Ranjit Singh Murder Case: 19 साल बाद दीवाली मनाएगा रंजीत सिंह का बेटा जगसीर, बताई संघर्ष की गाथा

Ranjit Singh Murder Case: पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत द्वारा डेरा सच्‍चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सहित पांच दोषियाें को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने से रंजीत सिंह के परिवार को राहत मिली है। अदालत के फैसले के बाद रंजीत सिंह के पुत्र जगसीर सिंह का दर्द सामने आ गया। जगसीर और उनके परिवार ने गुरमीत राम रहीम जैसे ताकतवर व्‍यक्ति से 19 साल तक संघर्ष के दौरान दीवाली नहीं मनाई। अब इस बार दीवाली मनाएंगे।

जगसीर ने कहा, तब मैं सात साल का था, आज 27 का हो गया हूं। लगभग 19 साल मैंने दीवाली नहीं मनाई, लेकिन इस बार दीवाली जरुर मनाउंगा। पिता के हत्यारों को उम्रकैद की सजा मिलने के बाद बातचीत में जगसीर ने बताया कि वह ग्रेजूएट हैं और अब खेतीबाड़ी करते हैं। जगसीर ने कहा, उसके दादा ने हत्यारों को सजा दिलाने के लिए जो संघर्ष शुरू किया था, वह आज पूरा हो गया। काश, मेरे दादा अपनी आंखों से यह न्याय देख पाते। 2016 में उनका निधन हो गया था।

जगसीर ने बताया कि गोलियों की आवाज सुनकर और पिता के छलनी चेहरे की याद आते ही आज भी उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पिता की हत्‍या पर फैसला आया है इसलिए अब अपने इस दुख को सबसे साझा करना चाहता हूं। वारदात के समय महज सात साल का था और कोचिंग से क्लास खत्म होने के बाद घर पहुंचा था। मां ने बताया कि पिता जी खेत में काम कर रहे मजदूरों के लिए गए हैं। इसके बाद मैं खेल में मस्त हो गया। कुछ देर बाद सूचना मिली कि गांव में किसी की गोली मारकर हत्या हुई है।

जगसीर ने कहा, मां सहित घर के अन्य सदस्य सूचना के बाद खेत की ओर भागे। मैं इस बात से काफी परेशान हो गया और खेत की ओर चल दिया। खेत के पास पहुंचा तो देखा कि भीड़ जमा है और मां रो रही है। साथ में दादा जोगिंदर सिंह परेशान से खड़े हैं और मां को ढांढस बंधा रहे हैं। जगसीर के मुताबिक काफी देर बाद भीड़ को साइड कर देखा तो वहां मंजर देखकर होश उड़ गए। पापा का गोलियों से छलनी चेहरा दिखा। पहचान भी नहीं पा रहा था कि यह मेरे पिता हैं।

जगसीर ने कहा, मां से पूछा कि ये पापा हैं तो मां ने कहा नहीं बेटा कोई और है। इसके बाद घर आकर मैं सो गया, सुबह जब उठा तो देखा कि घर के बाहर भीड़ है और सब रो रहे हैं। मां भी रो रही है, मैं पास गया और बोला क्या हुआ मां। मां ने मुझे गले लगा लिया, बोली कि बेटा पापा चले गए और रोने लगी। यह दृश्य आज भी मेरे जेहन में जिंदा है।