पेट्रोल और डीजल पर वैट को कम करने से राज्यों को लगभग 44,000 करोड़ के कर राजस्व का नुकसान होने की उम्मीद की जा रही है। लेकिन ऐसा भी माना जा रहा है कि, 60,000 करोड़ रुपये के उच्च केंद्रीय कर से नुकसान की भरपाई भी हो जाएगी। ICRA की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों से जनता को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने दिवाली से ठीक एक दिन पहले पेट्रोल पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी में 5 रुपए और डीजल पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी में 10 रुपए की कटौती की थी। केंद्र सरकार के इस कदम के बाद लगभग 25 राज्यों और केंद्र साशित प्रदेशों ने भी ईंधन पर लगने वाले मूल्य वर्धित टैक्स यानी कि वैट को में कटौती की थी।
रेटिंग एजेंसी ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने गुरुवार को बयान देते हुए यह कहा कि, “कर कटौती से राज्यों को वित्त वर्ष 2022 में लगभग 44,000 करोड़ रुपए का राजस्व घाटा उठाना पड़ा है, जिसमें से 35,000 करोड़ रुपए का नुकसान वैट में कटौती के कारण उठाना पड़ा है। लेकिन, वास्तविकता में राज्यों को राजस्व का नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा, क्योंकि उन्हें केंद्र से 60,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिल रहा है, जो कि अधिक बजट से अधिक कर हस्तांतरण के हिस्से के रूप में है।”
केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कमी आने से राज्यों के राजस्व पर सीधे तौर पर कोई भी असर नहीं पड़ता है। हालांकि, उत्पाद शुल्क में कटौती के कारण राज्यों के वैट संग्रह में 9,000 करोड़ रुपए की कमी आने की उम्मीद की जा रही है। इसके साथ ही अदिति नायर ने उत्पाद शुल्क में कटौती और कोविड-19 के असर से बाहर आती अर्थव्यवस्था को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2022 में पेट्रोल और डीजल की खपत में क्रमशः 14 फीसद और 8 फीसद वृद्धि का अनुमान लगाया है।”