नेताओं ने भी पीके के ट्वीट पर जिस तरह तंज कसा, उससे साफ है कि पार्टी को यह सलाह नागवार लगी है।
प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को ट्रैक पर लाने के लिए पार्टी नेतृत्व के सियासी विजन की खामियों की ओर जिस बेबाकी से इशारा किया, उसने कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में भी हैरानी और हलचल बढ़ा दी। पीके ने ट्वीट किया, ‘लखीमपुर खीरी घटना के आधार पर जो लोग देश की सबसे पुरानी पार्टी के नेतृत्व में विपक्ष के त्वरित पुनरुद्धार की उम्मीद पाल रहे हैं, वे खुद को बड़ी निराशा के लिए तैयार कर रहे हैं। दुर्भाग्य है कि सबसे पुरानी पार्टी की गहरी जड़ें जमा चुकी समस्याओं और संगठनात्मक कमजोरी का कोई त्वरित समाधान नहीं है।’ लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर कांग्रेस सियासी रूप से बेहद आक्रामक तेवर दिखा रही है और प्रियंका गांधी वाड्रा इसकी अगुआई कर रही हैं। प्रियंका की गिरफ्तारी ने भी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अचानक सियासी केंद्र बिंदु में ला दिया है।
पीके की टिप्पणी पर रणदीप सुरजेवाला ने नहीं दी कोई प्रतिक्रिया
प्रशांत किशोर की टिप्प्णी को सीधे सीधे राहुल-प्रियंका की राजनीतिक रणनीति पर तंज के रूप में देखा जा रहा है। इसीलिए पीके के इस ट्वीट के बारे में जब कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे किसी कंसलटेंट की बातों को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे।
खटाई में नजर आ रही है पीके की कांग्रेस में आने की योजना
पार्टी के जानकार सूत्रों ने बताया कि पीके की कांग्रेस में आने की योजना फिलहाल खटाई में नजर आ रही है, क्योंकि हाल के कुछ राजनीतिक घटनाक्रमों के चलते पीके के साथ भरोसे का संकट पैदा हुआ है। खासकर गोवा के पूर्व सीएम दिग्गज कांग्रेसी नेता लुइजिनो फेलेरियो ने तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने से पूर्व पीके से सलाह-मशविरा करने का जो बयान दिया, उसने पार्टी नेतृत्व को अचरज में डाल दिया। इसी तरह मेघालय में भी कांग्रेस के पूर्व सीएम मुकुल संगमा की अगुआई में 13 विधायकों को टीएमसी में शामिल कराने की कार्ययोजना की पूरी जानकारी पीके को होने की बात भी सामने आई। राहुल गांधी ने अपने रणनीतिकारों को आनन-फानन में सक्रिय कर मुकुल संगमा को फिलहाल मना लिया, मगर पीके के दांव को लेकर कांग्रेस में संदेह पैदा हो गया।
कांग्रेस में जी-23 के कुछ नेता पीके को अनियंत्रित छूट देने के प्रस्ताव से थे असहमत
वैसे पीके कांग्रेस में शामिल होकर जिस तरह की खुली छूट चाहते थे, उसको लेकर भी पार्टी में विरोधाभासी राय थी। इतना ही नहीं पीके उत्तर प्रदेश समेत अगले साल होने वाले पांच राज्यों के चुनाव नतीजों की जिम्मेदारी यह कहते हुए लेने के लिए राजी नहीं हो रहे थे कि इन चुनावों में कुछ करने के लिए ज्यादा वक्त नहीं बचा है। वहीं कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता, जिनमें जी-23 के कुछ नेता भी शामिल हैं, वे भी पीके को अनियंत्रित छूट देने के प्रस्ताव से असहमत थे। इन सब के बीच पीके की व्यग्रता बढ़ रही थी और पार्टी की ढांचागत खामियों को लेकर आए उनके ट्वीट ने कांग्रेस से उनके फासले को और बढ़ा दिया है।