बहादुरगढ़: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को 11 महीने पूरे होने काे हैं। ऐसे में आंदोलन में ही किसानों का धान की कटाई और गेहूं की बुवाई का दूसरा सीजन आ गया है। किसान अब पहले धान की कटाई और बाद में गेहूं की बुवाई में व्यस्त होने वाले हैं। ऐसे में बार्डरों पर मोर्चा बरकरार रखना आंदोलनकारी नेताओं के लिए चिंता का सबब बन गया है।
फसल कटाई व बुवाई के इस सीजन में आंदोलन में भीड़ जुटाए रखना चुनौती बना हुआ है। मगर महिला किसानों ने साफ कर दिया है कि हमारे पुरुष आंदोलनकारी भले ही फसल कटाई व बुवाई में व्यस्त हो जाएं लेकिन वे आंदोलन को कमजोर नहीं होने देंगी। ऐसे में पंजाब के गांवों में महिलाओं को मोर्चे पर पहुंचने के लिए आह्वान किया जा रहा है। महिलाओं को आंदोलन में अपनी भागीदारी निभाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। साथ ही महिलाओं को इस बात के लिए भी जागरूक किया जा रहा है कि आंदोलन में उनकी सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाएगा।
इसके लिए भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा ने तो बाकायदा महिलाओं की सुरक्षा के लिए अलग से एक इकाई का भी गठन कर रखा है। यह इकाई आंदोलन में शामिल महिलाओं की समस्याएं सुनकर उन्हें दूर करने का प्रयास करती है। भाकियू एकता उगराहा ग्रुप से जुड़ी जिला पटियाला की महिला नेता गुरप्रीत कौर बरस बताती हैं कि आने वाले दिनों में धान का मौसम शुरू होने के साथ ही गेहूं की बुवाई भी जाएगी।
हमारे किसानों को अपनी फसल खुद ही काटनी है और भविष्य में गेहूं की बुवाई करनी है। सरकार काे भ्रम है कि किसान अपनी खेती से जुड़ेंगे, तो आंदोलन में भीड़ कम होगी। मगर हम महिलाए इस मोर्चे को खत्म नहीं होने देंगी। महिलाओं की संख्या फसली सीजन के दौरान मोर्चे पर बढ़ाई जाएगी।