Tikri Border से रास्ता खुलने के बाद हरियाणा के किसानों में है ज्यादा नाराजगी, संयुक्त मोर्चा के फैसले का इंजतार

तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे बीते 11 महीनों से आंदोलन के कारण बंद रहे टीकरी बार्डर से रास्ता खुलने के बाद हरियाणा के किसानों में नाराजगी दिख रही है। रास्ते खोलने के लिए सहमति जताने पर आंदाेलनकारी नेताओं का फैसला उन्हें रास नहीं आ रहा है। जिस दिन से रास्ते खोले गए, उसी दिन से वे आंदोलन में सक्रियता भी कम दिखा रहे हैं। सभा स्थल पर भी संख्या कम दिख रही है। वैसे तो यह धान की फसल की कटाई, रबी की बिजाई और त्योहारों का मौसम है, लेकिन रास्ता खुलने के बाद उन्हें आगे की राह नहीं सूझ रही है।

अब छह नवबर को होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में बड़ा फैसला लेने का आह्वान किया जा रहा है, लेकिन जिस तरह से आंदोलन स्थलों पर किसानाें की संख्या कम हुई है, उससे सरकार पर किसी तरह का दबाव भी नही दिख रहा है। ऐसे में संयुक्त मोर्चा भी कोई प्रभावी फैसला ले पाएगा, इसकी संभावना कम नजर आ रही है। ऊपर से यह मसला दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। हाईकोर्ट में तो 15 नवंबर को सुनवाई होनी है। जबकि सुप्रीम कोर्ट में सात दिसंबर को दोबारा से सुनवाई होगी।

अब तक तो आंदोलनकारियों द्वारा रास्ते बंद करने के लिए दिल्ली पुलिस को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा था, लेकिन पिछले दिनों जिस तरह से दिल्ली पुलिस द्वारा रास्ता खोलने पर किसान विरोध में उतरे और एक तरफ से पर्याप्त रास्ता खुलने की बजाय आंदोलनकारियों के कारण केवल दुपहिया और पैदल राहगीरों के लिए ही रास्ता खोला गया, उसको लेकर कोर्ट की ओर से अब सख्त रुख अपनाया जा सकता है। इधर, टीकरी बार्डर से कम से कम पैदल राहगीरों और दुपहिया वाहन सवार लोगों को दिल्ली जाने-आने के लिए अब सीधी राह मिल गई है। जबकि पहले उन्हें इधर-उधर से निकलना पड़ रहा था।