तालिबान की पकड़ से छिपते-छिपाते एक ट्रांसलेटर और उसका परिवार कतर की राजधानी दोहा पहुंच गया है। ये ट्रांसलेटर बेहद खास है। खास केवल इसलिए ही नहीं कि इसने अमेरिकी सेना के लिए ट्रांसलेटर का काम किया था बल्कि खास इसलिए है क्योंकि इसने वर्ष 2008 में रेस्क्यू मिशन के दौरान जो बाइडन और जिम कैरी की मदद की थी। दरअसल, बाइडन, दो सांसदों जिम कैरी और चक हैगल के साथ उस वक्त अफगानिस्तान के दौरे पर गए थे। इस द्विभाषीय का नाम अमान खलीली है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही खलीली को अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर डर था। इस दौरान खलीली लगातार अपनी जगह बदलते रहे और तालिबान से छिपते रहे।
खलीली अगस्त में अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान से लोगों को निकालने के लिए चलाए गए रेस्क्यू मिशन के दौरान बाहर नहीं निकल सके थे। अफगानिस्तान से सकुशल बाहर निकलने के लिए उन्हें बड़ी मेहनत करनी पड़ी। इसके लिए वो अपने परिवार के साथ पहले जमीनी रास्ते से बचते बचाते पाकिस्तान पहुंचे। उसके बाद वहां से अमेरिकी एयरक्राफ्ट से सकुशल दोहा पहुंचने में कामयाब हुए।
आपको बता दें कि अमेरिकी एयरक्राफ्ट के जरिए हजारों की संख्या में अफगानी बतौर शरणार्थी दोहा पहुंचे हैं। एएफपी के मुताबिक यहां पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय उनके इमीग्रेशन पेपर्स की जांच में जुटा है। इससे पहले वाल स्ट्रीट जनरल ने खबर दी थी खलीली अपनी पत्नी और पांच बच्चों के साथ अगस्त में अफगानिस्तान छोड़ने में विफल रहे थे। उस वक्त अफगान अमेरिकी वेटर्न ग्रुप की मदद से यहां से लोगों को रेस्क्यू किया जा रहा था।
बता दें कि वर्ष 2008 में तत्कालीन सीनेटर जो बाइडन अन्य दो सांसद जान कैरी और चक हैगल के साथ अफगानिस्तान के दौरे पर आए थे। उस वक्त खलीली ने अमेरिकी सेना के साथ मिलकर काम किया था। यहां से वापस लौटते हुए उनके हेलीकाप्टर को एक रिमोट एरिया में बर्फीले मौसम के चलते इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी। उस वक्त खलीली ने अमेरिकी सेना की एक क्विक रिएक्शन टीम को ज्वाइन किया था और बगराम एयरपोर्ट से उन्होंने पहाड़ों से घिरे रिमोट एरिया के लिए उड़ान भरी थी। यहां पर खलीली ने इनको रेस्क्यू करने में मदद की थी।
इस घटना के करीब 13 वर्ष बाद जब खलीली अफगानिस्तान से सकुशल बाहर निकलने में विफल हुए तो उन्होंने अगस्त के अंत में वाल स्ट्रीट जनरल के माध्यम से बाइडन को संदेश भेजा था। इसमें कहा गया था Hello Mr. President: Save me and my family। वाल स्ट्रीट जनरल से हुई बातचीत में उन्होंने ये संदेश राष्ट्रपति को भेजा उस वक्त तक करीब 1.20 लाख लोगों को अमेरिका ने बाहर निकाल लिया था।
खलीली के संदेश के बाद व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी ने कहा था कि सरकार उनकी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए उनकी हर संभव मदद करेगी और उन्हें हर हाल में वहां से रेस्क्यू करेगी। व्हाइट हाउस की तरफ से ये भी कहा गया कि सरकार उनकी सेवाओं का सम्मान करती है। अमेरिका द्वारा एयरलिफ्ट मिशन खत्म होने के बाद उनको अफगान अमेरिकी और यूएस वेटर्न ग्रुप के द्वारा सेफ हाउस में रखा गया था।
अफगान पासपोर्ट पास में न हाने की वजह से वो मजार ए शरीफ से रिफ्यूजी प्लाइट में नहीं बैठ सके थे। इसके बाद ही उन्होंने जमीनी रास्ते से सफर करने का फैसला किया था। 5 अक्टूबर को उन्होंने पाकिस्तान के बोर्डर को क्रास किया था। डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय उन्हें स्पेशल इमिग्रेशन वीजा देने और उनके परिवार के लिए फास्ट ट्रेकिंग प्लान प्रोवाइड करने की योजना पर काम कर रहा है।