तीन कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसान संगठनों के आंदोलन के खिलाफ अब भाजपा के साथ औद्योगिक संगठन भी मुखर हो रहे हैं। गत दिवस नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत से जहां भाजपा नेताओं ने तीखी बहस की। औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी दिल्ली-हरियाणा सीमा पर बंद रास्ते खोलने का मुद्दा उठाया। इन्होंने आंदोलन के तरीके पर सवाल खड़े किए।
हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने राकेश टिकैत से सीधे कहा कि किसान खेत में काम कर रहे हैं और पहले की तरह एमएसपी पर मंडियों में अपनी फसल बेच रहे हैं। तीन कृषि सुधार कानूनों पर शीर्ष अदालत ने फिलहाल रोक लगाई हुई है। फिर ये आंदोलन क्यों किया जा रहा है, जिसमें सोनीपत और बहादुरगढ़ बार्डर 10 माह से बंद है। इन बार्डर के आसपास के उद्योग-व्यापार ठप हो गए हैं।
बस सेवा प्रभावित हो रही है। बंद रास्तों की वजह से आवागमन में लोगों को परेशानी हो रही है। हजारों लोग बेरोजगार हो रहे हैं। शर्मा ने कहा कि आंदोलन करने का सबको अधिकार है मगर आंदोलन किसी ऐसे विषय पर होता है जिसको जनता का समर्थन हो। परिवहन मंत्री ने कहा कि दक्षिण हरियाणा के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, फरीदाबाद, गुरुग्राम, पलवल, नूंह में कहीं आंदोलन नहीं है क्योंकि किसान अपने खेत में काम कर रहा है।
हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने राकेश टिकैत से सीधे कहा कि किसान खेत में काम कर रहे हैं और पहले की तरह एमएसपी पर मंडियों में अपनी फसल बेच रहे हैं। तीन कृषि सुधार कानूनों पर शीर्ष अदालत ने फिलहाल रोक लगाई हुई है। फिर ये आंदोलन क्यों किया जा रहा है, जिसमें सोनीपत और बहादुरगढ़ बार्डर 10 माह से बंद है। इन बार्डर के आसपास के उद्योग-व्यापार ठप हो गए हैं।
बस सेवा प्रभावित हो रही है। बंद रास्तों की वजह से आवागमन में लोगों को परेशानी हो रही है। हजारों लोग बेरोजगार हो रहे हैं। शर्मा ने कहा कि आंदोलन करने का सबको अधिकार है मगर आंदोलन किसी ऐसे विषय पर होता है जिसको जनता का समर्थन हो। परिवहन मंत्री ने कहा कि दक्षिण हरियाणा के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, फरीदाबाद, गुरुग्राम, पलवल, नूंह में कहीं आंदोलन नहीं है क्योंकि किसान अपने खेत में काम कर रहा है।
सरकार किसान संगठनों को बातचीत के लिए आमंत्रित करती है तो किसान संगठन कहते हैं कि पहले तीन कानून रद करो। जब तीन कानून रद हो जाएंगे तो फिर सरकार बातचीत ही किस मुद्दे पर करेगी। इसलिए किसान संगठनों को बिना शर्त सरकार से बातचीत करनी चाहिए। भाटिया ने कहा कि दिल्ली-हरियाणा सीमा पर बंद रास्तों से उद्योग व्यापार ही नहीं बल्कि आम लोग भी परेशान हैं। इसलिए पहले बंद रास्ते खुलने चाहिए।
सूरजपाल अम्मू ने भी राकेश टिकैट को सुनाई खरी-खरी
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सूरजपाल अम्मू की भी इस दौरान राकेश टिकैत से तीखी बहस हुई। यह पहला अवसर था जब किसान नेता राकेश टिकैत के सामने भाजपा सहित औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपनी बात खुलकर रखी। टिकैत इस दौरान बंद रास्तों को खोलने संबंधी मुद्दे पर जवाब की बजाय अन्य मुद्दों पर अपनी बात रखते रहे।
भाजपा नेताओं और औद्योगिक संगठन के प्रतिनिधियों की टिकैत के साथ हुई तीखी बहस के वीडियो इंटरनेट मीडिया पर भी वायरल हो रहे हैं। इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रही इस बहस से अब वे भाजपा नेता सकते में हैं जो इस कार्यक्रम में मौजूद रहकर भी कुछ नहीं बोले।