अमेरिका ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमलों की निंदा की है। विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि धर्म की स्वतंत्रता एक मानवाधिकार है। दुनिया भर में प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वो किसी भी धर्म में विश्वास करता हो, उसे महत्वपूर्ण त्योहारों को मनाने के लिए सुरक्षित महसूस करना जरूरी है।
वाशिंगटन में बांग्लादेशी हिंदुओं ने देश में हो रही हिंसा पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। उन्होंने बांग्लादेशी दूतावास के समक्ष जमकर विरोध प्रदर्शन किया। समुदाय के प्रतिनिधि प्रनेश हलधर ने अमेरिकी विदेश विभाग को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि बांग्लादेश में हिंदुओं को और कोई नुकसान न पहुंचे। वहीं, बांग्लादेश की राजधानी ढाका में भी सोमवार को सैकड़ों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।
अमेरिका के हिन्दू अधिकार समूह हिन्दूपैक्ट के कार्यकारी निदेशक उत्सव चक्रवर्ती ने कहा कि यह देखना खासतौर पर भयावह है कि नोआखाली में बसे हिन्दुओं पर इस तरह से हमले हो रहे हैं। बांग्लादेश में मूल हिन्दू समुदाय के लोग लगातार भेदभाव और नफरत का शिकार हो रहे हैं। वहां अल्पसंख्यक आबादी 1940 में 28 प्रतिशत थी और तेजी से घट कर नौ प्रतिशत पर आ गई है।
बता दें कि दुर्गा पूजा पंडालों पर हुए हमलों को सरकार ने पूर्व नियोजित करार दिया है। गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल ने इन हमलों को बांग्लादेश के धार्मिक सौहार्द को खराब करने का षड्यंत्र बताया है। उन्होंने दावा किया कि वर्ष 2023 में होने वाले आम चुनाव से पहले देश की शांति भंग करने की कोशिश की जा रही है।
मंत्री ने कहा, ‘हम इन हमलों में बीएनपी-जमात या किसी तीसरी ताकत के शामिल होने की आशंका से इन्कार नहीं कर रहे हैं।’ अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर भारत की चिंताओं को दूर करते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार इस दिशा में हरसंभव कदम उठा रही है। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘इन हमलों का तालिबान से कोई लेनादेना नहीं।’