निजी स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों को अहमियत दे रहे छात्र, यूपी और केरल में सबसे आगे; जाने वजह

पिछले तीन साल में छात्रों का झुकाव निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों की ओर बढ़ा है और उत्तर प्रदेश व केरल के सरकारी स्कूलों में होने वाले दाखिलों में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है। महामारी के पहले के समय (2018) से लेकर अब तक के दौरान ट्यूशन पढ़ने वाले स्कूली बच्चों की संख्या में भी 10 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है। वहीं, कोरोना के कारण कक्षा एक और दो का तीन में से एक छात्र फिजिकली कभी स्कूल नहीं गया। वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर), 2021 में यह जानकारी सामने आई है।

यह रिपोर्ट 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है। कुल 76,706 घरों और पांच से 16 साल के 75,234 बच्चों के बीच यह सर्वेक्षण किया गया। बुधवार को जारी की गई एएसईआर की 16वीं रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अखिल भारतीय स्तर पर, निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों की ओर स्पष्ट रूप से झुकाव देखा गया है। छह से 14 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए निजी स्कूलों में दाखिले की संख्या 2018 में 32.5 प्रतिशत थी, जो 2021 में घटकर 24.4 प्रतिशत रह गई। रिपोर्ट में कहा गया, यह सभी कक्षाओं और लड़कों तथा लड़कियों के बीच देखा गया। हालांकि निजी स्कूलों में लड़कों का दाखिला कराने की संभावना लड़कियों की तुलना में अब भी अधिक है।

सरकारी स्कूलों में 2018 में औसतन 64.3 प्रतिशत दाखिला हुए जो पिछले साल बढ़कर 65.8 प्रतिशत हो गए और इस साल यह 70.3 प्रतिशत पर पहुंच गए। वर्ष 2006 से 2014 तक निजी स्कूलों में दाखिले की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी गई। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ साल तक 30 प्रतिशत पर टिके रहने के बाद, महामारी के वर्षो में इसमें उल्लेखनीय गिरावट देखी गई। कोरोना के पहले भी सरकारी स्कूलों में लड़कियों की संख्या लड़कों से ज्यादा थी। रिपोर्ट में कहा गया कि यह समय के साथ जारी है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि बच्चों के लिए घर पर पढ़ाई के माध्यम पिछले एक साल में कम हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया, ‘अखिल भारतीय स्तर पर 2018 में 30 प्रतिशत से कम बच्चे निजी ट्यूशन लेते थे। 2021 में यह अनुपात 40 प्रतिशत तक बढ़ गया है। यह अनुपात सभी प्रकार के स्कूलों, कक्षाओं, लड़कों और लड़कियों में बढ़ा है।’ रिपोर्ट के मुताबिक केरल को छोड़कर लगभग सभी राज्यों में ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है। ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में सबसे ज्यादा वृद्धि वंचित परिवारों में देखी गई।