लखीमपुर खीरी हिंसा में मुख्य आरोपित आशीष मिश्र की कोर्ट में आज पेशी, कचहरी में फोर्स तैनात

लखीमपुर खीरी में अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी की जयंती के एक दिन बाद हिंसा में चार किसान सहित आठ लोगों की मृत्यु के मुख्य आरोपित केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्र के बेटे आशीष मिश्र मोनू पर शिकंजा कसता जा रहा है। शनिवार देर रात गिरफ्तारी के बाद जेल भेजे गए आशीष मिश्र मोनू की पुलिस कस्टडी रिमांड पर सुनवाई आज कोर्ट में की जाएगी। प्रदेश पुलिस आशीष मिश्रा टेनी को आज सीजेएम कोर्ट में पेश करेगी। इससे पहले कोर्ट के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।

आशीष मिश्र ‘मोनू से लखीमपुर खीरी पुलिस के साथ ही इस केस की जांच के लिए गठित एसआइटी ने शनिवार को करीब 12 घंटा पर पूछताछ की, लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आ सका। अब पुलिस का प्रयास मोनू को अपनी कस्टडी में लेने का है। जिससे कि उससे सख्ती से पूछताछ कर इस बड़े कांड का सामने ला सके। आज मोनू की कचहरी में पेशी को लेकर शहर में सुरक्षा व्यवस्था काफी सख्त की गई है। आज शहर में बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात की गई है। इसमें भी कचहरी तथा आसपास क्षेत्र में पीएसी व आरएएफ के जवान भी लगाए गए हैं। देश की नजर लखीमपुर खीरी कांड की उस तफ्तीश पर है, जिसमें यह साबित होने वाला है कि उन पर लगाए गए आरोप कितने सटीक हैं और वह घटना के वक्त कहां थे।

आशीष मिश्र पुलिस रिमांड के बाद से माना जा रहा है कि उसके ऊपर लगे आरोपों की तस्वीर थोड़ा और साफ होगी। अभियोजन पक्ष अदालत से आशीष मिश्र की पुलिस कस्टडी रिमांड मांग चुका है। इस पर सीजेएम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होगी। अगर आशीष मिश्र की पुलिस कस्टडी मिल जाती है तो लखीमपुर खीरी हिंसा में उसके ऊपर लगे आरोपों की तस्वीर और साफ होगी। इसके साथ साथ ही आरोपित पर शिकंजा कसा जा सकेगा।

हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही एसआइटी

लखीमपुर खीरी के केस पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी से अब इसकी जांच कर रही एसआइटी विवेचना के हर हिस्से में बहुत संभालकर रख कदम बढ़ा रही है। जांच एजेंसी को भय है कि किसी कमजोर साक्ष्य की वजह से उसकी कोई किरकिरी न हो जाए। विपक्ष और पीडि़त परिवारों को कोई ऐसा मौका न मिल जाए, जिससे यह मामला कोई नया मोड़ ले ले। पुलिस लाइन के क्राइम ब्रांच आफिस में खीरी कांड के मुख्य आरोपित केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्र ‘मोनू’ को शनिवार एसआइटी ने सुबह करीब 10:40 मिनट पर हिरासत में लिया गया। उसके बाद उससे पूछताछ का जो सिलसिला शुरू हुआ वो 12 घंटे तक चला। रात ठीक 10:40 पर एसआइटी के प्रभारी डीआइजी उपेंद्र अग्रवाल मीडिया के सामने आए और जांच व पूछताछ में सहयोग न करने के कारण आशीष मिश्र मोनू को गिरफ्तार करने की जानकारी दी। उसके बाद चिकित्सीय परीक्षण की तैयारी की जाने लगी।

एसआइटी के इस रवैये से साफ हो गया कि बेगुनाही के जो सबूत आशीष मिश्र लेकर के आए थे वो काम नहीं आए। अब एसआइटी ने वह सभी साक्ष्य संकलित करने शुरू कर दिए, जिससे यह साबित होगा कि लखीमपुर खीरी कांड में आरोपित आशीष मिश्र की भूमिका इस मामले में संदिग्ध है और इसके और अधिक साक्ष्य संकलन की जरूरत है। अब यह भी तय है कि इस कांड से जुड़े सभी इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को एसआइटी फारेंसिक जांच कराए बिना अपना साक्ष्य नहीं बनाएगी।