China-Taiwan Tension: ताइवान में चीन की फिर घुसपैठ, हवाई रक्षा सीमा में घुसे 3 चीनी लड़ाकू विमान

China-Taiwan Tension, चीन ने एक बार फिर से ताइवान में घुसपैठ की है। ताइवान के मुताबिक, चीन के तीन लड़ाकू विमान ताइवान की हवाई रक्षा सीमा में घुसे हैं। ताइवान ने रविवार को कहा कि तीन चीनी युद्धक विमानों ने उसके हवाई पहचान क्षेत्र (एडीआईजेड) में प्रवेश किया जो इस महीने में चीन की ओर से छठी घुसपैठ है। ताइवान समाचार ने बताया कि चीन के इस नापाक कदम की प्रतिक्रिया में ताइवान ने विमान भेजे, रेडियो चेतावनी प्रसारित की और तीनों विमानों को ट्रैक करने के लिए वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली भी तैनात की। ताइवान के अधिकारियों ने बताया कि देश के एडीआईजेड में प्रवेश करने वाले तीन विमानों में एक चीनी शानक्सी वाई-8 युद्धक विमान और दो शेनयांग जे-16 लड़ाकू विमान शामिल हैं।

चीन और ताइवान के बीच तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ताइवान पर कब्जे की नीयत से चीन उसकी हवाई सीमा में लगातार लड़ाकू विमान भेज रहा है। 3 अक्टूबर को, ताइपे ने यह भी बताया था कि कम से कम 58 चीनी युद्धक विमानों ने केवल दो दिनों में उसकी हवाई रक्षा सीमा में प्रवेश किया है। ताइवान पिछले कुछ दिनों में चीन द्वारा की गई सबसे बड़ी घुसपैठ में से एक सामने आया है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने 4 अक्टूबर को कहा कि चीनी सेना ने पिछले चार दिनों में उसके एयर डिफेंस जोन में लगभग 150 फाइटर प्लेन से घुसपैठ की है।

चीन-ताइवान के बीच विवाद कैसे शुरू हुआ ?

चीन के साथ ताइवान का पहला संपर्क साल 1683 में हुआ था जब ताइवान, क्विंग राजवंश के नियंत्रण में आया था। लेकिन अंतरराष्ट्रीय राजनीति में इसकी भूमिका पहले चीन-जापान युद्ध (1894-95) में सामने आई, जिसमें जापान ने क्विंग राजवंश को हराया था और ताइवान को अपना पहला उपनिवेश बनाया।

1949 में च्यांग और उनकी पार्टी- कुओमिन्तांग (KMT), माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों के हाथों गृहयुद्ध हार गए। जिसके बाद शेक ताइवान भाग गए और उस पर प्रशासनिक नियंत्रण बनाए रखा। जैसे ही माओ ताइवान को चीन में मिलाने के लिए उस पर हमला करने वाले थे, उसी समय 1950 में कोरियाई युद्ध छिड़ गया। युद्ध ने न केवल माओ को उत्तर कोरिया में कम्युनिस्टों की सहायता करने में व्यस्त रखा बल्कि इसने अमेरिका को ताइवान की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए आगे आने को भी मजबूर किया। वर्तमान के ताइवान में कुछ ही लोग मेनलैंड चीन के साथ इसको जोड़े जाने का समर्थन करते हैं। इसके दो प्रमुख कारण हैं- जातीय राष्ट्रवाद और इससे भी महत्वपूर्ण, नागरिक राष्ट्रवाद।