खराब जीवनशैली, मोटापा, उच्च रक्तचाप व तनाव के कारण ब्रेन स्ट्रोक यानि लकवा के मरीज साल-दर-साल बढ़ रहे हैं। कालांतर में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा 50 वर्ष की आयु के बाद रहता था। अब 35 वर्ष की आयु में भी ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है। समय पर इलाज न मिले तो मरीज की जान भी जा सकती है! सर्दी के मौसम में स्ट्रोक का खतरा अधिक रहता है। इसके लक्षण समझ में आते ही तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए। जरा सी लापरवाही से जान भी जा सकती है।
सिविल अस्पताल के ओपीडी ब्लाक में स्थित नान कम्यूनिकेबल डिजीज (एनसीडी) क्लीनिक की नोडल अधिकारी एवं डिप्टी सिविल सर्जन डा. शशि गर्ग ने बताया कि क्लीनिक में नेशनल प्रोग्राम फार प्रिवेंशन एंड कंट्रोल आफ कैंसर, डायबिटीज, कार्डियो वैसकुलर डिजीज एवं स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) के तहत स्ट्रोक के मरीजों को प्राथमिक इलाज और परामर्श दिया जाता है। हालांकि, एक साल में इस क्लीनिक में स्ट्रोक का एक भी मरीज नहीं पहुंचा।विभिन्न अस्पतालों में इलाज उपरांत पोस्ट स्ट्रोक कुछ लोग अस्पताल की फिजियोथैरेपी यूनिट में पहुंचते हैं।
उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि विश्व स्तर पर प्रति 40 सेकेंड में एक व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक आता है। प्रति 4 मिनट में एक व्यक्ति स्ट्रोक से मरता है। बात हरियाणा की करें तो लगभग 10 प्रतिशत जनसंख्या को जीवन में कभी न कभी एक बार जरूर स्ट्रोक आता है।
ब्रेन स्ट्रोक से शरीर के दोनों हाथ और पैर भी शिथिल (लकवा मारना) हो सकते हैं। यह तब होता है जब दिमाग तक ब्लड पहुंचने में रुकावट आ जाती है। उन्हें आक्सीजन व पोषण नहीं मिलता। दिमागी कोशिकाएं सिकुड़ने लगती हैं। कमजोर होकर फटने लगती हैं। शरीर का कोई हिस्सा काम करना बंद कर देता है।
पहले छह घंटे गोल्डन पीरियड
स्ट्रोक आने के बाद पहले छह घंटे मरीज के लिए गोल्डल पीरियड होते हैं। मरीज को किसी ऐसे अस्पताल में पहुंचाएं जहां न्यूरो फिजिशियन-सर्जन, सीटी स्कैन की सुविधा हो। सबसे पहले मरीज को खून पतला करने का इंजेक्शन दिया जाता है।
ये हैं स्ट्रोक के कारण
-शुगर और कोलेस्ट्राल बढ़ना।
-उच्च रक्तचाप, मोटापा
-तनावग्रस्त रहना
-धूम्रपान और शराब का सेवन।
कर सकते हैं बचाव
डा. शशि के मुताबिक यूं तो स्ट्रोक अचानक आता है। इसके पूर्व लक्षण नहीं हैं। खानपान में सुधार व नियमित व्यायाम-ध्यान करें तो ब्रेन स्ट्रोक, यानि लकवा से बचा जा सकता है।
संकेतों को जानें, अंग्रेजी के शब्द बी-एफ-ए-एस-टी (बी-फास्ट) पर काम करें
बेलेंस-अगर व्यक्ति शरीर से बैलेंस खो देता है।
आई-व्यक्ति को एक या दोनों आंखो से दिखना बंद हो जाए।
फेस-क्या मरीज का उनका चेहरा शिथिल हो गया है।
आर्म-क्या मरीज अपनी दोनों बाजू उठा सकते हैं।
स्पीच-क्या मरीज अस्पष्ट तरीके से बोल रहा है।
टाइम-911 पर काल कर एंबुलेंस बुलाएं।
अस्पताल में लगेगा शिविर
सिविल अस्पताल की फिजियोथैरेपिस्ट नेहा बंसल ने बताया कि 29 अक्टूबर को ओपीडी ब्लाक में जागरूकता कार्यक्रम होगा। मरीजों-तीमारदारों को स्ट्रोक के विषय में जानकारी दी जाएगी। बैनर-पोस्टर भी चस्पा किए गए हैं।