दुधवा टाइगर रिजर्व के पर्यटन सत्र का प्रारंभ सोमवार को हो जाएगा। दुधवा पर्यटन परिसर में विधिविधान से पूजन-अर्चन करने के बाद पार्क का मुख्य गेट खोला जाएगा। पहले दिन जंगल वन्य प्राणी सप्ताह में आयोजित कार्यक्रम के प्रतिभागी बच्चों के लिए भ्रमण नि:शुल्क रहेगा। पर्यटकों को बंगाल टाइगर, एक सींग वाला गैंडा, पांच तरह के हिरन और 450 से अधिक प्रजाति के पक्षियों को करीब से देखने की उम्मीद यहां पूरी हो सकती है। इसके अलावा साइबेरियन पक्षी, भालू, जंगली हाथियों के झुंड भी देखने को मिल सकते हैं।
दुधवा में तैयार हैं हट : दुधवा टाइगर रिजर्व में रुकने के लिए बेहतरीन हट मौजूद हैं। पक्के हट गीजर, एसी आदि से परिपूर्ण हैं। इसके अलावा चार रेस्ट हाउस भी हैं। यहां आने वाले सैलानियों को कैंटीन का बढ़िया खाना भी मिलेगा। इसके अलावा ठहरने के लिए 10 व 20 बेड की दो डोरमेट्री भी है।
दुधवा में ठहरने के लिए करें आनलाइन बुकिंग : दुधवा की हट की बुकिंग पूर्णरूप से आनलाइन है। इसके लिए यूपी इको टूरिज्म की आफिशियल वेबसाइट upecotourism.in पर आपको एक लिंक मिल जाएगा। इसके अलावा आप दुधवा टाइगर रिजर्व की वेबसाइट dudhwanationalpark.in का भी प्रयोग कर सकते हैं। आफिशियल वेबसाइट पर जाकर हट की बुकिंग की जा सकती है। थारू हट दो व्यक्तियों के लिए 4032 रुपये जीएसटी सहित और डोरमेट्री दस बेड दस हजार रुपये के शुल्क पर उपलब्ध है। डोरमेट्री के शुल्क में जीएसटी अलग से लिया जाएगा।
जंगल भ्रमण के लिए शुल्क : जंगल भ्रमण के लिए प्रति व्यक्ति 100 रुपये का फिक्स चार्ज है। रोड टैक्स तीन सौ रुपये है। जिप्सी की आनलाइन बुकिंग 2350 रुपये है, जिसमें नेचर गाइड का पैसा शामिल है। वैसे नेचर गाइड के 450 रुपये होते हैं। इसके अलावा हट व जिप्सी को उपयोग के बाद सैनिटाइज कराने का काम इस बार रोक दिया गया है और उसका कोई शुल्क पर्यटकों से नहीं लिया जाएगा। गैंडा दर्शन पर अभी फिलहाल रोक है। क्षेत्र में पानी भरा होने के कारण सैलानी गैंडा प्रक्षेत्र में नहीं जा सकेंगे।
हाथी की सवारी उपलब्ध नहीं : दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड निदेशक संजय पाठक ने बताया कि दुधवा के नए पर्यटन सत्र का शुभारंभ सोमवार को पूर्वाह्न आठ बजे किया जाएगा। इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। पर्यटकों को पार्क के दो टूरिस्ट जोन सलूकापुर और किशनपुर में भ्रमण कराया जाएगा। सठियाना क्षेत्र में बाढ़ के कारण अभी पर्यटन गतिविधियां निरस्त कर दी गई हैं। हाथी की सवारी भी सैलानियों के लिए उपलब्ध नहीं है।