दिल्ली में वायु प्रदूषण संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोग अगर सरकारी वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी सफर की सलाह का पालन करें तो सालाना स्वास्थ्य खर्च पर 7,694 करोड़ रुपये तक बचा सकते हैं। इसी तरह, पुणो में वायु प्रदूषण से पीड़ित लोग चिकित्सा व्यय पर 948 करोड़ रुपये तक बचा सकते हैं। दरअसल, यहां अपेक्षाकृत वायु गुणवत्ता बेहतर रहती है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रलय के अधीन सफर इंडिया की टीम ने अतंरराष्ट्रीय जर्नल ‘रीजनल इकोनामिक डेवलपमेंट रिसर्च’ में भारत के आर्थिक स्वास्थ्य बोझ को कम करने में सफर वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान ढांचे और सलाहकार सेवाओं का प्रभाव’ शीर्षक से एक शोध पत्र लिखा है। इस टीम में सुवर्णा टिकले, इशिका इल्मे और प्रो. गुफरान बेग शामिल हैं। इस शोध में कहा गया है कि अगर दिल्ली में वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों से पीड़ित कुल आबादी का पांच प्रतिशत भी सफर की सलाह का पालन करता है, तो यह स्वास्थ्य व्यय पर 1,096 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत में तब्दील हो सकता है
अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों पर दिल्ली का प्रतिवर्ष औसतन 7,694 करोड़ रुपये जबकि पुणो का 948 करोड़ रुपये खर्च होता है। एलर्जिक राइनाइटिस ओपीडी के इलाज में सबसे ज्यादा 1,449 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। इसके बाद दिल्ली में अस्थमा के इलाज पर 1,001 करोड़ रुपये और सीओपीडी 514 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। शोध टीम में शामिल प्रो. बेग बताते हैं, सफर इंडिया द्वारा समय-समय पर प्रदूषण को लेकर चेतावनी जारी की जाती है।
इस चेतावनी के मुताबिक यदि बड़े शहरों के लोग अपनी कार्यशैली में बदलाव करें तो प्रदूषण से होने वाली अस्थमा, क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसआर्डर-सीओपीडी और अन्य संबंधित रोगों से काफी हद तक बचा जा सकता है। उनका दावा है कि पांच से 10 प्रतिशत आबादी भी जागरूक हो जाए और तीन दिवसीय प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के आधार पर उपाय करे तो दिल्ली में लाभ बढ़कर 2,192 करोड़ रुपये हो जाएगा।