कोई यह कहे- तुम्हारे दिमाग में गोबर भरा है। यकीकन यह सुनकर गुस्सा आएगा, लेकिन डिफेंस कालोनी में रहने वाली उषा नैनिवाल ने गोबर से व्यापार खड़ा कर इस वाक्य के मायने ही बदल दिए हैं। गोबर से गमले, लकड़ी, मूर्ति, दीये, अगरबत्ती, चाबी के छल्ले, खड़ाऊ, मोबाइल चिप और नेम प्लेट समेत ऐसे उत्पाद तैयार किए, जो न सिर्फ लोगों के दैनिक जरूरतों में प्रयोग हो रहे हैं। बल्कि, इससे “स्वदेशी’ व “मेक इन इंडिया’ को नई और सशक्त पहचान मिली है।
40 से अधिक महिलाओं के जीवन में लाया बदलाव
गोबर के इन उत्पादों ने न सिर्फ उनके बल्कि 40 से अधिक महिलाओं के जीवन में बदलाव भी लाया है। वे रोजगार से जुड़कर आत्मनिर्भर हुई हैं। नैनिवाल गोबर से फिलवक्त 56 उत्पाद तैयार कर रहीं हैं। उसमें से गुलाल को पेटेंट कराने की प्रक्रिया चल रही है। ये पेंटेट हो गया तो यूरोप में स्थित भगवान कृष्ण के मंदिरों में यह भक्तों की गालों की शोभा बनेंगे। 39 वर्षीय उषा नैनीवाल मूलत अंबाला की हैं। रोजगार की तलाश में वर्ष 2017 में दिल्ली आई। यहां कत्थक की कक्षाएं लेकर जीवनयापन शुरू किया, लेकिन कोरोना में यह रोजगार भी छिन गया। निराश अंबाला वापस लौट गईं।
कटाक्ष से मिली प्रेरणा
वहां दिल्ली से दोस्तों के फोन जाते तो कटाक्ष करते कि तुम्हारे दिमाग में गोबर भरा है। इसलिए कुछ नहीं कर सकती। इसी शब्द को उन्होंने प्रेरणा बना लिया। वह बतातीं है कि उन्हें तब गोबर के महत्व के बारे में पता नहीं था, लेकिन जैसे-जैसे इस ओर बढ़ी उन्हें इसके साथ देशी गाय के महत्व का भी पता चला। इसके लिए उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के इससे संबंधित लेक्चर भी सुने। हरियाणा के गांवों तक में गईं।
उत्तराखंड और गुजरात से लिया प्रशिक्षण
उत्तराखंड और गुजरात में इसके लिए प्रशिक्षण लिया। गोबर से नए प्रकार के उत्पाद तैयार करने में मशीनों के लिए इंजीनियरिंग छात्रों तक की सहायता ली। आर्थिक मदद के लिए कुछ करीबी लोग साथ आए। इस प्रकार पूर्वी दिल्ली के गीता कालोनी स्थित गोशाला में गायों से उत्पाद बनना शुरू हो गया। बिक्री के लिए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) जैसे संस्थाओं की मदद मिली। गोबर से तैयार लकड़ी श्मशान गृह ले जाया जाने लगा। वहीं, अन्य उत्पादों की बिक्री बढ़ने लगी है।
महिलाओं को दिया रोजगार
ऊषा कहती हैं कि जो महिला घर पर रहकर घर संभालने का कार्य करती हैं उनको लोग अक्सर कमतर आंकते हैं। ऐसे में इन महिलाओं को सशक्त करने के लिए उन्होंने ऐसी महिलाओं को अपने साथ जोड़ा और उन्हें गोबर से उत्पाद तैयार करने का काम सिखाकर रोजगार उपलब्ध कराया। वो कहती हैं कि उनका सपना है ऐसी सभी महिलाओं को कौशल कार्य सिखाकर एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जाए ताकि वो खुद को साबित कर सकें। फिलहाल वो 40 महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करा रही है। इन महिलाओं को गोबर और सांचे उपलब्ध करा दिए जाते हैं। घर पर ये उत्पाद तैयार करती हैं।
गोबर से बने उत्पादों के दाम
गमला : 50 रुपये
की-रिंग : 50 रुपये
लकड़ी (एक किलो): 11 रुपये
नेम प्लेट: 200 रुपये
खड़ाऊ : 650 रुपये
मोबाइल चिंप: 30 रुपये