2-2 की ड्रॉ सीरीज में कैसा खेले भारतीय प्लेयर्स:कप्तान शुभमन टॉप स्कोरर, सिराज हाईएस्ट विकेट-टेकर, नायर-सुदर्शन ने निराश किया; रेटिंग्स

इंग्लैंड में करीब 2 महीने चली एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी को टीम इंडिया ने 2-2 से ड्रॉ करा लिया। भारत ने आखिरी मुकाबला 6 रन के करीबी अंतर से जीता, सीरीज हार टाल दी। भारत ने लॉर्ड्स टेस्ट 22 रन से गंवाया, वहीं लीड्स टेस्ट में 373 रन डिफेंड नहीं कर सका। अगर एक भी मुकाबले का नतीजा भारत के पक्ष में रहता तो टीम इंडिया सीरीज जीत जाती।

पूरी सीरीज में टीम के कुछ खिलाड़ियों का प्रदर्शन बेहतरीन रहा। 3 भारतीयों ने 500 प्लस रन बनाए, कप्तान शुभमन गिल तो 754 रन बनाकर टॉप स्कोरर रहे। वहीं मोहम्मद सिराज ने सबसे ज्यादा विकेट लिए। उन्होंने ही आखिरी टेस्ट में 9 विकेट लेकर टीम को जीत भी दिलाई।

स्टोरी में भारतीय प्लेयर्स की रेटिंग…

1. केएल राहुल: 9/10

टीम इंडिया के ओपनर केएल राहुल को रोहित शर्मा के रिटायरमेंट के बाद पूरी सीरीज में ओपनिंग करने का मौका मिला। उन्होंने इस मौके को भुनाया और 532 रन बना दिए। इनमें 2 शतक और 2 फिफ्टी शामिल रहीं। राहुल ने आखिरी टेस्ट छोड़कर हर मुकाबले में 50 से ज्यादा का स्कोर बनाया। इनमें भी 3 बार राहुल 46, 39 और 42 रन के स्कोर पर आउट होकर फिफ्टी लगाने से चूक गए।

राहुल ओपनिंग करते हुए घर से बाहर 500 से ज्यादा रन बनाने वाले भारत के दूसरे बैटर बने। उनसे पहले सुनील गावस्कर ने इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में यह कारनामा किया था। राहुल ने पूरी सीरीज में नई गेंद पुरानी करने का काम किया और बाकी बैटर्स के लिए काम आसान किया। उन्होंने सीरीज में 1066 गेंदें भी खेलीं, जो ओपनिंग करते हुए सबसे ज्यादा रहीं। राहुल का 1 नंबर आखिरी टेस्ट में प्रदर्शन के कारण कटा, जहां वे 7 और 14 रन के स्कोर ही बना सके। राहुल ने इस सीरीज के साथ अपनी ओपनिंग पोजिशन पक्की कर ली।

2. यशस्वी जायसवाल: 7/10

राहुल के साथी ओपनर यशस्वी जायसवाल ने सीरीज के पहले और आखिरी मुकाबले में शतक लगाया। हालांकि बीच के 3 मुकाबलों में वे फीके रहे। यशस्वी 2 बार खाता भी नहीं खोल सके और 3 बार 15 से कम रन के स्कोर पर आउट हो गए।

यशस्वी ने सीरीज में 2 शतक और 2 फिफ्टी जरूर लगाईं, लेकिन बैटिंग के लिए आसान पिचों के बावजूद वे 10 पारियों में 411 रन ही बना सके। जो उनके स्टैंडर्ड से कम है। इसी तरह की पिचों पर उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ पिछले साल भारत में 732 रन बना दिए थे। आखिरी टेस्ट में जरूर उन्होंने स्विंगिंग कंडीशन के बावजूद बेहतरीन शतक लगाया और अपने 1.5 पॉइंट्स बढ़ा लिए। हालांकि इस वक्त यशस्वी ही टीम के बेस्ट ओपनर है, इसलिए वे टीम का हिस्सा बने रहेंगे।

3. करुण नायर: 4.5/10

8 साल बाद टेस्ट खेल रहे करुण नायर को 4 टेस्ट में मौका मिला। उन्होंने कई मौकों पर शुरुआत तो की, लेकिन बड़ा स्कोर नहीं बना सके। यहां तक कि उनकी इकलौती फिफ्टी भी सीरीज के आखिरी मैच में आई। हालांकि यह अर्धशतक बहुत मुश्किल पिच और कंडीशन में आया। जिस कारण उनके नंबर्स बढ़ गए।

करुण को नंबर-3 और नंबर-5 दोनों पोजिशन पर मौका मिला, लेकिन वे 8 पारियों में किसी भी पोजिशन को अपना नहीं बना सके। उन्होंने महज 25.62 के औसत से 205 रन बनाए। इनमें 6 बार उन्होंने 20 प्लस रन बनाए, लेकिन एक बार भी 60 रन का आंकड़ा नहीं छू सके। इस प्रदर्शन के आधार पर उन्हें घरेलू टेस्ट सीरीज की टीम में मौका जरूर दिया जा सकता है, लेकिन सरफराज खान और रजत पाटीदार जैसे प्लेयर्स के होते हुए प्लेइंग-11 में जगह मिलना मुश्किल हो सकता है।

4. साई सुदर्शन: 4.5/10

सुदर्शन को सीरीज में 3 टेस्ट खेलने के लिए मिले। जहां उन्होंने 3 पारियों में 31, 38 और 61 रन के स्कोर बनाए। वहीं 2 में खाता भी नहीं खोल सके। एक पारी में उन्होंने 11 रन बनाए। सुदर्शन को भी 3 पारियों में शुरुआत अच्छी मिली, लेकिन वे उसे बड़े स्कोर में नहीं बदल सके।

सुदर्शन ने मुश्किल सिचुएशन में पार्टनरशिप जरूर बनाई, जिसने मिडिल ऑर्डर बैटर्स का काम आसान कर दिया। हालांकि वे टीम में अपनी जगह पक्की नहीं कर सके। इंग्लिश कप्तान बेन स्टोक्स ने लेग स्टंप के बाहर उनकी कमी को उजागर किया, जिसमें वे 2 बार फंसकर आउट भी हो गए। सुदर्शन युवा हैं, इसलिए उन्हें अगली सीरीज के स्क्वॉड में मौका जरूर दिया जा सकता है।

5. शुभमन गिल: 9/10

कप्तान शुभमन गिल ने सीरीज की 10 पारियों में सबसे ज्यादा 754 रन बनाए। इनमें उनके नाम 4 सेंचुरी रहीं। शुभमन ने ही दूसरे टेस्ट की दोनों पारियों में सेंचुरी लगाकर टीम को इकलौती जीत भी दिलाई। हालांकि वे लंदन के दोनों स्टेडियम में किसी भी पारी के दौरान 25 रन का आंकड़ा भी पार नहीं कर सके।

शुभमन 6 पारियों में फ्लॉप रहे, जहां उनके स्कोर 12, 16, 6, 8, 21 और 11 ही रहे। यानी उन्होंने 4 पारियों में ही 680 रन बना दिए, लेकिन बाकी 6 पारियों में 74 रन ही बना पाए। शुभमन टॉप स्कोरर जरूर रहे, लेकिन अहम मौकों पर अपनी बैटिंग से टीम को संभाल नहीं सके। इसलिए उनका 1.5 अंक कटा। शुभमन फिलहाल युवा है, पहली सीरीज में उनकी कप्तानी औसत रही, लेकिन उनके पास सीखने के लिए बहुत समय है। इसलिए वे टीम के कप्तान बने रहेंगे।

6. ऋषभ पंत: 8/10

विकेटकीपर ऋषभ पंत 4 टेस्ट में 7 पारियां ही खेल सके, जिनमें वे महज एक बार 10 रन से कम के स्कोर पर आउट हुए। उन्होंने चारों टेस्ट में फिफ्टी लगाई और टीम के लिए अहम रन बनाए। उनके नाम 7 पारियों में 2 शतक और 3 फिफ्टी रहीं।

चौथे टेस्ट में बैटिंग करने के दौरान पंत इंजर्ड हो गए। जिस कारण उन्हें रिटायर्ड हर्ट होना पड़ा। हालांकि इंजरी के बावजूद वे बैटिंग करने उतरे और फिफ्टी लगाकर टीम को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया। पंत अगर आखिरी टेस्ट खेलते तो भारत दोनों पारियों में ज्यादा स्कोर बना सकता था। पंत की विकेटकीपिंग जरूर थोड़ी कमजोर रही, जिस कारण उनका 1 अंक कटा। हालांकि वे फिट होने के तुरंत बाद टीम में जगह बना लेंगे।

7. ध्रुव जुरेल: 6/10

विकेटकीपर बैटर ध्रुव जुरेल एक ही टेस्ट खेल सके। पांचवें मुकाबले में पंत के इंजर्ड होने के बाद उन्हें मौका मिला, जिसमें उन्होंने मुश्किल पिच पर 34 और 19 रन की पारियां खेलीं। जुरेल ने बैटिंग जरूर 1 ही मैच में की, लेकिन विकेटकीपिंग की ड्यूटी 3 टेस्ट में निभाई, जिसमें वे बेहतरीन रहे।

बैकअप विकेटकीपर के रूप में जुरेल बेहतरीन हैं। इसलिए वे टीम का हिस्सा तो बने रहेंगे। हालांकि मैनेजमेंट उन्हें नायर या सुदर्शन की जगह प्लेइंग-11 में भी शामिल कर सकता है। जुरेल आखिरी टेस्ट की दोनों पारियों में कॉन्फिडेंट नजर आए, जो सुदर्शन और नायर की बैटिंग में नजर नहीं आया।

8. रवींद्र जडेजा: 9/10

इंग्लिश कंडीशन में स्पिनर्स को कुछ खास मदद नहीं मिलती है, इसके बावजूद ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा ने अपनी बॉलिंग से ज्यादा रन नहीं खर्च किए। उन्होंने 5 टेस्ट में 7 विकेट भी लिए। हालांकि जडेजा ने सीरीज में अपनी अहमियत बैटिंग से ज्यादा साबित की, वे 516 रन बनाकर टीम के तीसरे टॉप स्कोरर रहे।

जडेजा ने सीरीज में 5 फिफ्टी और 1 सेंचुरी लगाई। उन्होंने ही चौथे टेस्ट में वॉशिंगटन सुंदर के साथ डबल सेंचुरी पार्टनरशिप कर मुकाबला ड्रॉ कराया था। जडेजा पूरी सीरीज में नंबर-6 या उससे नीचे बैटिंग करने उतरे, इसके बावजूद उन्होंने अहम पारियां खेलीं और टीम को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया। जडेजा का 1 अंक उनकी बॉलिंग के कारण ही कटा। हालांकि वे दुनिया के बेस्ट टेस्ट ऑलराउंडर हैं और इस वक्त उन्हें टीम से निकालना बेवकूफी ही होगी।

9. वॉशिंगटन सुंदर: 8/10

ऑलराउंडर सुंदर को 4 टेस्ट में मौका मिला, इनमें उन्होंने 7 विकेट लेने के साथ 284 रन भी बनाए। सुंदर ने हर बार नंबर-8 पोजिशन पर बैटिंग की, लेकिन उपयोगी पारियां खेलीं। मैनचेस्टर टेस्ट ड्रॉ कराने के दौरान उन्होंने भी जडेजा के साथ शतक लगाया था। सुंदर ने पांचवें टेस्ट में एक फिफ्टी लगाकर टीम को 400 के करीब भी पहुंचाया था।

सुंदर ने सीरीज में 8 पारियां खेलीं। वे महज 1 बार खाता नहीं खेल सके। इसके अलावा 6 बार उन्होंने 20 से ज्यादा रन बनाए। वहीं एक बार वे 12 रन के स्कोर पर नॉटआउट रह गए। सुंदर ने ही लॉर्ड्स टेस्ट की दूसरी पारी में 4 विकेट लेकर इंग्लैंड को जल्दी ऑलआउट किया था। हालांकि उनकी बॉलिंग बाकी 7 पारियों में औसत रही। फिर भी वे अगली सीरीज के लिए टीम में अपनी जगह पक्की कर चुके हैं।

10. नीतीश कुमार रेड्डी: 4.5/10

ऑलराउंडर नीतीश कुमार रेड्डी को टीम में बैटिंग मजबूत करने के लिए शामिल किया गया, लेकिन वे 2 टेस्ट की 4 पारियों में 45 रन ही बना सके। इनमें भी उनकी एक पारी 30 रन की रही। गेंदबाजी में उन्होंने जरूर 3 विकेट लिए। तीनों विकेट लॉर्ड्स टेस्ट में आए। इस मुकाबले के बाद वे प्रैक्टिस के दौरान इंजर्ड हो गए। रेड्डी अपनी बैटिंग से उतना प्रभावित नहीं कर सके, इसलिए अगली सीरीज में उन्हें मौका मिल पाना मुश्किल ही है।

11. शार्दूल ठाकुर: 5/10

ऑलराउंडर शार्दूल ठाकुर ने भी सीरीज में 2 ही टेस्ट खेले। इनमें उन्होंने 46 रन बनाने के साथ 2 विकेट लिए। उन्हें 3 पारियों में बैटिंग मिली। शुरुआती 2 पारियों में तो वे 5 रन ही बना सके, लेकिन मैनचेस्टर टेस्ट की 1 पारी में उन्होंने 41 रन बनाकर भारत को बड़े स्कोर तक पहुंचाने में मदद की।

शार्दूल को दोनों मुकाबलों में 27 ओवर ही बॉलिंग मिली, जिनमें उन्होंने 2 विकेट लिए। शार्दूल को बतौर ऑलराउंडर मौका मिला, लेकिन कप्तान और कोच ने उनकी गेंदबाजी पर ज्यादा भरोसा नहीं जताया। वो भी तब, जब उनके नाम इंग्लैंड में 5-विकेट लेने का रिकॉर्ड मौजूद है। हालांकि लिमिटेड प्रदर्शन के आधार पर उन्हें अगली सीरीज में मौका मिल पाना बेहद मुश्किल है।

12. जसप्रीत बुमराह: 7.5/10

टेस्ट के नंबर-1 रैंक गेंदबाज जसप्रीत बुमराह सीरीज के 3 ही टेस्ट खेल सके। वर्कलोड मैनजमेंट के कारण उन्हें 2 मुकाबलों से आराम दिया गया। जिसमें उन्होंने 26 की बेहतरीन औसत से 14 विकेट झटके। इनमें 2 बार उन्होंने पारी में 5 विकेट भी लिए। हालांकि बुमराह की मौजूदगी के बावजूद इंग्लैंड ने पहले टेस्ट की चौथी पारी में 371 रन का टारगेट हासिल कर लिया था।

सीरीज में दोनों टीमों से 21 बॉलर्स ने गेंदबाजी की। इनमें बुमराह का औसत तीसरा बेस्ट रहा। बेन स्टोक्स और गस एटकिंसन का औसत ही उनसे बेहतर रह सका। वे सीरीज में 2 बार 5-विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज भी रहे, लेकिन आखिरी मुकाबले में पेस और इम्पैक्ट कम होने के कारण उनके नंबर्स भी गिर गए।

13. मोहम्मद सिराज: 9.5/10

द ओवल टेस्ट में प्लेयर ऑफ द मैच रहे मोहम्मद सिराज ने सीरीज में सबसे ज्यादा 23 विकेट लिए। जसप्रीत बुमराह की गैरमौजूदगी में खासकर उन्होंने जिम्मेदारी संभाली और पेस अटैक को लीड किया। सिराज लॉर्ड्स टेस्ट में बैटिंग से टीम को जिता नहीं सके थे, लेकिन उन्होंने बॉलिंग से टीम को द ओवल टेस्ट जिताया। यहां उन्होंने दोनों पारियों में 9 विकेट लिए।

सिराज ने सीरीज में 2 बार 5 विकेट लिए। वहीं 1 बार पारी में 4 विकेट भी लिए। उन्होंने सीरीज के पांचों मैच खेले और सबसे ज्यादा ओवर गेंदबाजी भी की। आखिरी टेस्ट में तो थक जाने के बावजूद वे बॉलिंग करते रहे और तब तक बॉलिंग की, जब तक इंग्लैंड का 10वां विकेट नहीं गिर गया। थकान के बावजूद सिराज की बॉलिंग और उनकी जिम्मेदारी ने उन्हें सीरीज का टॉप इंडियन प्लेयर बना दिया। वर्कलोड मैनेजमेंट को देखते हुए उन्हें अगली सीरीज से आराम दिया जा सकता है, लेकिन टेस्ट टीम से उनकी जगह कोई नहीं छीन सकता।

14. आकाशदीप: 7.5/10

तेज गेंदबाज आकाशदीप को दूसरे टेस्ट में जसप्रीत बुमराह के आराम करने के बाद मौका मिला। उन्होंने मुकाबले में 10 विकेट लिए और भारत को मुकाबला जिताने में अहम भूमिका निभाई। लॉर्ड्स स्टेडियम में तीसरे टेस्ट के दौरान वे बॉलिंग के दौरान थोड़े महंगे साबित हुए, वे यहां इंजरी से भी जूझ रहे थे। इस कारण उनकी परफॉर्मेंस कमजोर रह गई।

इंजरी से उभरने के बाद आकाशदीप ने पांचवें टेस्ट में वापसी की। उन्होंने दोनों पारियों में 1-1 विकेट लिया, लेकिन हर बार पार्टनरशिप ब्रेक की। पहली पारी में उन्होंने ओपनर बेन डकेट को पवेलियन भेजा, जो जैक क्रॉली के साथ तेजी से रन बना रहे थे। वहीं दूसरी पारी में उन्होंने हैरी ब्रूक को कैच कराया, जिन्होंने सेंचुरी बनाकर इंग्लैंड को हावी कर दिया था।

इतना ही नहीं, आकाशदीप ने दूसरी पारी में नंबर-4 पर बैटिंग करते हुए 66 रन की अहम पारी भी खेली। इस पारी ने उनके बॉलिंग में कम हुए नंबर्स को बढ़ा दिया। आकाशदीप को भारत की अगली सीरीज में भी मौका जरूर मिलेगा।

15. प्रसिद्ध कृष्णा: 7.5/10

आखिरी टेस्ट की दोनों पारियों में 8 विकेट लेने वाले प्रसिद्ध कृष्णा ने सीरीज ड्रॉ कराने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने ही द ओवल टेस्ट की पहली पारी में जैक क्रॉली, जैमी स्मिथ, जैमी ओवर्टन और गस एटकिंसन के बड़े विकेट लिए। फिर दूसरी पारी में बेन डकेट, जो रूट, जैकब बेथेले और जोश टंग को पवेलियन भेजकर इंग्लैंड पर दबाव बढ़ा दिया।

प्रसिद्ध ने सीरीज में 3 ही टेस्ट खेले और 14 विकेट झटक लिए। आखिरी टेस्ट से पहले वे 2 टेस्ट में महंगे साबित हुए थे। उन्होंने लीड्स टेस्ट में 5 विकेट जरूर लिए थे, लेकिन रन ज्यादा खर्च कर देने के कारण इंग्लैंड ने 371 रन का टारगेट आसानी से हासिल कर लिया था। फिर भी आखिरी टेस्ट में बेहतरीन बॉलिंग ने उनके पॉइंट्स बढ़ा दिए। उन्हें भी अगली सीरीज में मौका जरूर मिलेगा।

16. अंशुल कम्बोज: 3/10

सीरीज में डेब्यू करने वाले अंशुल कम्बोज को एक ही टेस्ट खेलने का मौका मिला। मैनचेस्टर टेस्ट में उन्होंने 1 पारी में 18 ओवर गेंदबाजी की, लेकिन इसमें 89 रन दे दिए। उन्होंने 1 विकेट जरूर लिया, लेकिन उनका प्रदर्शन इम्पैक्ट नहीं छोड़ पाया। जिस कारण अगले मुकाबले की प्लेइंग-11 से उन्हें बाहर कर दिया गया। कम्बोज का अगली सीरीज में शामिल हो पाना भी बहुत मुश्किल है।

कैसे दी गई प्लेयर्स को रेटिंग?

भारतीय प्लेयर्स को उनके प्रदर्शन के आधार पर रेटिंग दी गई। भास्कर की स्पोर्ट्स टीम ने आपसी बातचीत के बाद प्लेयर्स को उनकी परफॉर्मेंस पर आंका और 10 में से अंक दिए।

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