हरभजन सिंह ने उड़ाया कोरोना वैक्सीन का मजाक, फैंस ने लगा दी क्लास

 पूरा विश्व इस समय कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है। खुद अपने देश यानी भारत में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में देश और दुनिया की निगाहें कोरोना की वैक्सीन पर हैं, जिससे कि जीवन पटरी पर लौट सकता है। इसी बीच कुछ कंपनियों ने वैक्सीन बना ली है, लेकिन कोई भी वैक्सीन 100 फीसदी सही नहीं है। इसी बात को लेकर भारतीय टीम के महान स्पिनर हरभजन सिंह ने एक सवाल किया है।

भारत में कोरोना के केसों की संख्या 1 करोड़ के पास पहुंचने को है। ऐसे में इस पर लगाम लगाने के लिए वैक्सीन की जरूरत होगी। दुनिया के कई देशों में वैक्सीन बन चुकी है और भारत में भी 3 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में है। खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन लैबों का दौरा कर रहे हैं, जो वैक्सीन बना रही हैं। इस बीच भारतीय क्रिकेटर हरभजन सिंह ने एक कोरोना वैक्सीन को लेकर एक ऐसा ट्वीट किया, जिसकी वजह से उनको ट्रोल होना पड़ा।

 

हरभजन सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा, “फाइजर और बायोटेक वैक्सीन की एक्युरेसी- 94 प्रतिशत, मोडेर्ना वैक्सीन- 94.5 प्रतिशत, ऑक्सफर्ड वैक्सीन- 90 प्रतिशत….भारतीयों का रिकवरी रेट (बिना वैक्सीन)- 93.6 प्रतिशत…क्या भारतीयों को वाकई वैक्सीन की जरूरत है? भज्जी को इसी ट्वीट के चलते ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ा है। इस पर उनके ही फैंस ने उनकी क्लास लगा दी है।एक यूजर ने लिखा है कि ट्वीट करने से पहले विज्ञान पढ़ लीजिए। भज्जी से इस फैन ने ये भी पूछा है क्या आप ऐसे जहाज में बैठना पसंद करेंगे, जिसके क्रैश होने के चांस 5 फीसदी हों? इस यूजर ने बताया है रिकवरी रेट का मतलब ये भी है कि बाकी बचे लोग गंभीर हैं या फिर मर चुके हैं। वहीं, कुछ फैंस ने उनको सलाह दी है कि रिकवरी रेट भारत में अच्छा है।एक यूजर ने उनको क्रिकेट के लहजे में ही सलाह दे दी है कि जब क्रिकेट की पिच पर एक ही शख्स की मौत हुई है तो क्या इस हिसाब से हेल्मेट लगाना जरूरी है। एक IPS ने कहा है कि आंकडे सही किस तरह होते हैं ये बस उसी क्षेत्र से जुड़ा शख्स जान सकता है।एक यूजर ने मिर्जापुर 2 का एक डायलॉग शेयर करते हुए लिखा है कि ‘आपसे बेटर उम्मीद किए थे हम’। वहीं, एक अन्य यूजर ने तो उनको वाट्सएप फैमिली ग्रुप के मामा-फूफा की उपाधि दे दी है। एक यूजर ने लिखा कि वैक्सीन की असर क्षमता का आंकलन 93.6 प्रतिशत ठीक होने वाले लोगों पर नहीं किया गया है। ये उन 6.4 प्रतिशत लोगों के लिए हैं जो रिकवर नहीं हो पा रहे हैं।