इंग्लैंड में टीम इंडिया ने 1-3 की हार को 2-2 के ड्रॉ में बदल दिया। एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के सभी 5 मैच आखिरी दिन तक चले और इसमें कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले। लॉर्ड्स टेस्ट में अपना विकेट नहीं बचा सके मोहम्मद सिराज ने ओवल टेस्ट में बॉलिंग से विकेट लेकर टीम इंडिया को ऐतिहासिक जीत दिलाई। वहीं मैनचेस्टर में टीम ने हार की स्थिति को ड्रॉ में बदल दिया।
1 जनवरी 2001 से भारत ने इसी तरह विदेश में 5 ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज खेलीं। जिनमें टीम को सीरीज जीत भले न मिली हो, लेकिन ड्रामा भरपूर मिला और इनकी अहमियत भी बहुत ज्यादा रहीं।
21वीं सदी में विदेशी मैदान पर
भारत की टॉप-5 टेस्ट सीरीज…
1. ऑस्ट्रेलिया में भारत: 22 साल बाद जीते, सचिन का कमबैक
दिसंबर 2003 में टीम इंडिया बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी (BGT) खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया गई। 1996 में शुरू हुई BGT में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया जाकर एक भी मैच नहीं जीत सकी थी। टीम को ऑस्ट्रेलिया में आखिरी जीत भी 22 साल पहले फरवरी 1981 में मिली थी। तब भी सीरीज ड्रॉ ही रही थी।
युवा कप्तान सौरव गांगुली के सामने टीम को ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट जिताने की चुनौती थी। ब्रिस्बेन में खेला गया पहला टेस्ट ड्रॉ रहा। गांगुली ने जरूर शतक लगाया, लेकिन टीम 16 ओवर में 199 रन का टारगेट हासिल नहीं कर सकी और मुकाबला ड्रॉ हुआ। सचिन तेंदुलकर इस मुकाबले में खाता भी नहीं खोल सके।
दूसरा टेस्ट एडिलेड में 3 दिन बाद ही शुरू हो गया। रिकी पोंटिंग की डबल सेंचुरी के दम पर ऑस्ट्रेलिया ने 556 रन बना दिए। भारत ने भी फाइट दिखाई, राहुल द्रविड़ ने डबल सेंचुरी और वीवीएस लक्ष्मण ने सेंचुरी लगाकर टीम को 523 तक पहुंचा दिया। 85 पर 4 विकेट गिरने के बाद दोनों ने 303 रन की साझेदारी की। दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया 196 रन ही बना सका, भारत को 233 का टारगेट मिला। अजीत अगरकर ने महज 41 रन देकर 6 विकेट लिए। द्रविड़ ने फिर 72 रन बनाए और नॉटआउट रहते हुए टीम को ऐतिहासिक जीत दिला दी। हालांकि, सचिन फिर फ्लॉप रहे।
मेलबर्न के मैदान पर तीसरे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने दमदार वापसी की। पोंटिंग ने फिर डबल सेंचुरी लगाई और टीम को 9 विकेट से जीत दिलाकर सीरीज 1-1 से बराबर कर दी। वीरेंद्र सहवाग ने 195 रन जरूर बनाए, लेकिन सचिन पहली पारी में खाता नहीं खोल सके, वहीं दूसरी में 44 रन बनाकर आउट हो गए। तीनों टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने उन्हें कवर्स पोजिशन या कॉट बिहाइंड कराने की कोशिश की और सचिन हर बार इस जाल में फंस गए।
सिडनी में चौथा टेस्ट 2 जनवरी को शुरू हुआ। भारत ने पहले बैटिंग की, सहवाग ने फिफ्टी लगा दी, लेकिन 128 पर टीम के 2 विकेट गिर गए। पूरी सीरीज में फ्लॉप रहे सचिन ने इस इनिंग में ठान लिया कि ऑफ साइड की ओर कोई शॉट नहीं खेलूंगा। सचिन की यह स्ट्रैटजी काम आई और उन्होंने 241 रन की पारी खेल दी। यह उस समय उनका बेस्ट टेस्ट स्कोर था। भारत ने 705 रन पर पारी डिक्लेयर की।
दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया ने 474 रन बनाए। भारत ने 211 रन पर दूसरी पारी डिक्लेयर की और ऑस्ट्रेलिया को 443 का टारगेट दिया। सचिन ने यहां भी फिफ्टी लगाई, वे दोनों पारियों में नॉटआउट रहे। 10 विकेट लेने के लिए भारत के पास करीब 94 ओवर थे। टीम ने 47 ओवर में 3 विकेट गिरा भी दिए, लेकिन यहां कप्तान स्टीव वॉ अपने करियर के आखिरी मैच में टिक गए। उन्होंने 90 ओवर तक बैटिंग की, 80 रन बनाए और अपनी टीम को हारने से बचा लिया। उनके विकेट के बाद टीम ने आखिरी 4 ओवर खेल लिए और मैच किसी तरह ड्रॉ करा लिया।
4 टेस्ट की सीरीज 1-1 से ड्रॉ रही। भारत ने ऑस्ट्रेलिया में 22 साल बाद कोई टेस्ट जीता और पहली बार ऑस्ट्रेलिया में BGT नहीं गंवाई। ऑस्ट्रेलिया ने इससे पहले अलग-अलग टीमों के खिलाफ लगातार 7 सीरीज जीती थीं। इतना ही नहीं, टीम इंडिया से ड्रॉ खेलने के बाद कंगारू टीम ने लगातार 6 सीरीज जीती भी। दुनिया की नंबर-1 टीम को उनके घर में जाकर चैलेंज करने का काम 21वीं सदी में भारत ने पहली बार ही किया।
2. पाकिस्तान में भारत: सहवाग की ट्रिपल सेंचुरी, सचिन 200 चूके
ऑस्ट्रेलिया में सीरीज ड्रॉ कराने के बाद टीम इंडिया की अगली सीरीज पाकिस्तान में हुई। यहां भारत को इतिहास में कभी एक भी टेस्ट जीत नसीब नहीं हुई थी। भारत ने मुकाबले ड्रॉ कराकर सीरीज जरूर ड्रॉ कराई थी, लेकिन टेस्ट जीतना नसीब नहीं हुआ। गांगुली चोट के कारण बाहर हो गए, उनकी जगह राहुल द्रविड़ को कप्तानी सौंपी गई।
मुल्तान में पहला टेस्ट 28 मार्च को शुरू हुआ। भारत ने पहले बैटिंग की और सचिन-सहवाग ने रिकॉर्ड 336 रन की पार्टनरशिप कर दी। यह उस समय तीसरे विकेट के लिए भारत से सबसे बड़ी पार्टनरशिप थी। सहवाग ने 309 रन बना दिए, जो उस समय इंडियन प्लेयर का बेस्ट स्कोर था। उनके साथ सचिन ने भी शतक लगा दिया।
सहवाग के आउट होने के बाद सचिन दोहरे शतक की ओर बढ़ रहे थे। दूसरे दिन के आखिरी सेशन का खेल चल रहा था, तेंदुलकर को 194 के स्कोर पर बताया गया कि टीम 5 ओवर और बैटिंग करेगी। उनके साथ युवराज सिंह फिफ्टी बना चुके थे। अगले ओवर में वे 59 रन पर आउट हो गए। अगले बैटर पार्थिव पटेल पिच की ओर आ रहे थे, तभी कप्तान द्रविड़ ने पारी डिक्लेयर कर दी। सचिन को निराशा में 194 के स्कोर पर पवेलियन लौटना पड़ा।
भारत ने 675 रन पर पारी डिक्लेयर की और पाकिस्तान को 2 बार ऑलआउट कर दिया। टीम पारी और 52 रन से जीत गई और द्रविड़ की कप्तानी में भारत ने पाकिस्तान में पहली टेस्ट जीत का ऐतिहासिक कारनामा भी कर लिया।
इस पारी के बारे में सचिन ने अपनी आत्मकथा में लिखा, ‘मुझे नहीं पता कि राहुल ने ऐसा क्यों किया, टेस्ट जीतने के लिए हमारे पास बहुत समय था, लेकिन डबल सेंचुरी का मौका बहुत कम ही मिलता है। डिक्लेरेशन के फैसले से मैं बहुत दुखी हुआ। हालांकि, बाद में मैंने द्रविड़ से बात की ओर सुलह कर ली, क्योंकि मैं इसे मन में दबा कर नहीं रखना चाहता था। हम आज भी बहुत अच्छे दोस्त हैं।’ हालांकि, इस घटना का सचिन पर बुरा असर पड़ा और वे सीरीज के बाकी 2 टेस्ट में 11 रन ही बना पाए।
सीरीज में पिछड़ने के बाद पाकिस्तान ने लाहौर में दूसरे टेस्ट के दौरान वापसी की और भारत को 9 विकेट से हरा दिया। युवराज ने सेंचुरी जरूर लगाई, लेकिन उमर गुल की गेंदबाजी ने पाकिस्तान को हावी कर दिया। होम टीम से इमरान फरहत और कप्तान इंजमाम उल हक ने सेंचुरी भी लगाई।
तीसरा टेस्ट 13 अप्रैल से रावलपिंडी में खेला गया। पहले बैटिंग करते हुए पाकिस्तान 224 रन ही बना सका। भारत से सहवाग खाता भी नहीं खोल सके, लेकिन नंबर-3 पर उतरे कप्तान द्रविड़ ने डबल सेंचुरी लगा दी। उनकी पारी के दम पर भारत ने 600 रन का स्कोर बनाया और पाकिस्तान को दूसरी पारी में 245 रन पर समेट दिया। भारत पारी और 131 रन से तीसरा टेस्ट जीत गया। इसी के साथ टीम ने पाकिस्तान में पहली बार टेस्ट मैच जीतने के साथ पहली बार टेस्ट सीरीज जीतने का कारनामा भी कर लिया।
3. ऑस्ट्रेलिया में भारत: रहाणे ने कमान संभाली, युवा टीम ने रचा इतिहास
2020-21 की BGT कई मायनों में भारत की मौजूदा टीम की मानसिकता दर्शाती है। इसी सीरीज ने टेस्ट में भारत की नई दिशा तय की। कोरोना महामारी की पहली लहर कुछ महीनों पहले ही खत्म हुई थी। नवंबर 2020 में टीम ऑस्ट्रेलिया गई। ऑस्ट्रेलिया में पिछली सीरीज जिता चुके कप्तान विराट कोहली पहले टेस्ट के बाद भारत लौटने वाले थे। वे पहली बार पिता बनने वाले थे। दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया में दिग्गज स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर की भी वापसी हो चुकी थी।
एडिलेड में डे-नाइट टेस्ट हुआ। पहली पारी में भारत ने 53 रन की बढ़त भी ले ली, लेकिन दूसरी पारी में टीम महज 36 रन पर ऑलआउट हो गई। ऑस्ट्रेलिया ने 21 ओवर में टारगेट हासिल कर लिया और सीरीज में बढ़त बना ली। कप्तान कोहली देश लौट गए। अजिंक्य रहाणे ने उनकी गैर-मौजूदगी में कमान संभाली। कोविड की लहर खत्म हुई थी, लेकिन खिलाड़ी कहीं बाहर नहीं जा पा रहे थे। हार ने युवा टीम को दबाव में डाल दिया।
मेलबर्न में दूसरा टेस्ट हुआ। ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में 195 रन ही बना सका। रहाणे ने कप्तानी पारी खेली और शतक लगाकर टीम को 326 तक पहुंचा दिया। जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी की बेहतरीन गेंदबाजी के आगे ऑस्ट्रेलिया दूसरी पारी में 200 रन ही बना सका। भारत ने 16 ओवर में ही 70 रन का टारगेट हासिल कर लिया। सीरीज 1-1 से बराबर हो गई।
तीसरा टेस्ट सिडनी में हुआ और ऑस्ट्रेलिया ने 338 रन बना दिए। भारत 244 रन ही बना सका। ऑस्ट्रेलिया ने दूसरी पारी 312 रन पर डिक्लेयर की और भारत को 407 रन मुश्किल टारगेट दे दिया। मैच के दौरान रवींद्र जडेजा इंजर्ड हो गए, वे दूसरी पारी में बॉलिंग नहीं कर सके और उनका बैटिंग करना भी मुश्किल ही था। शमी इंजर्ड होकर सीरीज से बाहर हो चुके थे।
भारत ने मजबूत शुरुआत की, रोहित शर्मा 52 और शुभमन गिल 31 रन बनाकर आउट हुए। कप्तान रहाणे 4 ही रन बना सके। चेतेश्वर पुजारा ने यहां से ऋषभ पंत के साथ कमान संभाल ली। दोनों ने अगले 40 ओवर तक कोई विकेट नहीं गिरने दिया। करीब 55 ओवर का खेल बाकी था और भारत को 160 रन ही बनाने थे। पंत और पुजारा सेट थे, तभी पंत 97 रन के स्कोर पर कैच हो गए। उनके कुछ देर बाद पुजारा भी 77 रन बनाकर पवेलियन लौट गए।
भारत के 5 विकेट गिर गए। हनुमा विहारी और रविचंद्रन अश्विन बैटिंग करने आए। भारत को करीब 45 ओवर बैटिंग करनी थी, लेकिन दोनों बैटर्स बुरी तरह इंजर्ड थे। विहारी और अश्विन ने मुश्किल पिच पर गेंद को बॉडी पर लगने दी, लेकिन विकेट नहीं गिरने दिया। विहारी 161 और अश्विन 128 गेंदें खेलकर नॉटआउट रहे और टीम इंडिया की हार को ड्रॉ में बदल दिया। अब सीरीज का नतीजा आखिरी मैच पर पहुंच गया।
चौथा टेस्ट 15 जनवरी 2021 से ब्रिस्बेन के द गाबा स्टेडियम में हुआ। जहां कंगारू टीम 32 साल से टेस्ट नहीं हारी थी। टीम इंडिया के लगभग सभी सीनियर प्लेयर्स इंजर्ड हो गए। बॉलिंग डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी मोहम्मद सिराज, थंगारसु नटराजन, शार्दूल ठाकुर, नवदीप सैनी और वॉशिंगटन सुंदर को मिली। वहीं बैटिंग में मयंक अग्रवाल, ऋषभ पंत और शुभमन गिल काफी युवा थे।
ऑस्ट्रेलिया से मार्नस लाबुशेन ने शतक लगाया और टीम ने 369 रन बना दिए। नटराजन, शार्दूल ने 3-3 विकेट लिए। भारत से शार्दूल और सुंदर ने फिफ्टी लगाई, वहीं 5 और प्लेयर्स ने 20 प्लस रन बनाकर टीम को 336 रन तक पहुंचा दिया। दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया ने 294 रन बनाए और भारत को 328 रन का मुश्किल टारगेट मिला।
रोहित शर्मा 7 ही रन बनाकर आउट हो गए। यहां से युवा प्लेयर्स ने पुजारा और रहाणे के साथ बागडोर संभाल ली। शुभमन ने 91 और रहाणे ने 24 रन बनाए। पुजारा ने फिफ्टी लगाई, वे एक एंड पर टिक गए, उनके सामने ऋषभ पंत पहले सेट हुए, फिर खुलकर शॉट्स खेलने लगे। दोनों ने टीम को 250 के करीब पहुंचा दिया। पुजारा को पूरी सीरीज में कई गेंदें उनकी बॉडी पर लगीं। वे 211 गेंदें खेलने के बाद आउट हो गए। मयंक अग्रवाल भी 9 ही रन बना सके, लेकिन उन्होंने पंत के साथ पारी संभाली और टीम को जीत के करीब पहुंचाया।
भारत को 5 विकेट गिरने के बाद 63 रन और बनाने थे। पंत टिके रहे, उन्हें सुंदर का साथ मिल गया। जिन्होंने महज 29 गेंद पर 22 रन बना दिए। उनके सामने पंत शॉट्स खेलते रहे, सुंदर और शार्दूल भी आउट हो गए। 3 रन का टारगेट बचा था, पंत के सामने नवदीप सैनी थे।
97वें ओवर की आखिरी गेंद जोश हेजलवुड ने लो फुल टॉस फेंकी, पंत ने सामने की ओर शॉट खेला और तेजी से रन लेने के लिए दौड़ पड़े। गेंद दूर चली गई, उन्होंने दूसरा रन लेना शुरू कर दिया, तीसरा रन लेने से पहले ही गेंद बाउंड्री के पार चली गई। चौके के साथ भारत ने 3 विकेट से रोमांचक मुकाबला जीता और ऑस्ट्रेलिया को उनके गढ़ द गाबा स्टेडियम में 32 साल बाद हार का स्वाद चखा दिया। भारत ने 2-1 से सीरीज अपने नाम की और युवा टीम ने ऑस्ट्रेलिया को उन्हीं के होमग्राउंड पर सीरीज जीतने से रोक दिया।
4. इंग्लैंड में भारत: लंदन में 2 मैच जीते, कप्तान कोहली की लीड पर फिरा पानी
ऑस्ट्रेलिया सीरीज के 6 महीने बाद टीम इंडिया इंग्लैंड गई। जहां टीम लगातार 3 टेस्ट सीरीज बुरी तरह हार चुकी थी। ऑस्ट्रेलिया के बाद कोहली की कप्तानी का यह सबसे बड़ा टेस्ट था। क्योंकि उनकी कप्तानी में भी टीम को 2018 में 1-4 से हार का सामना करना पड़ा था। इंग्लिश टीम की कमान भी अनुभवी जो रूट के हाथ में थी।
4 अगस्त से नॉटिंघम में पहला टेस्ट हुआ। इंग्लैंड 183 रन ही बना सका, भारत ने 278 रन बनाकर 95 रन की बढ़त ले ली। पिच बैटिंग के लिए आसान हो गई और इंग्लैंड ने दूसरी पारी में 303 रन बना दिए। भारत को 209 रन का टारगेट मिला, टीम ने एक विकेट के नुकसान पर 52 रन बना लिए। चौथे दिन का खेल खत्म हुआ, पांचवें दिन भारत को 157 रन ही बनाने थे और 9 विकेट बाकी थे। यहां बारिश ने भारत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया और पांचवें दिन एक भी गेंद नहीं फेंकी जा सकी। मैच ड्रॉ हुआ और भारत के हाथ से सीरीज में बढ़त लेने का सुनहरा मौका चला गया।
दूसरा टेस्ट लॉर्ड्स में हुआ। केएल राहुल की सेंचुरी के दम पर भारत ने 364 रन बना दिए। इंग्लैंड ने भी 391 रन बनाकर बढ़त ले ली। जो रूट ने शतक लगाया। दूसरी पारी में भारत ने 209 रन पर 8 विकेट गंवा दिए। यहां से मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह ने 89 रन की पार्टनरशिप कर ली। शमी ने फिफ्टी लगाई, वहीं बुमराह 34 रन बनाकर नॉटआउट रहे। भारत ने 298 बनाकर पारी डिक्लेयर की और आखिरी दिन इंग्लैंड को 272 रन का टारगेट दिया।
इंग्लैंड के पास 60 ओवर थे, इसमें टीम या तो टारगेट हासिल करती या मैच ड्रॉ करा ले जाती। यहां कोहली की अटैकिंग कप्तानी में बुमराह, सिराज, शमी और ईशांत शर्मा ने इंग्लिश बैटर्स को टाइट लाइन गेंदबाजी से परेशान कर दिया। शुरुआती 2 ओवर में 2 विकेट गिरा दिए। 67 रन के स्कोर पर होम टीम ने 5 विकेट भी गंवा दिए। अब इंग्लिश टीम का फोकस मैच ड्रॉ कराने पर चले गया। मोहम्मद सिराज ने फिर एक ही ओवर में 2 विकेट लिए और इंग्लैंड को बैकफुट पर धकेल दिया।
ओली रोबिनसन ने फिर जोस बटलर के साथ मिलकर पारी संभाल ली। टीम इंडिया दोनों एंड से अपने पेसर्स का इस्तेमाल ही कर रही थी। 10 ओवर का खेल ही बचा था, इंग्लैंड के पास 3 विकेट बाकी थे। तभी बुमराह ने गुड लेंथ पर स्लोअर बॉल फेंकी और रोबिनसन को LBW कर दिया। अगले ओवर में सिराज ने बटलर को कॉट बिहाइंड करा दिया। इंग्लैंड को अब 8 ओवर बैटिंग करनी थी और 1 ही विकेट बचा था। 52वें ओवर की पांचवीं बॉल सिराज ने गुड लेंथ पर आउट स्विंगर फेंकी और जेम्स एंडरसन को बोल्ड कर दिया। इंग्लैंड का 10वां विकेट गिरा और भारत ने लॉर्ड्स में टेस्ट जीत लिया।
1-0 की बढ़त के बाद तीसरा टेस्ट लीड्स में हुआ। टीम इंडिया महज 78 रन पर सिमट गई। इंग्लैंड ने 478 रन बनाए और भारत दूसरी पारी में 278 रन ही बना सका। इंग्लैंड ने सीरीज में 1-1 की बराबरी कर ली। तीसरा टेस्ट 2 सितंबर से लंदन के ही द ओवल स्टेडियम में हुआ। भारत पहली पारी में 191 रन ही बना सका। इंग्लैंड ने 290 रन बनाकर 99 रन की बढ़त ले ली।
दूसरी पारी में रोहित शर्मा ने अपने टेस्ट करियर की बेस्ट पारी खेली। उन्होंने राहुल के साथ 83 रन की पार्टनरशिप की। 256 गेंदें खेलीं और 127 रन बनाए। यह SENA देशों में उनकी पहली और सबसे अहम सेंचुरी रही। पुजारा, कोहली, पंत और शार्दूल ने उनका साथ दिया और टीम ने 466 रन बना दिए। इंग्लैंड को 368 रन का टारगेट मिला। टीम ने 100 रन तक 1 भी विकेट नहीं गंवाया। आखिरी दिन का खेल बाकी था और इंग्लैंड बैटिंग के लिए आसान पिच पर टारगेट हासिल कर सकती थी।
41वें ओवर में शार्दूल ठाकुर ने ओपनर रोरी बर्न्स को कॉट बिहाइंड करा दिया। यहां से तो जैसे विकेट की झड़ी लग गई। इंग्लैंड ने अगले 110 रन बनाने में 9 विकेट गंवाए और भारत ने 157 रन से मुकाबला जीत लिया। इसी के साथ टीम ने सीरीज में 2-1 की बढ़त बना ली। अगर पहले टेस्ट में बारिश नहीं आती तो यह बढ़त 3-1 की भी हो सकती थी।
चौथे टेस्ट के बाद टीम इंडिया के सपोर्ट स्टाफ में कुछ मेंबर्स को कोरोना हो गया। BCCI ने सीरीज का पांचवां टेस्ट अगले साल के लिए टाल दिया। इस बीच कोहली ने टेस्ट कप्तानी छोड़ दी। रोहित शर्मा को कप्तान बनाया गया, लेकिन वे इंजर्ड हो गए। बुमराह को कप्तानी करनी पड़ी। इंग्लैंड ने भी जो रूट की जगह बेन स्टोक्स को कप्तानी दे दी। दोनों ही टीमों के कोच भी बदल गए। बर्मिंघम में सीरीज का पांचवां टेस्ट अगले साल 1 जुलाई को शुरू हुआ।
पहले बैटिंग करते हुए भारत ने 416 रन बना दिए। पंत और जडेजा ने शतक लगाए। इंग्लैंड से जॉनी बेयरस्टो ने शतक लगाया, लेकिन टीम 284 रन ही बना सकी। दूसरी पारी में टीम इंडिया 245 रन ही बना पाई, लेकिन इंग्लैंड को 378 रन का चैलेंजिंग टारगेट मिल गया। पिच बैटिंग के लिए आसान हो चली थी, इंग्लैंड ने तेजी से बैटिंग की, जो रूट और बेयरस्टो ने शतक लगाए और टीम को 77 ओवर में ही 7 विकेट से जीत दिला दी। इस तरह सीरीज 2-2 से बराबर रही और भारत ने इंग्लैंड में 5 टेस्ट की सीरीज जीतने का सुनहरा मौका गंवा दिया।
5. इंग्लैंड में भारत: सिराज ने हार्टब्रेक से कमबैक किया, कप्तान गिल का टेस्ट
2024 में BGT हारने के बाद दिग्गज रविचंद्रन अश्विन, विराट कोहली और रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया। अश्विन ने तीनों फॉर्मेट से संन्यास लिया। शुभमन गिल को कप्तानी मिली, कोच गौतम गंभीर भी लगातार 2 टेस्ट सीरीज हार चुके थे। ऐसे में उनके सामने भी अपनी जगह बचाने की चुनौती थी।
लीड्स में 20 जून से पहला टेस्ट खेला गया, भारत ने 471 रन बनाए, जवाब में इंग्लैंड ने भी 465 रन बना दिए। दूसरी पारी में भारत ने 364 रन बनाए और इंग्लैंड को 371 रन का टारगेट मिला। बेन स्टोक्स की कप्तानी का यह चौथा साल रहा और उनकी एक फिलॉसफी रही कि इंग्लैंड में पिचें बैटिंग के लिए बहुत आसान बनानी हैं। ऐसी ही पिच लीड्स में भी मिली, जहां टीम ने 82 ओवर में ही 5 विकेट खोकर टारगेट हासिल कर लिया।
2 जुलाई से बर्मिंघम में दूसरा टेस्ट खेला गया। शुभमन गिल के दोहरे शतक की मदद से भारत ने 587 रन बना दिए। इंग्लैंड ने 407 रन बनाए। शुभमन ने दूसरी पारी में भी शतक लगाया और भारत ने 427 रन पर पारी डिक्लेयर कर दी। इंग्लैंड को 608 रन का टारगेट मिला, लेकिन टीम के पास 100 ओवर ही थे। इंग्लिश टीम तेज खेलने गई और 69 ओवर में ऑलआउट हो गई। भारत ने मुकाबला जीता और सीरीज 1-1 से बराबर कर ली।
तीसरा टेस्ट लॉर्ड्स में 10 जुलाई से शुरू हुआ। पहली पारी में दोनों ही टीमों ने 387-387 रन बनाए। इंग्लैंड दूसरी पारी में 192 रन बना सका। टारगेट छोटा जरूर था, लेकिन पिच बैटिंग के लिए आसान नहीं थी। टीम इंडिया ने दूसरे ओवर में पहला विकेट गंवा दिया। 82 रन पर टीम के 7 विकेट गिर गए। रवींद्र जडेजा एक एंड पर टिक गए, उन्हें नीतीश रेड्डी का साथ मिला। रेड्डी भी लेकिन 13 रन बनाकर आउट हो गए।
जडेजा ने फिर जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज के साथ टीम को जीत दिलाने की कोशिश की। बुमराह ने 54 गेंदें खेलकर 5 रन बनाए, लेकिन टीम को 150 तक पहुंचा दिया। सिराज भी फिर सेट हो गए और स्कोर को 170 तक पहुंचा दिया। जडेजा फिफ्टी लगा चुके थे। 75वें ओवर में फिर शोएब बशीर की गेंद को सिराज ने डिफेंड किया, लेकिन गेंद पर पिच पर टप्पा खाकर स्टंप्स से टकरा गई। बेल्स गिरी और सिराज आउट हो गए, इसी के साथ भारत ने 22 रन के करीबी अंतर से मुकाबला गंवा दिया।
चौथा टेस्ट 23 जुलाई से मैनचेस्टर में खेला गया। भारत ने पहली पारी में 358 रन बनाए। जवाब में इंग्लैंड ने 669 रन बना दिए। 311 रन से पिछड़ने के बाद भारत ने पहले ही ओवर में बिना कोई रन बनाए 2 विकेट गंवा दिए। टीम को अब भी 150 ओवर बैटिंग करनी थी। यहां से राहुल और शुभमन ने 188 रन की पार्टनरशिप की। राहुल 90 और शुभमन 103 रन बनाकर आउट हुए। उनके बाद वॉशिंगटन सुंदर और रवींद्र जडेजा टिक गए। ऋषभ पंत इंजर्ड होकर सीरीज से बाहर हो चुके थे। जडेजा-सुंदर ने विकेट नहीं गिरने दिया और डबल सेंचुरी पार्टनरशिप कर भारत की हार को ड्रॉ में बदल दिया। अब सीरीज का नतीजा आखिरी मुकाबले पर पहुंचा।
लंदन के द ओवल में 31 जुलाई से पांचवां टेस्ट शुरू हुआ। इससे पहले लंदन के ही द लॉर्ड्स स्टेडियम में सिराज के आउट होने के बाद भारत ने मुकाबला गंवा दिया था। वे इस हार से बहुत दुखी थी। वर्कलोड मैनेजमेंट के कारण जसप्रीत बुमराह आखिरी मैच नहीं खेल सके, पंत भी बाहर हो गए। इंग्लैंड से भी बेन स्टोक्स, ब्रायडन कार्स और जोफ्रा आर्चर बाहर हुए। वहीं क्रिस वोक्स पांचवें मैच के दौरान चोटिल हो गए और गेंदबाजी नहीं कर सके।
पिच पर शुरुआती 2 दिन गेंदबाजों को मदद रही। भारत ने 224 और इंग्लैंड ने 247 रन बना दिए। होम टीम को 23 रन की बढ़त मिली। दूसरी पारी में भारत से यशस्वी जायसवाल ने सेंचुरी लगाई। वहीं नाइट वॉचमैन आकाशदीप, ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर ने फिफ्टी लगाकर स्कोर 396 तक पहुंचा दिया। इस तरह इंग्लैंड को 374 रन का टारगेट मिला। हालांकि, पिच बैटिंग के लिए आसान थी और टारगेट का पीछा किया जा सकता था।
इंग्लैंड ने 106 रन पर 3 विकेट गंवा दिए। हैरी ब्रूक जब 19 रन पर थे, तब फाइन लेग पर कैच लेने की कोशिश में मोहम्मद सिराज का पैर बाउंड्री से टकरा गया। इसके बाद तो वे जो रूट के साथ टिक गए, दोनों ने सेंचुरी लगाकर भारत को मैच से बाहर किया और टीम को 300 के पार पहुंचा दिया। मैच के चौथे दिन आखिरी सेशन में ब्रूक बड़ा शॉट खेलने की कोशिश में कैच हो गए।
इंग्लैंड के अब भी 6 विकेट बचे थे और उन्हें 73 रन बनाने थे। जैकब बेथेल टिक गए, अगले 8 ओवर तक विकेट नहीं गिरा। फिर बेथेल और रूट 15 गेंदों के अंदर आउट हो गए। 337 रन पर 6 विकेट गिर गए। तभी बारिश के कारण चौथे दिन का खेल पांचवें दिन पर शिफ्ट हुआ। आखिरी दिन इंग्लैंड को 37 रन ही बनाने थे और विकेटकीपर जैमी स्मिथ के साथ ऑलराउंडर जैमी ओवर्टन नॉटआउट थे।
ओवर्टन ने पांचवें दिन की शुरुआती 2 गेंदों पर ही 2 चौके लगा दिए। सीरीज में लगातार पांचवां मैच खेल रहे सिराज ने यहां ओवर्टन और जैमी स्मिथ को लगातार 2 ओवर में पवेलियन भेज दिया। 8 विकेट गिर गए। 2 ओवर बार बाद जोश टंग को प्रसिद्ध कृष्णा ने बोल्ड कर दिया। कंधा इंजर्ड हो जाने के बावजूद क्रिस वोक्स बैटिंग करने आए, उनके सामने गस एटकिंसन थे। जिन्होंने एक छक्का लगाया और कुछ रन दौड़कर टीम को 367 तक पहुंचा दिया।
लॉर्ड्स टेस्ट में जिनके विकेट के बाद भारत को हार मिली थी, वही मोहम्मद सिराज 86वां ओवर बॉलिंग करने आए। ओवर की पहली ही गेंद उन्होंने यॉर्कर फेंकी, एटकिंसन स्वीप शॉट खेलने गए, लेकिन गेंद मिस कर गए। बॉल सीधे स्टंप्स को लगी, इंग्लैंड का 10वां विकेट गिरा और भारत ने रोमांचक मुकाबला 6 रन से जीत लिया। सीरीज प्लेयर ऑफ द मैच बने और भारत ने लगभग हार चुकी सीरीज को 2-2 से ड्रॉ में बदल दिया। यह द ओवल स्टेडियम में भारत की महज तीसरी ही जीत थी, लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ लगातार दूसरी जीत रही।