29 अक्टूबर को कन्नड़ सुपरस्टार पुनीत राजकुमार को सीने में दर्द के बाद बेंगलुरु के अस्पताल भर्ती कराया गया। सिर्फ 46 साल के इस अभिनेता की डॉक्टरों की एक टीम ने जांच की, जिसके बाद उन्होंने बताया कि उनके शरीर पर मेडिकल केयर और इलाज का किसी भी तरह असर नहीं हो रहा है। अस्पताल ने एक स्टेटमेंट जारी कर कहा, ” श्री पुनीत राजकुमार जिस वक्त एमर्जेंसी में आए थे वे उस वक्त रिस्पॉन्सिव नहीं थे और कार्डियक ऐसिस्टोल में थे। इसलिए, पुनर्जीवन के लिए तत्काल उन्नत कार्डियक लाइफ सपोर्ट उपाय शुरू किए गए। ऐसा कहा जा रहा है कि अभिनेता जिम में कसरत कर रहे थे, जिसके बाद उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ और उन्हें अस्पताल ले जाया गया।
सैंडलवुड स्टार एक बेहद हेल्दी जीवन जीते थे और वे एक फिटनेस फ्रीक थे। पोषण कोच रयान फर्नांडो ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट के ज़रिए बताया कि पुनीत राजकुमार का वर्कआउट रुटीन युवाओं के बीच एक बड़ा हिट था और स्वस्थ लाइफस्टाइल का पालन करने के लिए उन पर हमेशा सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
दुखद बात यह कि इस वर्कआउट को ही इस एक्टर की समय से पहले मौत का ज़िम्मेदार माना जा रहा है। इससे पहले एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला भी एक्सरसाइज़ करने के बाद कार्डिएक अरेस्ट के शिकार हुए थे। जो हुआ वह दुर्भाग्यपूरण था, लेकिन इस तरह की घटनाएं सभी को यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या ज़्यादा वर्कआउट करना घातक साबित हो सकता है? अगर हां, तो हमें कैसे पता चलेगा कि कब रुकना है?
गंभीर बीमारियों से दूर रहने, सेहतमंद और लंबी ज़िंदगी जीने के लिए फिज़िकल एक्टिविटी बेहद ज़रूरी है। रोज़ाना व्यायाम करने से आपकी लाइफस्टाइल एक्टिव बनी रहती है, वज़न कंट्रोल में रहता है और आपके दिल की सेहत भी अच्छी रहती है। हालांकि, यह समझना भी ज़रूरी है कि हम अपने शरीर के साथ ज़बरदस्ती न करें, क्योंकि इसके नुकसान भी हो सकते हैं
जल्दी परिणाम पाने की चक्कर में लोग पर्याप्त प्रशिक्षण के बिना व्यायाम करते हैं, और अचानक वर्कआउट की इंटेसिटी को बढ़ा देते हैं, जिससे मस्कुलोस्केलेटल कंकाल की चोट हो सकती है, हृदय और रक्तचाप सहित हृदय प्रणाली पर प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही बिना वार्म-अप के बिना एक्सरसाइज़ करने से भी चोट लगने का डर होता है।
दिल पर पड़ता है असर
ज़्यादा एक्सरसाइज़ कर लेने से मांसपेशियों में दर्द, सूजन, थकावट, मूड का बदना और नींद से जुड़ी दिक्कतें होने लगती हैं। लेकिन समय के साथ ये दिक्कतें दिल और शरीर के बाकी हिस्सों तक पहुंच जाती हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ज़रूरत से ज़्यादा वर्कआउट कर लेने से ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। जिन रोगियों के हृदय की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल प्लाक होता है, उनमें जमा पट्टिकाएं फट सकती हैं या कट सकती हैं और इससे दिल का दौरा पड़ सकता है। कुछ रोगी गंभीर हृदय ताल असामान्यताएं विकसित कर सकते हैं जिन्हें ventricular arrhythmia कहा जाता है जो अचानक मृत्यु का कारण भी बन सकता है
कार्डियोवैस्कुलर कार्यों को प्रभावित करने के अलावा, ज़रूरत से ज़्यादा व्यायाम करने से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमज़ोर हो सकती है, जिससे आप संक्रमण और वायरल रोगों से ग्रस्त हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, चोट का ख़तरा बहुत अधिक है।
एक्सरसाइज़ करना ज़िंदगी का ज़रूरी हिस्सा है और इसे किसी कीमत पर रोकना नहीं चाहिए। लेकिन अगर आप दिल के मरीज़ हैं, या डायबिटीज़ जैसी दूसरी गंभीर बीमारियां हैं, तो आपको अपने शरीर से ज़रूरत से ज़्यादा मेहनत नहीं करानी चाहिए।
साथ ही यह जानना भी ज़रूरी है कि आपको कब रुकना है। इसके संकेत हल्के होते हैं, लेकिन इलाज फौरन होना चाहिए। एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगर कहीं भी दर्द है, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, दिल की धड़कने बढ़ना, ज़रूरत से ज़्यादा पसीना आना या कमज़ोरी आदि महसूस करते हैं, तो वर्कआउट को फौरन रोक दें। कभी भी वर्कआउट न करें अगर पूरी तरह फिट महसूस नहीं कर रहे हैं।
आपका शरीर कई तरीकों से आपसे बात करता है। जब आपको सर्दी या फ्लू है, तो यह आपको बताता है कि आपका इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो गया है। जब आपका वज़न बढ़ जाता है, तो यह एक संकेत है कि आपका कैलोरी का सेवन ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ गया है। और अगर बिना वजह वज़न कम हो रहा हो, तो इस बात का संकेत होता है कि आप किसी हार्मोनल बीमारी से जूझ रहे हैं।
इसी तरह, जब बात आती है एक्सरसाइज़ की, तो भी आपको अपने शरीर की सुननी चाहिए। ऐसी एक्सरसाइज़ के नोट्स बनाएं, जो आपको पसंद हैं। शरीर पर ज़रूरत से प्रेशर न डालें। वर्कआउट के बात खुद से पूछें कि आपको अच्छा लग रहा है या फिर कमज़ोरी, मज़बूत या कमज़ोर। दर्द के संकेतों को नज़रअंदाज़ न करें, चाहे हल्के ही क्यों न हों। अपनी दिमाग़ी सेहत पर भी ध्यान दें।